मिर्जापुर: लालगंज बामी गांव में हुई 3 बच्चों की हत्या के खुलासे में देर होने पर मंगलवार को लखनऊ के लोकभवन में नगर विधायक रत्नाकर मिश्रा और छानवे विधायक राहुल प्रकाश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पीड़ित परिवार को मिलवाया. सीएम ने पीड़ित परिवार को कार्रवाई का आश्वासन दिया. मुख्यमंत्री से लखनऊ में परिजनों के मिलने के थोड़ी देर बाद ही एसपी अजय कुमार सिंह ने हत्या के खुलासे में असफल लालगंज थानाध्यक्ष हरिश्चन्द्र सरोज, चौकी प्रभारी लहंगपुर उप निरीक्षक पंकज राय, उप निरीक्षक हैदर अली और हेड कांस्टेबल सुदिष्ट कुमार पांडेय को लाइन हाजिर कर दिया गया.
बच्चों की निर्मम तरीके से हुई थी हत्या
लालगंज थाना क्षेत्र के बामी गांव में बीते एक दिसंबर को 3 चचेरे भाइयों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. हत्या के बाद शवों को जंगल में छुपा दिया गया था. परिजनों के काफी खोजबीन के बाद जब बच्चे नहीं मिले, तो उन्होंने 2 दिसंबर को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इसके बाद 2 दिसंबर को ही बच्चों का शव लेहड़िया बंधे से बरामद किया गया था. पहले पुलिस बच्चों के शव को पानी में डूबने से मौत बता रही थी. जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो बच्चों के शरीर पर काफी चोटें थीं.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस हरकत में आई, आईजी जोन वाराणसी ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया. साथ ही घटना की जांच के लिए एसआईटी टीम का गठन किया. एसआईटी टीम जांच में असफल होने पर एसटीएफ ने जांच की. उधर, मंगलवार को पीड़ित परिजन मुख्यमंत्री से मिले. परिजनों के सीएम से मिलने के बाद ही एसपी मिर्जापुर ने चार पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया.
मुख्यमंत्री ने परिजनों को दिया आश्वासन
मंगलवार को पीड़ित परिजन सीएम योगी से मिले. इस दौरान गृह सचिव, डीजीपी और नगर विधायक रत्नाकर मिश्रा के साथ छानबे विधायक राहुल प्रकाश कोल भी मौजूद रहे. जिस क्षेत्र की यह घटना है, उस क्षेत्र के विधायक राहुल प्रकाश कोल ने बताया कि मुख्यमंत्री पीड़ित परिजनों से मिलकर 24 घंटे के अंदर हत्याकांड का खुलासा करने का आश्वसन दिया. साथ ही पीड़ित परिजनों को सुरक्षा देने, परिजनों के जमीन विवाद का निस्तारण करने, परिजनों को शशस्त्र लाइसेंस देने और मुवाबजे की धनराशि दो लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये देने का भी आदेश दिया.
चौकी प्रभारी सहित चार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई
घटना के खुलासे को लेकर विंध्याचल परिक्षेत्र के आईजी, पुलिस महानिरीक्षक वाराणसी जोन और एसपी पीड़ितों को आश्वासन पर आश्वासन देते रहे, लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद जब सरकार नींद से जागी तो उन्होंने थाना प्रभारी, चौकी प्रभारी सहित चार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई कर पीड़ितों को संतुष्ट करने का प्रयास किया.