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भगवान राम ने जहां किया था पितरों का पिंडदान वहां आज भी मौजूद हैं चरणों के निशान - भगवान राम ने किया पितरों का पिंडदान

यूपी के मिर्जापुर जिले के विंध्याचल स्थित विंध्यवासिनी शक्तिपीठ में भी भगवान राम के चरणों के निशान मौजूद हैं. कहा जाता है कि भगवान राम ने अपने पितरों का पिंडदान यहीं पर किया था. उन्होंने यहां एक शिवलिंग की भी स्थापना की थी जो आज भी मौजूद हैं.

भगवान राम ने जहां किया था पितरों का पिंडदान
भगवान राम ने जहां किया था पितरों का पिंडदान
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Published : Aug 4, 2020, 1:28 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: विंध्याचल स्थित विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ के लिए जाना जाता है. पितृपक्ष में पिंडदान कर पूर्वजों का तर्पण करने का भी एक बड़ा केंद्र विंध्य क्षेत्र है. मान्यता है कि भगवान राम ने खुद जानकी के साथ विंध्य क्षेत्र आकर गंगा के तट पर अपने पितरों का पिंडदान किया था. माना जाता है जो अपने पितरों का पिंडदान यहां पर करता है, वह सद्गति को प्राप्त होता है. आज भी यहां पर भगवान राम, माता जानकी, लक्ष्मण और हनुमान जी के चरणों के निशान हैं. भगवान ने यहां एक शिवलिंग की स्थापना की थी. वह आज भी विद्यमान है.

भगवान राम ने जहां किया था पितरों का पिंडदान
देश के प्रधानमंत्री 5 अगस्त को श्रीराम भगवान की जन्मस्थली अयोध्या में भव्य मंदिर की नीव रखेंगे. इसको लेकर पूरे देश में जहां-जहां श्रीराम अपने चरण रखे हैं. वहां का जिक्र न किया जाय यह हो नहीं सकता. हम बात कर रहे हैं मिर्जापुर के विंध्याचल में स्थित शिवपुर गंगा नदी के पास राम गया घाट की, जहां भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में अपने पितरों की तृप्ति और मुक्ति के लिए गया श्राद्ध के लिए जा रहे थे. उसी यात्रा के दौरान विन्ध धरा पर उनका विमान उतरा था. यहां पर उन्होंने अपने पिता दशरथ के लिए पिंडदान किया था. तब से यह घाट राम गया घाट नाम से प्रसिद्ध है. दूर-दूर से लोग यहां तर्पण के लिए भारी संख्या में पितृ पक्ष में जुटते हैं .

काशी प्रयाग के मध्य स्थित विंध्य क्षेत्र सिद्ध पीठ के साथ पितरों के मोक्ष की कामना स्थली भी बन गई है. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ के आदेश पर अपने पिता राजा दशरथ को मृत्यु लोक से स्वर्ग प्राप्ति के लिए गया के फल्गु नदी पर पिंडदान के लिए अयोध्या से प्रस्थान किया. पहला पिंडदान सरयू, दूसरा पिंडदान प्रयाग के भरद्वाज आश्रम, तीसरा विंध्य धाम स्थित राम गया घाट, चौथा पिंडदान काशी के पिशाचमोचन पर करके गया पहुंचे थे. आज भी जहां पर भगवान राम माता जानकी लक्ष्मण और हनुमान जी के साथ पिंडदान किया था वहां पर अवशेष मिलते हैं. वहां उनके द्वारा एक छोटा सा शिवलिंग स्थापित किया गया है. इसके अलावा उनके विमान के पहिए और कई शिवलिंग और श्रीराम लक्ष्मण मां जानकी हनुमान जी के चरण का निशान भी है. साथ ही कई और निशान वहां पर हैं.


धार्मिक जानकार मिट्ठू मिश्रा का कहना है कि भगवान त्रेता युग में पितरों की तृप्ति, शांति और मुक्ति के लिए जब गया श्राद्ध के लिए जा रहे थे, उसी यात्रा में तीर्थराज प्रयाग में पिंडदान करने के बाद विंध्य धरा पर विमान उतरा है. पर्वत गंगा का संगम जहां पर है, वहां पर श्रीराम ने पितरों का पिंडदान किया है. मान्यता है कि जो भी अपने पितरों का पिंडदान करता है वह सद्गति को प्राप्त होता है. इसलिए राम भगवान भी यहां पर पिंडदान किए हैं.

मिर्जापुर: विंध्याचल स्थित विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ के लिए जाना जाता है. पितृपक्ष में पिंडदान कर पूर्वजों का तर्पण करने का भी एक बड़ा केंद्र विंध्य क्षेत्र है. मान्यता है कि भगवान राम ने खुद जानकी के साथ विंध्य क्षेत्र आकर गंगा के तट पर अपने पितरों का पिंडदान किया था. माना जाता है जो अपने पितरों का पिंडदान यहां पर करता है, वह सद्गति को प्राप्त होता है. आज भी यहां पर भगवान राम, माता जानकी, लक्ष्मण और हनुमान जी के चरणों के निशान हैं. भगवान ने यहां एक शिवलिंग की स्थापना की थी. वह आज भी विद्यमान है.

भगवान राम ने जहां किया था पितरों का पिंडदान
देश के प्रधानमंत्री 5 अगस्त को श्रीराम भगवान की जन्मस्थली अयोध्या में भव्य मंदिर की नीव रखेंगे. इसको लेकर पूरे देश में जहां-जहां श्रीराम अपने चरण रखे हैं. वहां का जिक्र न किया जाय यह हो नहीं सकता. हम बात कर रहे हैं मिर्जापुर के विंध्याचल में स्थित शिवपुर गंगा नदी के पास राम गया घाट की, जहां भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में अपने पितरों की तृप्ति और मुक्ति के लिए गया श्राद्ध के लिए जा रहे थे. उसी यात्रा के दौरान विन्ध धरा पर उनका विमान उतरा था. यहां पर उन्होंने अपने पिता दशरथ के लिए पिंडदान किया था. तब से यह घाट राम गया घाट नाम से प्रसिद्ध है. दूर-दूर से लोग यहां तर्पण के लिए भारी संख्या में पितृ पक्ष में जुटते हैं .

काशी प्रयाग के मध्य स्थित विंध्य क्षेत्र सिद्ध पीठ के साथ पितरों के मोक्ष की कामना स्थली भी बन गई है. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ के आदेश पर अपने पिता राजा दशरथ को मृत्यु लोक से स्वर्ग प्राप्ति के लिए गया के फल्गु नदी पर पिंडदान के लिए अयोध्या से प्रस्थान किया. पहला पिंडदान सरयू, दूसरा पिंडदान प्रयाग के भरद्वाज आश्रम, तीसरा विंध्य धाम स्थित राम गया घाट, चौथा पिंडदान काशी के पिशाचमोचन पर करके गया पहुंचे थे. आज भी जहां पर भगवान राम माता जानकी लक्ष्मण और हनुमान जी के साथ पिंडदान किया था वहां पर अवशेष मिलते हैं. वहां उनके द्वारा एक छोटा सा शिवलिंग स्थापित किया गया है. इसके अलावा उनके विमान के पहिए और कई शिवलिंग और श्रीराम लक्ष्मण मां जानकी हनुमान जी के चरण का निशान भी है. साथ ही कई और निशान वहां पर हैं.


धार्मिक जानकार मिट्ठू मिश्रा का कहना है कि भगवान त्रेता युग में पितरों की तृप्ति, शांति और मुक्ति के लिए जब गया श्राद्ध के लिए जा रहे थे, उसी यात्रा में तीर्थराज प्रयाग में पिंडदान करने के बाद विंध्य धरा पर विमान उतरा है. पर्वत गंगा का संगम जहां पर है, वहां पर श्रीराम ने पितरों का पिंडदान किया है. मान्यता है कि जो भी अपने पितरों का पिंडदान करता है वह सद्गति को प्राप्त होता है. इसलिए राम भगवान भी यहां पर पिंडदान किए हैं.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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