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नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की होती है आराधना, दर्शन कर मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण - विंध्याचल मंदिर

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित मां विंध्यवासिनी धाम में नवरात्र के पांचवें दिन भक्तों ने मां दुर्गा के स्कंदमाता के रूप के दर्शन किए. मंदिर परिसर में रात से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था.

मां स्कंदमाता
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Published : Oct 3, 2019, 11:45 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम में आज मां के पंचम रूप स्कंदमाता की आराधना की गई. मंगला आरती के बाद श्रद्धालु मां के पांचवें रूप का दर्शन पाकर धन्य हो गए. माता के दरबार में आधी रात से ही कतार में लगे भक्त मां का दर्शन पाने के लिए उत्सुक थे. कहा जाता है कि मां विंध्यवासनी के स्कंदमाता स्वरूप का दर्शन मात्र से ही भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं.

नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की आराधना.

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
पांचवें दिन पूजी जाती है मां स्कन्द के रूप में....

आदिशक्ति दुर्गा की पांचवीं स्वरूपा भगवती स्कंदमाता की पूजा, नवरात्र के पांचवें दिन की जाती है. भगवान स्कंद की माता होने के कारण श्री दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है. माता के विग्रह में भगवान स्कन्द बाल रूप में इनके गोद में बैठे हुए हैं. माता की चार भुजाएं हैं, जिसमें दाहिने तरफ की ऊपर वाली भुजा से मां श्री स्कन्द को पकड़ी हुई हैं. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ है और ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, जिस कारण माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है.

इसे भी पढ़ें:- Navratri 2019: नवरात्रि का चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की पूजा, जानिए विधि-विधान

सच्चें भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण
आस्थावान भक्तों में मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा और भक्ति पूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. महादेव की पत्नी होने के कारण माहेश्वरी और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के नाम से भी माता का पूजन किया जाता हैं. माता को अपने पुत्र से अधिक स्नेह है, जिस कारण इन्हें इनके पुत्र स्कन्द के नाम से ही पुकारा जाता है.

मिर्जापुर: विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम में आज मां के पंचम रूप स्कंदमाता की आराधना की गई. मंगला आरती के बाद श्रद्धालु मां के पांचवें रूप का दर्शन पाकर धन्य हो गए. माता के दरबार में आधी रात से ही कतार में लगे भक्त मां का दर्शन पाने के लिए उत्सुक थे. कहा जाता है कि मां विंध्यवासनी के स्कंदमाता स्वरूप का दर्शन मात्र से ही भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं.

नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की आराधना.

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
पांचवें दिन पूजी जाती है मां स्कन्द के रूप में....

आदिशक्ति दुर्गा की पांचवीं स्वरूपा भगवती स्कंदमाता की पूजा, नवरात्र के पांचवें दिन की जाती है. भगवान स्कंद की माता होने के कारण श्री दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है. माता के विग्रह में भगवान स्कन्द बाल रूप में इनके गोद में बैठे हुए हैं. माता की चार भुजाएं हैं, जिसमें दाहिने तरफ की ऊपर वाली भुजा से मां श्री स्कन्द को पकड़ी हुई हैं. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ है और ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, जिस कारण माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है.

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सच्चें भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण
आस्थावान भक्तों में मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा और भक्ति पूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. महादेव की पत्नी होने के कारण माहेश्वरी और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के नाम से भी माता का पूजन किया जाता हैं. माता को अपने पुत्र से अधिक स्नेह है, जिस कारण इन्हें इनके पुत्र स्कन्द के नाम से ही पुकारा जाता है.

Intro: सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
  शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||

विश्व प्रसिद्ध  माँ विंध्यवासिनी धाम में आज  माँ  के पंचम रूप स्कंदमाता की आरधना की गयी। मंगला आरती के बाद माँ के पांचवे  रूप का दर्शन  पा  कर  भक्त  धन्य हो गए  ,,  आधी रात से  ही कतार में लगे भक्त माँ के इस रूप का दर्शन पाने के लिए  लालायित  थे कहा  जाता  है माँ विंध्यवासनी  के स्कंदमाता  स्वरूप  का दर्शन  मात्र  से  भक्तो  की   समस्त इच्छाए  पूर्ण  होती  हैBody: आदिशक्ति दुर्गा की पांचवी स्वरूपा भगवती  स्कंदमाता की पूजा नवरात्र के पांचवे दिन की जाती है. भगवान स्कन्द की माता होने के कारण श्री दुर्गा के इस स्वरुप को स्कंदमाता कहा जाता है. माता के विग्रह में भगवान स्कन्द बाल रूप में इनके गोद में बैठे हुए हैं. माता की चार भुजाएं हैं, जिनमें दाहिने तरफ की ऊपर वाली भुजा से श्री स्कन्द को पकड़ी हुई हैं. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ है और ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, जिस कारण माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है. आस्थावान भक्तो में मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा और भक्ति पूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है, महादेव की पत्नी होने के कारण माहेश्वरी और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के नाम से भी माता का पूजन किया जाता है. माता को अपने पुत्र से अधिक स्नेह है, जिस कारण इन्हें इनके पुत्र स्कन्द के नाम से ही पुकारा जाता है । तो आइये जयकारा लगाए माँ के स्कंदमाता रूप का, बोल मैया स्कंदमाता की जय।

Bite-अमित तिवारी-भक्त
Bite-पंडित अजय -तीर्थपुरोहित

जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630Conclusion:
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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