मिर्जापुर: विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम में आज मां के पंचम रूप स्कंदमाता की आराधना की गई. मंगला आरती के बाद श्रद्धालु मां के पांचवें रूप का दर्शन पाकर धन्य हो गए. माता के दरबार में आधी रात से ही कतार में लगे भक्त मां का दर्शन पाने के लिए उत्सुक थे. कहा जाता है कि मां विंध्यवासनी के स्कंदमाता स्वरूप का दर्शन मात्र से ही भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं.
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
पांचवें दिन पूजी जाती है मां स्कन्द के रूप में....
आदिशक्ति दुर्गा की पांचवीं स्वरूपा भगवती स्कंदमाता की पूजा, नवरात्र के पांचवें दिन की जाती है. भगवान स्कंद की माता होने के कारण श्री दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है. माता के विग्रह में भगवान स्कन्द बाल रूप में इनके गोद में बैठे हुए हैं. माता की चार भुजाएं हैं, जिसमें दाहिने तरफ की ऊपर वाली भुजा से मां श्री स्कन्द को पकड़ी हुई हैं. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ है और ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, जिस कारण माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है.
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सच्चें भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण
आस्थावान भक्तों में मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा और भक्ति पूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. महादेव की पत्नी होने के कारण माहेश्वरी और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के नाम से भी माता का पूजन किया जाता हैं. माता को अपने पुत्र से अधिक स्नेह है, जिस कारण इन्हें इनके पुत्र स्कन्द के नाम से ही पुकारा जाता है.