मिर्जापुर : UP Assembly Election 2022 : जिले की पांच विधानसभाओं में सबसे प्रतिष्ठित विधानसभा सीट माने जाने वाली सदर विधानसभा सीट, हमेशा ही राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनौतीपूर्ण रही है. इस बार विधानसभा चुनाव में खराब सड़क व अकोढ़ी गांव में कर्णावती नदी पर बन रहा पुल चुनावी मुद्दा बन सकता है. शहर के कई मोहल्ले की सड़क खराब है. जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं. राहगीरों को आने-जाने में परेशानी हो रही है. साथ ही बाढ़ इलाके में 3 साल से बन रहे धीमी गति से अकोढ़ी पुल को लेकर जनता सवाल कर सकती है, क्योंकि चार पहिया वाहन को गांव में जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. शहर की खराब सड़कों ने रफ्तार को थाम दिया है. यह मुद्दा इस चुनाव में हावी रहेगा.
खराब सड़कें बन सकती हैं इस चुनाव में मुद्दा
मिर्जापुर सदर विधानसभा ग्रामीण और शहर को मिलाकर बनाया गया है. शहर की ज्यादातर सड़कें खराब है. जगह-जगह टूटी हैं और गड्ढे में तब्दील हैं, जिससे आने-जाने वाले लोगों को 2 से 3 साल सें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि अमृत जल योजना के तहत बिछाई जा रही पाइप लाइन के चलते 2 साल से पूरे शहर की सड़क को खोद दिया गया है. पाइप लाइन बिछाए जाने के बाद सड़क का मेंटेनेंस किया जाना चाहिए था, नहीं किए जाने से नाली भी जाम हो गई है. अब पानी की निकासी नहीं होने से सड़कों पर पानी जमा रहता है. सड़क खोदकर सीवर पाइप लाइन बिछाए जाने से पूरी तरह से शहर भर की सड़कें खराब हैं. इस समस्या को लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से समस्या को अवगत कराया और शिकायत की, इसके बावजूद भी अभी कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है.
मिर्जापुर सदर विधानसभा शहर और ग्रामीण इलाके को मिलाकर बनाया गया है. ग्रामीण इलाके में हर तीसरे साल बाढ़ से लोग परेशान होते हैं. बाढ़ इलाके में इस वक्त अकोढ़ी गांव में कर्णावती नदी पर बन रहा पुल लोगों के लिए मुद्दा बना हुआ है. अकोढ़ी बबुरा मार्ग को जोड़ने के लिए तीन सालों से यहां पर पुल का निर्माण किया जा रहा है. धीमी गति से पुल का निर्माण होने की वजह से ग्रामीण परेशान हैं. पुराने पुल से केवल बाइक, साइकिल और पैदल के लिए अस्थाई पुल तो बना दिया गया है. मगर चार पहिया वाहन के लिए 30 से 40 किलोमीटर का चक्कर लगाकर लोगों को गांव पहुंचना होता है. यहां तक किसी को एंबुलेंस की मदद की जरूरत होती है तो एंबुलेंस वाले भी इंकार कर देते हैं, कहते हैं आपके यहां गाड़ी नहीं पहुंच पाएगी.
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तीन साल से धीमी गति से चल रहे निर्माण को लेकर ग्रामीण अब सवाल खड़ा कर रहे हैं. इस पुल से दर्जनों गांव के सैकड़ों लोगों का आना जाना होता है. सबसे ज्यादा परेशानी किसानी के समय होती है, जब किसानों को अनाज अपने घर लाने के लिए चक्कर काट कर आना पड़ता है.