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मिर्जापुर: इस बार नहीं होगी कुश्ती की प्रतियोगिता, अखाड़े में दमखम नहीं दिखा पाएंगे पहलवान

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में इस बार पहलवान कुश्ती की प्रतियोगिता में अखाड़े में अपना दमखम नहीं दिखा पाएंगे. नाग पंचमी से जिले में विभिन्न स्थानों पर शुरू होने वाली दंगल प्रतियोगिता को कोरोना के कारण रद्द कर दिया गया है.

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अखाड़े में दमखम नहीं दिखा पाएंगे पहलवान.
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Published : Jul 25, 2020, 11:28 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर : जिले में आज भी अखाड़े की परंपरा कायम है. अखाड़े में पहुंचकर पहलवान कुश्ती के दांव पेंच सीखते हैं. इस बार कोरोना वायरस के कारण जिले में दंगल प्रतियोगिता का आयोजन नहीं होगा. नाग पंचमी के अवसर से शुरू होने वाली दंगल प्रतियोगिताओं को इस बार रद्द कर दिया गया है. इस कारण पहलवान इस बार अखाड़े में अपना दमखम नहीं दिखा पाएंगे.

कोरोना के कारण इस बार नहीं होगी कुश्ती की प्रतियोगिता.
नाग पंचमी से लेकर महीनों तक चलने वाले शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक दंगल प्रतियोगिता और पहलवानों की प्रदर्शनी की तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं. नाग पंचमी के अवसर पर भी हर साल कई स्थानों पर दंगल प्रतियोगिता का आयोजन होता था. इस प्रतियोगिता में विभिन्न राज्यों व जिलों से पहलवान आते थे.

सैकड़ों वर्षो से घोड़े शहीद अखाड़े पर नाग पंचमी और आगे भी कई दंगल- कुश्ती की प्रतियोगिता कराई जाती रही है. हरियाणा, दिल्ली, बिहार, पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई जगह के पहलवान इन प्रतियोगिताओं में आते थे. इस बार कोरोना के कारण इन प्रतियोगिताओं को रद्द कर दिया गया है.

नाग पंचमी पर कछुआ के परेड वार्ड स्थित श्री सत्यनारायण सिंह खेल संस्थान में होने वाली दंगल प्रतियोगिता में देश के नामी पहलवान शिरकत करते हैं. प्रतियोगिता में 20 हजार से लेकर एक लाख तक के इनाम होते हैं. वर्षों से लोहन्दी कला ओझला का पुल और कजरहवा में नाग पंचमी पर दंगल प्रतियोगिता कराई जाती रही है. इसके अलावा दुखी का अखाड़ा ,बदली घाट, इटवा ,रानी चौकिया, मोहनपुर पहड़ी, भरुहना जैसे तमाम स्थानों प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता रहा है.

लाल डिग्गी, दुर्गा बाजार, पुलिस लाइन जैसे बड़े अखाड़े बंद हो गए हैं. अब यहां पहलवान नहीं दिखाई देते हैं. जिले में अभी भी बिहारी, सुरेश ,मुन्नी उर्फ गुलाब ,जोखु, राजेंद्र जैसे तमाम पहलवान हैं, जो दंगल प्रतियोगिताओं में अपना दमखम दिखाते हैं. वहीं पहलवानों का कहना है कि बच्चे अब जिम के प्रति ज्यादा अकर्षित हैं और अखाड़े में उनकी रूची कम होती जा रही है. इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए.


कम हो रहा कुश्ती का क्रेज

घोड़े शहीद के पहलवान लवकुश यादव ने बताया कि शहर से लेकर गांव तक कुश्ती का क्रेज कम हो रहा है. अब युवा कुश्ती में दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं. एक दौर था जब घर के बुजुर्ग बच्चों को पहलवानी के प्रति प्रेरित करते थे, जो अब कम हो गया है. वहीं 40 वर्षी से पहलवानी कर रहे पहलवानों का कहना है कि दंगल का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता था लेकिन कोरोना के कारण इस बार वर्षों पुरानी परंपरा टूट गई है.

मिर्जापुर : जिले में आज भी अखाड़े की परंपरा कायम है. अखाड़े में पहुंचकर पहलवान कुश्ती के दांव पेंच सीखते हैं. इस बार कोरोना वायरस के कारण जिले में दंगल प्रतियोगिता का आयोजन नहीं होगा. नाग पंचमी के अवसर से शुरू होने वाली दंगल प्रतियोगिताओं को इस बार रद्द कर दिया गया है. इस कारण पहलवान इस बार अखाड़े में अपना दमखम नहीं दिखा पाएंगे.

कोरोना के कारण इस बार नहीं होगी कुश्ती की प्रतियोगिता.
नाग पंचमी से लेकर महीनों तक चलने वाले शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक दंगल प्रतियोगिता और पहलवानों की प्रदर्शनी की तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं. नाग पंचमी के अवसर पर भी हर साल कई स्थानों पर दंगल प्रतियोगिता का आयोजन होता था. इस प्रतियोगिता में विभिन्न राज्यों व जिलों से पहलवान आते थे.

सैकड़ों वर्षो से घोड़े शहीद अखाड़े पर नाग पंचमी और आगे भी कई दंगल- कुश्ती की प्रतियोगिता कराई जाती रही है. हरियाणा, दिल्ली, बिहार, पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई जगह के पहलवान इन प्रतियोगिताओं में आते थे. इस बार कोरोना के कारण इन प्रतियोगिताओं को रद्द कर दिया गया है.

नाग पंचमी पर कछुआ के परेड वार्ड स्थित श्री सत्यनारायण सिंह खेल संस्थान में होने वाली दंगल प्रतियोगिता में देश के नामी पहलवान शिरकत करते हैं. प्रतियोगिता में 20 हजार से लेकर एक लाख तक के इनाम होते हैं. वर्षों से लोहन्दी कला ओझला का पुल और कजरहवा में नाग पंचमी पर दंगल प्रतियोगिता कराई जाती रही है. इसके अलावा दुखी का अखाड़ा ,बदली घाट, इटवा ,रानी चौकिया, मोहनपुर पहड़ी, भरुहना जैसे तमाम स्थानों प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता रहा है.

लाल डिग्गी, दुर्गा बाजार, पुलिस लाइन जैसे बड़े अखाड़े बंद हो गए हैं. अब यहां पहलवान नहीं दिखाई देते हैं. जिले में अभी भी बिहारी, सुरेश ,मुन्नी उर्फ गुलाब ,जोखु, राजेंद्र जैसे तमाम पहलवान हैं, जो दंगल प्रतियोगिताओं में अपना दमखम दिखाते हैं. वहीं पहलवानों का कहना है कि बच्चे अब जिम के प्रति ज्यादा अकर्षित हैं और अखाड़े में उनकी रूची कम होती जा रही है. इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए.


कम हो रहा कुश्ती का क्रेज

घोड़े शहीद के पहलवान लवकुश यादव ने बताया कि शहर से लेकर गांव तक कुश्ती का क्रेज कम हो रहा है. अब युवा कुश्ती में दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं. एक दौर था जब घर के बुजुर्ग बच्चों को पहलवानी के प्रति प्रेरित करते थे, जो अब कम हो गया है. वहीं 40 वर्षी से पहलवानी कर रहे पहलवानों का कहना है कि दंगल का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता था लेकिन कोरोना के कारण इस बार वर्षों पुरानी परंपरा टूट गई है.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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