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मिर्जापुर: टीबी के बारे में डॉक्टरों ने छिपाया तो होगी 2 साल की सजा

यूपी के मिर्जापुर में किसी निजी चिकित्सक ने टीबी रोगी की जानकारी छिपाया तो उसको आईपीसी की धारा 269/70 के तहत दो वर्ष तक जेल हो सकती है. शासन द्वारा जारी किये इस कानून का जिले में कड़ाई से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं.

टीबी की जानकारी छिपाने पर डॉक्टरों को होगी दो साल की सजा
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Published : Oct 14, 2019, 10:16 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: जिले में टीबी रोगी की जानकारी कोई प्राइवेट डॉक्टर छुपाता है तो उसको आईपीसी की धारा 269/70 के तहत दो वर्ष तक जेल भेजने का प्रावधान है. इस कानून का जिले में कड़ाई से पालन किया जा रहा है. विभाग का मात्र एक उद्देश टीबी का एक भी मरीज चिन्हित हुए बिना नहीं रह सकता है.

जानकारी देते क्षय रोग अधिकारी.

इसके चलते स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी निजी डाक्टरों और अस्पतालों को इसके विषय में पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है. मरीजों की सूचना स्वास्थ्य विभाग को देने में किसी भी प्रकार की लापरवाही होती है तो उसके खिलाफ विभाग की तरफ से कार्रवाई की जाएगी.

इसे भी पढ़ें- मिर्जापुर: घर-घर खोजे जा रहे हैं टीबी के मरीज, क्षय रोग से मुक्त करने का है लक्ष्य

विभाग का मुख्य उद्देश्य
विभाग का उद्देश्य जनपद में कितने टीबी रोगी हैं, इसका आंकड़ा होना चाहिए. प्राइवेट डॉक्टर इलाज करें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उसका आंकड़ा विभाग तक जरूर पहुंचाएं. अगर कोई डॉक्टर बताता है तो उसके एवज में उनको 500 रुपये इनफार्म करने पर मिलता है. वो राशि विभाग द्वारा दी जाती है या डॉक्टर खुद भेजकर मरीजों का इलाज करवा सकते हैं. निशुल्क टीबी रोग चिन्हित होने पर मरीज को उनके भरण-पोषण के लिए हर महीने 500 रुपये दिये जाएंगे.

क्षय रोग अधिकारी डॉ. एल एस मिश्रा का कहना है
कोई चिकित्सक किसी भी टीबी मरीज की जानकारी छुपाता है तो उसको आईपीसी की धारा 269/70 के तहत दो वर्ष तक जेल भेजने का प्रावधान है. जनवरी 2019 से अगस्त 2019 तक 2464 टीबी रोगी मरीज को चिन्हित किया जा चुका है. सभी निजी अस्पतालों और डॉक्टरों पर नजर रखी जा रही है.

डॉक्टर किसी टीबी रोगी इलाज करते हैं तो उसकी जानकारी विभाग को जरूर दें. जानकारी न देने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अच्छे डॉक्टर तो रिपोर्ट दे रहे हैं, लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं. जांच करने पर हॉस्पिटल बंद करके भाग जाते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ऐसे डॉक्टरों की वजह से सही आंकड़ा नहीं मिल पाता है, जिससे विभाग को परेशानी होती है.

मिर्जापुर: जिले में टीबी रोगी की जानकारी कोई प्राइवेट डॉक्टर छुपाता है तो उसको आईपीसी की धारा 269/70 के तहत दो वर्ष तक जेल भेजने का प्रावधान है. इस कानून का जिले में कड़ाई से पालन किया जा रहा है. विभाग का मात्र एक उद्देश टीबी का एक भी मरीज चिन्हित हुए बिना नहीं रह सकता है.

जानकारी देते क्षय रोग अधिकारी.

इसके चलते स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी निजी डाक्टरों और अस्पतालों को इसके विषय में पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है. मरीजों की सूचना स्वास्थ्य विभाग को देने में किसी भी प्रकार की लापरवाही होती है तो उसके खिलाफ विभाग की तरफ से कार्रवाई की जाएगी.

इसे भी पढ़ें- मिर्जापुर: घर-घर खोजे जा रहे हैं टीबी के मरीज, क्षय रोग से मुक्त करने का है लक्ष्य

विभाग का मुख्य उद्देश्य
विभाग का उद्देश्य जनपद में कितने टीबी रोगी हैं, इसका आंकड़ा होना चाहिए. प्राइवेट डॉक्टर इलाज करें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उसका आंकड़ा विभाग तक जरूर पहुंचाएं. अगर कोई डॉक्टर बताता है तो उसके एवज में उनको 500 रुपये इनफार्म करने पर मिलता है. वो राशि विभाग द्वारा दी जाती है या डॉक्टर खुद भेजकर मरीजों का इलाज करवा सकते हैं. निशुल्क टीबी रोग चिन्हित होने पर मरीज को उनके भरण-पोषण के लिए हर महीने 500 रुपये दिये जाएंगे.

क्षय रोग अधिकारी डॉ. एल एस मिश्रा का कहना है
कोई चिकित्सक किसी भी टीबी मरीज की जानकारी छुपाता है तो उसको आईपीसी की धारा 269/70 के तहत दो वर्ष तक जेल भेजने का प्रावधान है. जनवरी 2019 से अगस्त 2019 तक 2464 टीबी रोगी मरीज को चिन्हित किया जा चुका है. सभी निजी अस्पतालों और डॉक्टरों पर नजर रखी जा रही है.

डॉक्टर किसी टीबी रोगी इलाज करते हैं तो उसकी जानकारी विभाग को जरूर दें. जानकारी न देने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अच्छे डॉक्टर तो रिपोर्ट दे रहे हैं, लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं. जांच करने पर हॉस्पिटल बंद करके भाग जाते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ऐसे डॉक्टरों की वजह से सही आंकड़ा नहीं मिल पाता है, जिससे विभाग को परेशानी होती है.

Intro:मिर्जापुर टीबी रोगी की जानकारी कोई प्राइवेट डॉक्टर छुपाता है तो उसको आईपीसी के विभिन्न धाराओं के तहत 2 वर्ष तक जेल भेजने का प्रावधान है इस कानून का जिले में कड़ाई से पालन किया जा रहा है । विभाग का मात्र एक उद्देश टीबी का एक भी मरीज चिन्हित हुए बिना नहीं रह सकता है इसके चलते स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी निजी डाक्टरों और अस्पतालों को इसके विषय में पत्र के माध्यम से अवगत किया जा चुका है मरीजों की सूचना स्वास्थ्य विभाग को देने में किसी भी प्रकार की लापरवाही होती है तो उसके खिलाफ विभाग की तरफ से कार्रवाई की जाएगी।


Body:मिर्जापुर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एल एस मिश्रा का कहना है कि यदि कोई चिकित्सक किसी भी टीबी रोगी की जानकारी छुपाता है तो उसको आईपीसी की धारा 269/ 70 के तहत 2 वर्ष तक जेल भेजने का प्रावधान है इस कानून का जिले में कड़ाई से पालन कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जनवरी 2019 से अगस्त 2019 तक 2464 टीबी रोगी मरीज को चिन्हित किया जा चुका है विभाग का एकमात्र देश टीबी का एक भी मरीज चिन्हित हुए बिना नहीं रह सकता है इसके चलते स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी निजी डाक्टरों और अस्पतालों को इसके विषय में पत्र भेजकर अवगत कराया गया है। सभी निजी अस्पतालों और डॉक्टरों पर नजर रखी जा रही है किसी टीबी रोगी इलाज करते हैं तो उसकी जानकारी विभाग तक अवश्य दें नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी क्योंकि विभाग का उद्देश्य है कि जनपद में कितने टीबी रोगी हैं इसका आंकड़ा होना चाहिए। प्राइवेट डॉक्टर इलाज करें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन उसका आंकड़ा विभाग तक जरूर पहुंचाएं। यदि कोई डॉक्टर बताता है तो उसके एवज में उनको ₹500 इन फार्म करने पर मिलता है वह राशि विभाग से दिया जाता है या डॉक्टर खुद यहां भेजकर उसका इलाज करवा सकते हैं निशुल्क टीबी रोग चिन्हित होने पर मरीज को भी हर महीने ₹500 दिया जाएगा उसके भरण-पोषण के लिए। यह डॉक्टर से पाते हैं तो सीएमओ का अधिकार है कि उनका रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दें फिलहाल अभी हमारे जनपद में इस तरह के कोई मामला नहीं आया है अच्छे डॉक्टर तो रिपोर्ट दे रहे हैं लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो नहीं दे रहे हैं जब उनकी जांच की जाती है तो दुकान बंद करके भाग लेते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी उन्हीं की वजह से आंकड़ा सही नहीं मिल पाता है जिससे विभाग को परेशानी होती है।

बाईट-एल एस मिश्रा-जिला क्षय रोग अधिकारी


जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630



Conclusion:
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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