मिर्जापुर: जिले में टीबी रोगी की जानकारी कोई प्राइवेट डॉक्टर छुपाता है तो उसको आईपीसी की धारा 269/70 के तहत दो वर्ष तक जेल भेजने का प्रावधान है. इस कानून का जिले में कड़ाई से पालन किया जा रहा है. विभाग का मात्र एक उद्देश टीबी का एक भी मरीज चिन्हित हुए बिना नहीं रह सकता है.
इसके चलते स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी निजी डाक्टरों और अस्पतालों को इसके विषय में पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है. मरीजों की सूचना स्वास्थ्य विभाग को देने में किसी भी प्रकार की लापरवाही होती है तो उसके खिलाफ विभाग की तरफ से कार्रवाई की जाएगी.
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विभाग का मुख्य उद्देश्य
विभाग का उद्देश्य जनपद में कितने टीबी रोगी हैं, इसका आंकड़ा होना चाहिए. प्राइवेट डॉक्टर इलाज करें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उसका आंकड़ा विभाग तक जरूर पहुंचाएं. अगर कोई डॉक्टर बताता है तो उसके एवज में उनको 500 रुपये इनफार्म करने पर मिलता है. वो राशि विभाग द्वारा दी जाती है या डॉक्टर खुद भेजकर मरीजों का इलाज करवा सकते हैं. निशुल्क टीबी रोग चिन्हित होने पर मरीज को उनके भरण-पोषण के लिए हर महीने 500 रुपये दिये जाएंगे.
क्षय रोग अधिकारी डॉ. एल एस मिश्रा का कहना है
कोई चिकित्सक किसी भी टीबी मरीज की जानकारी छुपाता है तो उसको आईपीसी की धारा 269/70 के तहत दो वर्ष तक जेल भेजने का प्रावधान है. जनवरी 2019 से अगस्त 2019 तक 2464 टीबी रोगी मरीज को चिन्हित किया जा चुका है. सभी निजी अस्पतालों और डॉक्टरों पर नजर रखी जा रही है.
डॉक्टर किसी टीबी रोगी इलाज करते हैं तो उसकी जानकारी विभाग को जरूर दें. जानकारी न देने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अच्छे डॉक्टर तो रिपोर्ट दे रहे हैं, लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं. जांच करने पर हॉस्पिटल बंद करके भाग जाते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ऐसे डॉक्टरों की वजह से सही आंकड़ा नहीं मिल पाता है, जिससे विभाग को परेशानी होती है.