मिर्जापुर: विंध्याचल के रहने वाले जोखू राम सोनकर दो वर्षों से प्रतिदिन विंध्याचल रेलवे स्टेशन और बस अड्डा के पास झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब असहाय लोगों को खाना खिला रहे हैं. जोखू राम को देखते ही भूखे पेट रहने वाले बच्चे बड़े अपनी थाली कटोरी लेकर दौड़ पड़ते हैं. लाइन में खाने के लिए बैठ जाते हैं. तब जोखू राम अपने हाथों से खाना परोस कर खिलाते हैं. जोखू राम कहते हैं कि गरीबी हमने बचपन में देखी है. अब मुझे किसी चीज की कमी नहीं है. इसलिए हम गरीबों को खाना खिला रहे हैं, जो गरीब छूट जाते हैं मेरे घर आते हैं उनको भी हम खाना खिलाते हैं.
- जोखू राम प्रतिदिन 10 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे के बीच खाना खिलाते हैं.
- जोखू राम खाना गरीब और बेसहारा वृद्धों और बच्चों को खिलाते हैं.
- अपने हाथों से खाना परोस कर वितरित करते हैं.
- विंध्याचल में बस अड्डा और रेलवे स्टेशन के पास चयनित किया है, जहां बेसहारा असहाय लोगों का डेरा रहता है.
यह लोग प्रतिदिन सुबह 10 बजे के बाद इंतजार करने लगते हैं. जोखू राम को देखते ही बस्ती के छोटे-बड़े बच्चे थाली कटोरी लेकर दौड़ पड़ते हैं. लाइन में बैठ जाते हैं तब जोखू खुद अपने हाथों से इन गरीबों को रोटी, चावल, दाल और सब्जी परोसते हैं और यह गरीब चाव से खाना खाते हैं, जो खाना जोखू राम सोनकर खुद खाते हैं वहीं खाना इन लोगों के लिए भी बनवाते हैं. प्रतिदिन 70 से 100 लोगों की बस्तियों में जाकर और अपने घर पर मिलकर खिलाते हैं. अपने मदद से किसी का कोई इसमें सहयोग नहीं लेते हैं.
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गरीबों की सेवा में ही लगाएंगे अपना सारा जीवन
जोखू राम सोनकर का कहना है कि गरीबी हम बचपन में देखे हैं. उसी समय हमने मन बना लिया था कि हमारे पास यदि कुछ होता है तो हम जरूर इन गरीबों के लिए खाने का बंदोबस्त करेंगे. आज हमारे तीन बेटे हैं एक नायब तहसीलदार दूसरा डॉक्टर तीसरा पढ़ रहा है. अब मेरे पास किसी चीज की कमी नहीं है. अब हम इन गरीबों की सेवा में ही अपना जीवन लगाएंगे. हमने ऐसे ही स्थान चयनित किया है. जहां इस प्रकार के लोग रहते हैं, जिनको खाने की मदद चाहिए.
संडे को स्पेशल खाने की करते हैं व्यवस्था
प्रतिदिन हम लगभग 70 से 100 लोगों को खाना परोस रहे हैं. कभी-कभी इनके बच्चे कहते अंकल संडे को स्पेशल कुछ बनाकर खिला दो पनीर की डिमांड कर देते हैं तो वह भी मैं पूरा करता हूं. क्योंकि बच्चों से मुझे बहुत प्यार हो गया है. यह गरीब बच्चे किसी की गाड़ी रूकती है तो इनके बस्ती में तो उनको लगता है कि जोखू राम आ गया. यह हमारे इंतजार में रहते हैं खाना खाकर खुश हो जाते हैं और मुझे भी शांति मिलती है. बस्तियों के साथ ही अपने घर पर भी व्यवस्था करते हैं, जो गरीब वहां आ जाते हैं उनको भी वह खाना वितरित करते हैं.