मेरठ: जिले के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों की लापरवाही से न सिर्फ मरीजों की मौत हो रही है, बल्कि प्रशासन के सभी दावों की भी पोल भी खुल रही है. आये दिन मरीजों की मौत के बाद परिजन मेडिकल स्टॉफ पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. मेडिकल इमरजेंसी के बाहर मरीजों को बेड और ऑक्सीजन के लिए घंटों तक इंतजार करना पड़ रहा है. समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने पर गंभीर अवस्था में आये मरीज तड़प-तड़पकर दम तोड़ रहे हैं.
बुधवार को ऐसे ही कई मरीज मेडिकल कॉलेज के बाहर तड़पते नजर आए. जिनका ऑक्सीजन लेवल 50 होने के बाद भी भर्ती नहीं किया गया. बेड नहीं मिलने पर किसी ने जमीन पर दम तोड़ दिया, तो किसी ने ई-रिक्शा में आखिरी सांस ली. इतना ही नहीं मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीज की मौत हो गई. जिसके बाद परिजन ये कहते दिखे की अगर वे मरीज को यहां नहीं लेकर आते, तो उसकी मौत न होती.
सरकारी दावों की खुली पोल
आपको बता दें कि इन दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में कोरोना संक्रमण का कहर बढ़ता जा रहा है. आलम ये है कि जिले में मेडिकल कॉलेज समेत 34 कोविड अस्पताल मरीजों से भरे हुए हैं. संक्रमण से यहां आये दिन बड़ी संख्या में मरीजों की मौत हो रही है. वहीं हजारों की संख्या में पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि मंडलायुक्त एवं जिला प्रशासन बेहतर इलाज देने के दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत सच्चाई से कोसों दूर है. लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में बेहतर इलाज मिलना तो दूर गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन और बेड भी मुहैया नहीं हो पा रहे हैं. जिससे मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी के बाहर ही मरीजों की मौत हो रही है. परिजन मेडिकल स्टॉफ पर लापरवाही और वसूली का आरोप लगा रहे हैं.
3 घंटे तक भटकते रहे परिजन
बुधवार को मेडिकल इमरजेंसी पंहुची महिला हुस्नआरा का ऑक्सीजन लेवल 50 था. परिजन भर्ती कराने के लिए मेडिकल स्टॉफ की खुशामद कर रहे थे. लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की. जिसके चलते हुस्नआरा 3 घंटों तक बेड के लिए तड़पती रही. ऑक्सीजन लेवल 50 होने पर भी भर्ती नहीं किया गया और अंत में ई-रिक्शे में ही तड़पकर हुस्नआरा की मौत हो गई. बेबश परिजन सरकारी दावों को कोसते हुए महिला के शव को घर ले गए.
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भरे हुए हैं इमरजेंसी के बेड
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर ज्ञानेंद्र कुमार का कहना है कि कोविड के चलते मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड फुल चल रहे हैं. 55 बेडों पर 70 से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा रहा है. हालात ये है कि कई बेडों पर तो दो-दो मरीज भर्ती किये गए हैं. जिसके चलते महिला को भर्ती नहीं किया जा सका. ऐसे में अगर मेडिकल स्टॉफ की लापरवाही मिलती है, तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.