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मिलिए, यूपी की पहली महिला रोडवेज ड्राइवर से, संघर्ष जानकर दंग रह जाएंगे आप - मेरठ की खबर

ये सफलता की सच्ची कहानी है एक ऐसी महिला की जिसने कठिन संघर्षों से हार नहीं मानी. आज इस महिला की कामयाबी से हर कोई चकित है. चलिए जानते हैं यूपी की पहली महिला रोडवेज ड्राइवर के संघर्ष और सफलता की दास्तान.

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Published : Dec 25, 2022, 9:48 PM IST

मेरठः यूपी की पहली महिला रोडवेज चालक (UP first woman roadways driver) प्रियंका शर्मा रविवार को बस लेकर मेरठ के बस अड्डे पर पहुंची तो यात्री उन्हें देखकर चकित रह गए. महिला ड्राइवर को देखकर यात्रियों ने तालियां बजाकर उनका अभिनंदन किया. नारी शक्ति की यह सफलता देखकर हर कोई प्रभावित नजर आया.

चालक प्रियंका शर्मा ने बताया कि उनकी कामयाबी के पीछे पीएम मोदी और सीएम योगी हैं. अगर वह महिला बस ड्राइवर की भर्ती न निकालते तो वह शायद आज यहां तक न पहुंच पातीं. उन्होंने बताया कि पति के निधन के बाद उन्होंने चाय बेची. परिवार ने उनका साथ छोड़ दिया लेकिन प्रियंका ने हार नहीं मानी और अंत में सफलता प्राप्त की.

यूपी की पहली महिला रोडवेज बस चालक प्रियंका शर्मा.

उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले एक जगह ट्रक सीखने के लिए क्लीनर का काम किया. इसके बाद उन्होंने ट्रक चलाना सीखा. इसके बाद रोडवेज में महिला चालकों के लिए भर्ती निकली तो उन्होंने अपनी किस्मत आजमाई और आज वह अपनी मेहनत और लगन के बदौलत यहां पर पहुंच गईं. उन्होंने बताया कि एआरएम कौशाम्बी डिपो ने कहा कि एक अप्रैल से उनकी रुटीन ड्यूटी लगाई जाएगी.

मूलरूप से बिहार के बांका जिले के हरदौड़ी गांव की रहने वाली प्रियंका की शादी वर्ष 2002 में राजीव से हुई थी. उनके दो बेटे हैं. पति का निधन हुआ तो उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. अपने साथ छोड़ गए. उनपर आजीविका का भार आ गया. प्रियंका ने बताया कि शुरुआत में उन्होंने हेल्पर के तौर पर ट्रक पर काम किया. इसके बाद ट्रक ड्राइवर बनकर कमाने लगीं. हालांकि उनका ट्रक चलाना प्रियंका के माता-पिता और भाइयों को पसंद नही था. ट्रक चलाने के लिए प्रियंका दूसरे राज्यों तक जाया करती थीं. उन्होंने बच्चों को हॉस्टल भेज दिया ताकि वह अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकें और घर पर अकेले न रहना पड़े. प्रियंका का जीवन तब बदला, जब उन्हें यूपीएसआरटीसी में नौकरी मिली और वह बस चलाने वाली पहली महिला बस ड्राइवर बन गईं.



गाज़ियाबाद के कौशाम्बी डिपो के एआरएम शिवबालक का कहना है कि प्रियंका सरकारी बस चालक बन गई है. जुलाई में उनका चयन हुआ है. उनके साथ कई अन्य महिलाएं भी रोडवेज डिपो में बस चलाना सीख रहीं हैं. चूंकि प्रियंका ने ट्रक चला रखा है इसलिए भारी वाहन चलाने के अनुभव में वह सबसे आगे हैं. फिलहाल उन्हें अंडर ट्रेनिंग रखा है. आगामी अप्रैल तक उनकी परफॉरमेंस के आधार पर उन्हें रूट दे दिया जाएगा. ऐसी महिलाएं समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं.

ये भी पढ़ेंः चीन से दो दिन पहले आगरा लौटा व्यापारी कोरोना संक्रमित

मेरठः यूपी की पहली महिला रोडवेज चालक (UP first woman roadways driver) प्रियंका शर्मा रविवार को बस लेकर मेरठ के बस अड्डे पर पहुंची तो यात्री उन्हें देखकर चकित रह गए. महिला ड्राइवर को देखकर यात्रियों ने तालियां बजाकर उनका अभिनंदन किया. नारी शक्ति की यह सफलता देखकर हर कोई प्रभावित नजर आया.

चालक प्रियंका शर्मा ने बताया कि उनकी कामयाबी के पीछे पीएम मोदी और सीएम योगी हैं. अगर वह महिला बस ड्राइवर की भर्ती न निकालते तो वह शायद आज यहां तक न पहुंच पातीं. उन्होंने बताया कि पति के निधन के बाद उन्होंने चाय बेची. परिवार ने उनका साथ छोड़ दिया लेकिन प्रियंका ने हार नहीं मानी और अंत में सफलता प्राप्त की.

यूपी की पहली महिला रोडवेज बस चालक प्रियंका शर्मा.

उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले एक जगह ट्रक सीखने के लिए क्लीनर का काम किया. इसके बाद उन्होंने ट्रक चलाना सीखा. इसके बाद रोडवेज में महिला चालकों के लिए भर्ती निकली तो उन्होंने अपनी किस्मत आजमाई और आज वह अपनी मेहनत और लगन के बदौलत यहां पर पहुंच गईं. उन्होंने बताया कि एआरएम कौशाम्बी डिपो ने कहा कि एक अप्रैल से उनकी रुटीन ड्यूटी लगाई जाएगी.

मूलरूप से बिहार के बांका जिले के हरदौड़ी गांव की रहने वाली प्रियंका की शादी वर्ष 2002 में राजीव से हुई थी. उनके दो बेटे हैं. पति का निधन हुआ तो उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. अपने साथ छोड़ गए. उनपर आजीविका का भार आ गया. प्रियंका ने बताया कि शुरुआत में उन्होंने हेल्पर के तौर पर ट्रक पर काम किया. इसके बाद ट्रक ड्राइवर बनकर कमाने लगीं. हालांकि उनका ट्रक चलाना प्रियंका के माता-पिता और भाइयों को पसंद नही था. ट्रक चलाने के लिए प्रियंका दूसरे राज्यों तक जाया करती थीं. उन्होंने बच्चों को हॉस्टल भेज दिया ताकि वह अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकें और घर पर अकेले न रहना पड़े. प्रियंका का जीवन तब बदला, जब उन्हें यूपीएसआरटीसी में नौकरी मिली और वह बस चलाने वाली पहली महिला बस ड्राइवर बन गईं.



गाज़ियाबाद के कौशाम्बी डिपो के एआरएम शिवबालक का कहना है कि प्रियंका सरकारी बस चालक बन गई है. जुलाई में उनका चयन हुआ है. उनके साथ कई अन्य महिलाएं भी रोडवेज डिपो में बस चलाना सीख रहीं हैं. चूंकि प्रियंका ने ट्रक चला रखा है इसलिए भारी वाहन चलाने के अनुभव में वह सबसे आगे हैं. फिलहाल उन्हें अंडर ट्रेनिंग रखा है. आगामी अप्रैल तक उनकी परफॉरमेंस के आधार पर उन्हें रूट दे दिया जाएगा. ऐसी महिलाएं समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं.

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