मेरठ: उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में अब ऐसी व्यवस्था लागू होने जा रही है, जिसके तहत अब आपको आरटीओ दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. जी हां अब लाइसेंस विभाग नहीं बल्कि निजी फर्म के माध्यम से परमानेंट लाइसेंस तैयार होंगे. इसके लिए सेंसर युक्त ट्रैक और ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलवाकर आवेदक का ड्राइविंग टेस्ट किया जाएगा. इसमे सबसे अहम बात यह है कि अब ऐसे लोग जिन्हें ट्रैफिक नियमों का आधा अधूरा ज्ञान होगा. उनका लाइसेंस नहीं बन पाएगा.
दरअसल, बीते काफी समय पहले शासन के निर्देश के बाद संभागीय और उप संभागीय परिवहन कार्यालयों में आने वाले लोगों की भीड़ को कम करने के मकसद से कुछ उपाय किये गए थे, ताकि लाइसेंस के लिए आवेदन के लिए लोग घर बैठे अपना लर्निंग लाइसेंस बनवा सके. इसके लिए सिर्फ एंड्रॉयड मोबाइल के साथ-साथ मोबाइल नंबर आधार कार्ड से सम्बद्ध होना आवश्यक है. लेकिन अब प्रदेश के मेरठ जिले सहित 14 जिलों में परमानेंट लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया को भी विभाग automation पर लेकर जा रहा है. इसके लिए बाकायदा बीते दिनों टेंडर निकाला गया और अब अगले कुछ दिनों में टेंडर प्रक्रिया से निजी हाथों में परमानेंट लाइसेंस बनाने की कमान सौंपी जाएगी.
एआरटीओ प्रशासन कुलदीप कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रदेश सरकार की मंशा के मुताबिक मेरठ समेत अयोध्या, अलीगढ़, आजमगढ़, बरेली, बस्ती, देवीपाटन गोंडा, गोरखपुर, झांसी, मथुरा, मिर्जापुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर और प्रयागराज में सबसे पहले इस ओर कदम बढ़ाया जा रहा है. टेंडर मांगे गए थे, जिसकी प्रक्रिया अतिशीघ्र होने जा रही है. कहा कि अब यहां सब कुछ ऑटोमेशन पर चला जाएगा और आगामी दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से परमानेंट लाइसेंस के लिए टेस्ट होगा.
एआरटीओ कुलदीप ने बताया कि जिस भी फर्म को यह जिम्मेदारी मिलेगी, सारी प्रक्रिया उसी के माध्यम से कराई जाएगी. परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदकों से तय शुल्क लिया जाएगा और सारी प्रक्रिया निजी फर्म के द्वारा ही पूर्ण को जाएगी. इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि परमानेंट परीक्षा के लिए जो ड्राइविंग टेस्ट होगा, जो उसमें सम्फल होगा. सिर्फ उन्हीं का लाइसेंस बन सकेगा. जबकि फर्जीवाड़े पर नकेल कसी जाएगी.
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