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गन्ना किसानों की पुकार, कब सुनेगी सरकार!

मेरठ में चीनी मिलों के संचालन में हो रही देरी किसानों के लिए मुसीबत बनी हुई है. चीनी मिलों के संचालन में हो रही देरी की वजह से किसान गन्ने को कोल्हू में दे रहा है. जहां उसे सरकार द्वारा निर्धारित गन्ने का दाम भी नहीं मिल पा रहा. बेचारा किसान औने-पौने दामों में कोल्हू पर अपना गन्ना बेचने को मजबूर है. जिसकी वजह से गन्ना किसानों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है. छोटे किसान भूखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं.

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गन्ना किसानों की पुकार, कब सुनेगी सरकार!
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Published : Nov 13, 2020, 9:15 AM IST

Updated : Nov 13, 2020, 1:46 PM IST

मेरठ: उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ किसानों की आय को दुगनी करने के लिए आए दिन वादे और दावे करते हैं. उन वादों और दावों को अमलीजामा पहनाने के लिए नौकरशाही को निर्देश भी देते हैं. उनके वादों में चीनी मिलों का समय पर संचालन भी है, मगर मेरठ और सहारनपुर मंडल में यानी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों के संचालन में देरी हो रही है. ये देरी न सिर्फ किसानों के लिए मुसीबत बनी हुई है, बल्कि सरकार के दावों की पोल भी खोल रही है.

गन्ना किसानों की पुकार, कब सुनेगी सरकार!

फसल को कम दामों पर बेचने को मजबूर

अभी चीनी मिलों का चक्का तक नहीं घूमा. इसके चलते गन्ने की फसल या तो खेतों में खड़ी है या फिर सूख रही है. अब गन्ना किसानों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है. छोटे किसान भूखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. एक तो कोरोना की मार ऊपर से बंद पड़ी चीनी मिलें. किसान अपनी फसल कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं.

विदेशों तक बिकती है यहां की बनी चीनी

चीनी का कटोरा कहा जाने वाला पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जहां के मेरठ और सहारनपुर मंडल में 33 चीनी मिलें हैं. यहां के किसान 70 फीसदी से ज्यादा जमीन पर गन्ना उगाते हैं. इनके गन्ने से बनी चीनी से देश ही नहीं बल्कि विदेशियों का भी मुंह मीठा होता हैं. नई फसल की बुवाई के चलते किसान मजबूरीवश अपने लहलहाते गन्ने के खेत खाली कर रहे हैं. इसके चलते कोल्हुओं पर किसान अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं. चीनी मिलों ने अभी तक पिछले साल का बकाया भुगतान भी नहीं किया है.

खेतों में सूख रहा गन्ना

कोरोना की मार ने पहले सब्जियों के भाव गिराए, तो अब बंद पड़ी मिलों ने किसानों के लिए समस्या खड़ी कर दी है. किसानों को उम्मीद थी कि इस बार चीनी मिलों में पेराई सत्र जल्द शुरू होगा. लेकिन, उनका गन्ना खेतो में सूख रहा है.

खर्चा भी नहीं निकल पा रहा

जिस दाम में किसान गन्ना कोल्हू में देने को मजबूर हैं उसमें तो खर्चा भी नहीं निकल पा रहा. एक बार फिर वही सवाल लेकर हमने गन्ना किसान साधुराम से बात की. हमने मिलों के देरी से चलने से होने वाली समस्याओं के बारे में पूछा तो उन्होंने अपनी समस्याएं बताईं.

किसानों की हालत खराब

ETV भारत ने गन्ना किसानों के बीच पहुंच कर उनके उस दर्द साझा किया जो तमाम राजनीतिक खबरों के बीच कहीं घुट कर अपना दम तोड़ देती हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान इस बार गन्ने में मुनाफा नहीं कमा पा रहे. मुनाफा तो छोड़िए लागत तक वापस नहीं मिल रही. अगर यही हालात रहे तो किसान की आय दोगुनी होना दूर, चीनी का कटोरा कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान गन्ने की फसल उगाना जल्द ही छोड़ देंगे.

मेरठ: उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ किसानों की आय को दुगनी करने के लिए आए दिन वादे और दावे करते हैं. उन वादों और दावों को अमलीजामा पहनाने के लिए नौकरशाही को निर्देश भी देते हैं. उनके वादों में चीनी मिलों का समय पर संचालन भी है, मगर मेरठ और सहारनपुर मंडल में यानी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों के संचालन में देरी हो रही है. ये देरी न सिर्फ किसानों के लिए मुसीबत बनी हुई है, बल्कि सरकार के दावों की पोल भी खोल रही है.

गन्ना किसानों की पुकार, कब सुनेगी सरकार!

फसल को कम दामों पर बेचने को मजबूर

अभी चीनी मिलों का चक्का तक नहीं घूमा. इसके चलते गन्ने की फसल या तो खेतों में खड़ी है या फिर सूख रही है. अब गन्ना किसानों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है. छोटे किसान भूखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. एक तो कोरोना की मार ऊपर से बंद पड़ी चीनी मिलें. किसान अपनी फसल कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं.

विदेशों तक बिकती है यहां की बनी चीनी

चीनी का कटोरा कहा जाने वाला पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जहां के मेरठ और सहारनपुर मंडल में 33 चीनी मिलें हैं. यहां के किसान 70 फीसदी से ज्यादा जमीन पर गन्ना उगाते हैं. इनके गन्ने से बनी चीनी से देश ही नहीं बल्कि विदेशियों का भी मुंह मीठा होता हैं. नई फसल की बुवाई के चलते किसान मजबूरीवश अपने लहलहाते गन्ने के खेत खाली कर रहे हैं. इसके चलते कोल्हुओं पर किसान अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं. चीनी मिलों ने अभी तक पिछले साल का बकाया भुगतान भी नहीं किया है.

खेतों में सूख रहा गन्ना

कोरोना की मार ने पहले सब्जियों के भाव गिराए, तो अब बंद पड़ी मिलों ने किसानों के लिए समस्या खड़ी कर दी है. किसानों को उम्मीद थी कि इस बार चीनी मिलों में पेराई सत्र जल्द शुरू होगा. लेकिन, उनका गन्ना खेतो में सूख रहा है.

खर्चा भी नहीं निकल पा रहा

जिस दाम में किसान गन्ना कोल्हू में देने को मजबूर हैं उसमें तो खर्चा भी नहीं निकल पा रहा. एक बार फिर वही सवाल लेकर हमने गन्ना किसान साधुराम से बात की. हमने मिलों के देरी से चलने से होने वाली समस्याओं के बारे में पूछा तो उन्होंने अपनी समस्याएं बताईं.

किसानों की हालत खराब

ETV भारत ने गन्ना किसानों के बीच पहुंच कर उनके उस दर्द साझा किया जो तमाम राजनीतिक खबरों के बीच कहीं घुट कर अपना दम तोड़ देती हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान इस बार गन्ने में मुनाफा नहीं कमा पा रहे. मुनाफा तो छोड़िए लागत तक वापस नहीं मिल रही. अगर यही हालात रहे तो किसान की आय दोगुनी होना दूर, चीनी का कटोरा कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान गन्ने की फसल उगाना जल्द ही छोड़ देंगे.

Last Updated : Nov 13, 2020, 1:46 PM IST
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