मेरठ: जम्मू कश्मीर के सियाचिन ग्लेशियर में करीब 20 हजार फीट की ऊंचाई पर शहीद हुए सूबेदार वीरेंद्र कुमार का पार्थिव शरीर शनिवार की शाम 4 बजे मेरठ पहुंचा. जहां शहीद के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. राजकीय सम्मान के साथ शहीद के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया. 7 साल के बेटे विवान ने शहीद के शव को मुखाग्नि दी. जानकारी के मुताबिक 14 अप्रैल की सुबह वीरेंद्र कुमार को सांस लेने मे दिक्कत हुई थी. जिसके बाद उन्हें सैन्य अधिकारियों ने अस्पताल में भर्ती कराया था जहां शुक्रवार की देर रात इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली. सैनिक की मौत के बाद परिजनों में कोहराम मचा हुआ है.
सियाचिन के ग्लेशियर पर हुए शहीद
मेरठ शहर के रोहटा रोड पर सरस्वती विहार फेज-2 निवासी सूबेदार वीरेंद्र कुमार करीब 7 महीने से जम्मू कश्मीर के सियाचिन ग्लेशियर पर 143 मध्यम तोपखाना में तैनात चल रहे थे. वीरेंद्र कुमार मूल रूप से भदौड़ा गांव के रहने वाले है और 23 साल से भारतीय सेना में सेवा दे रहे थे. वीरेंद्र कुमार अपने पीछे परिवार में पत्नी रीना शर्मा सहित बड़ी बेटी कशिश 14 वर्ष, मुस्कान 11 वर्ष और 7 वर्षीय बेटे विवान को छोड़ गए हैं. शहीद वीरेंद्र कुमार का छोटा भाई कुलदीप शर्मा भी सेना में है.
शाम चार बजे मेरठ पहुंचा पार्थिव शरीर
शहीद वीरेंद्र कुमार का पार्थिव शरीर शनिवार शाम को 4 बजे मेरठ उनके घर पहुंचा. सैन्य अधिकारी और सैनिक तिरंगे में लिपटे शव को लेकर पहुंचे. वीरेंद्र कुमार के शहीद होने की सूचना जनपदवासियों को पहले ही मिल गई थी, जिसके चलते शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचने से पहले रिश्तेदारों और शहरवासियों की भीड़ जमा हो चुकी थी. पूरा इलाका गमगीन माहौल में था. शहीद वीरेंद्र कुमार की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में शहरवासियों की भीड़ शामिल हुई. प्रशासनिक अधिकारी, स्थानीय सांसद अन्य जनप्रतिनिधियों और शहरवासियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की. भारत माता की जय और शहीद वीरेंद्र कुमार अमर रहे के नारे के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई.
सात साल के बेटे ने दी मुखाग्नि
राजकीय सम्मान के साथ शहीद वीरेंद्र कुमार के पार्थिव शरीर को श्मसान घाट ले जाया गया. जहां सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में सेना के जवानों ने उन्हें बंदूकों से सलामी दी. इसके बाद उनके सात साल के बेटे विवान ने उन्हें सलाम किया और मुखाग्नि दी.
सियाचिन में मृत्यु होने पर मिलता है शहीद का दर्जा
जानकारी के अनुसार अभी तक सूबेदार वीरेंद्र कुमार की मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है. संभावना जताई जा रही है कि ड्यूटी के दौरान ऑक्सीजन की कमी या अन्य कारणों से कोई दिक्कत से उनकी मौत हुई है. सैन्य नियमों के अनुसार सियाचिन में तैनात सैनिकों की आकस्मिक मृत्यु होने पर उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाता है और बैटल कैजुअल्टी ही उनके सर्विस रिकॉर्ड में भी दर्ज होती है.