ETV Bharat / state

निजी अस्पतालों की 'लूट' के खिलाफ चल रहा विधायक का अनशन महापंचायत के बाद समाप्त, प्रशासन ने मांगा 30 दिन का समय - सपा विधायक अतुल प्रधान

प्राइवेट अस्पतालों की लूट के खिलाफ समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान मेरठ में चार दिसंबर से अनशन पर थे. इस मुद्दे पर विधायक को काफीा समर्थन भी मिला. अतुल प्रधान ने सोमवार को महापंचायत का ऐलान किया था. इसके बाद प्रशासन के आश्वासन के बाद उनका अनशन समाप्त हो गया.

विधायक ने अनशन समाप्त कर दिया है.
विधायक ने अनशन समाप्त कर दिया है.
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 11, 2023, 12:04 PM IST

Updated : Dec 11, 2023, 7:32 PM IST

विधायक ने अनशन समाप्त कर दिया है.

मेरठ : समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान चार दिसंबर से अनशन पर थे. सोमवार को उनके अनशन का आज आठवां दिन था. पिछले माह से ही वह निजी अस्पतालों में मिलने वाले इलाज और उसके एवज में मरीज से वसूली जाने वाली रकम को लेकर कड़े तेवर अपनाए हैं. दरअसल, नवंबर में मेरठ के न्यूटीमा अस्पताल में एक मरीज के परिजनों की शिकायत पर अतुल प्रधान ने वहां के डॉक्टरों पर मरीजों से इलाज के नाम पर लूट मचाने, वहां के मेडिकल स्टोर से दवाई मिलने और पर्चे पर डॉक्टरों के द्वारा दवाई के साथ कोडवर्ड लिखने का आरोप लगाया था. कार्रवाई की मांग को लेकर वह अनशन पर थे. सोमवार को उन्होंने महापंचायत बुलाई थी. प्रशासन ने 30 दिनों के अंदर में व्यवस्था में सुधार का आश्वासन दिया. इसके बाद विधायक ने अनशन समाप्त कर दिया. विधायक और उनके समर्थकों ने प्रशासन को अल्टीमेटम भी दिया है कि प्रशासन अगर जल्द बदलाव नहीं आता है तो दोबारा से आंदोलन किया जाएगा.

मंच पर पहुंचे अधिकारी, कार्रवाई का दिया आश्वासन : जिला प्रशासन के द्वारा लगातार कोशिश की जा रही थी कि सपा विधायक अपना अनशन समाप्त करें. महापंचायत के मंच पर ही जिले के एडीएम सिटी, एसपी सिटी और सीएमओ पहुंचे. उन्होंने विधायक की अधिकतर मांगों पर एक माह के अंदर ही उचित कदम उठाने का भरोसा दिलाया. उन पर तुरंत काम प्रारम्भ कराने का वादा किया. कुछ मांगों को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि जो उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर हैं उनके लिए वह शासन को लिखेंगे. इसके बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने विधायक से अनशन समाप्त करने के लिए बोला. इसके बाद विधायक अतुल प्रधान ने 30 दिन का अल्टीमेटम देकर आमरण-अनशन समाप्त कर दिया.

विधायक बोले-लड़ाई समाप्त नहीं हुई : विधायक ने कहा कि अभी यह लड़ाई समाप्त नहीं हुई है, बल्कि आगे वह अब महंगी होती जा रही शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ भी आवाज उठाएंगे. अस्पतालों में जो कुछ हो रहा है उस मुद्दे को उठाकर लोगों की समस्या को सरकार के कान तक पहुंचाने की कोशिश की है. उन्हें उम्मीद है कि चीजें बदलेंगी. सपा विधायक ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि अगली बार अस्पतालों के साथ ही निजी स्कूलो के खिलाफ भी आंदोलन होगा. विधायक अतुल प्रधान ने बताया कि उन्होंने अपनी 20 साल की संपत्ति की घोषणा अनशन के दौरान की है. डॉक्टर अपनी केवल तीन साल की संपत्ति की घोषणा करें. अतुल प्रधान ने जूस पीकर अनशन तोड़ दिया, खास बात यह है कि विधायक ने जिस बच्ची के मुद्दे को लेकर डॉक्टरों के खिलाफ हुंकार भरी थी, उसी दो माह की नवजात बच्ची के हाथों जूस पीकर अनशन को समाप्त किया.

विधायक की पत्नी बोलीं- आगे भी उठाते रहेंगे आवाज : अतुल प्रधान की पत्नी ने सीमा प्रधान ने कहा कि एक पत्नी के तौर पर उन्हें काफी कष्ट हुआ. पति अनशन पर जनता के लिए बैठे थे. कुछ लोग तरह तरह की बातें बना रहे थे. उन्होंने कहा कि उनके परिवार में बच्चे भी काफी परेशान थे. पति ने जनता के लिए यह आवाज उठाई और हमेशा इसी तरह से आगे भी उठाते रहेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि जनता की जरूरी मांग को जिस तरह से उठाया है, उसके बाद प्रशासन ने जिस तरह से लचीला रुख अपनाया है और भरोसा दिलाया है तो बदलाव होगा.

मामला उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक तक पहुंचा था. इस मामले में डिप्टी सीएम ने जहां तब जिले के अफसरों को टीम बनाकर जांच करने के निर्देश दिए थे, वहीं अस्पताल प्रबंधन की तरफ से सपा विधायक पर अस्पताल में घुसकर डॉक्टरों से अभद्रता करने, समर्थकों संग मिलकर हंगामा करने जैसे आरोप लगाकर स्थानीय मेडिकल थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी.

शिकायत पर विधायक अतुल प्रधान और उनके कई समर्थकों पर मुकदमा दर्ज किया गया. निजी अस्पताल क्योंकि शहर का बड़ा और चर्चित हॉस्पिटल है, ऐसे में उसके समर्थन में IMA भी उतर आई और विधायक पर अस्पताल को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता पाने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए. शहर भर में IMA के अह्वान पर चिकित्सक एकजुट हुए और विधायक का जोरदार विरोध किया गया.

डॉक्टरों के द्वारा पूरे शहर में प्रदर्शन हुए और डॉक्टरों ने कभी डीएम को ज्ञापन दिया, तो कभी भाजपा नेताओं से समर्थन मांगने पहुंचे. हालांकि, अभी तक डॉक्टरों के साथ खुलकर भाजपा के एकाध नेता को छोड़ दें तो कोई समर्थन में खड़ा नहीं दिखता. डॉक्टरों के समर्थन में कुछ भाजपा नेताओं से जब बात की गई तो डॉक्टरों के समर्थन में जरूर भाजपाई बोले. लेकिन, डॉक्टरों के साथ अभी तक भाजपा के सक्रिय नेताओं की दूरी ही है.

खास बात यह है कि जहां पहले यह लड़ाई सिर्फ न्यूटीमा हॉस्पिटल और सपा विधायक के बीच थी, वहीं अन्य डॉक्टरों और IMA के एक साथ होकर सपा के खिलाफ आने से विधायक ने भी अपनी रणनीति बदल दी. जहां पहले अतुल प्रधान सिर्फ और सिर्फ एक अस्पताल को टारगेट कर रहे थे, वहीं खुद पर डॉक्टरों के बनते दवाब को देखकर सपा विधायक अतुल प्रधान ने भी थोड़ा सा करेक्शन अपने तेवर में किया.

अब उसके बाद से अतुल प्रधान ने सभी निजी अस्पतालों को निशाने पर ले लिया. छात्र राजनीति से निकलकर विधायक बने सपा विधायक का विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों ने भी समर्थन किया. डॉक्टरों के बढ़ते विरोध को देखते हुए उनकी पत्नी भी मैदान में उतर आईं हैं. पति पर लगे आरोपों पर सपा विधायक की पत्नी और पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष सीमा प्रधान समर्थन में उतर आईं और उन्होंने भी एक निजी अस्पताल पर आरोप लगाए कि आम आदमी परेशान है. निजी अस्पतालों में लूट मची हुई है. वहां डॉक्टर दवाइयों के पर्चे पर कोड वर्ड में लिखते हैं. दवाएं सिर्फ और सिर्फ उसी अस्पताल के मेडिकल स्टोर पर ही मिलती हैं. उसके अलावा पूरे शहर में अस्पताल के डॉक्टरों के द्वारा जो दवाइयां लिखी जाती हैं कहीं नहीं मिलतीं.

इसके बाद विधायक के समर्थन में तमाम जगहों पर होर्डिंग लगवा दिए गए, जिन पर निजी अस्पतालों में लूट जैसे शब्द लिखे गए हैं. 4 दिसंबर से समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान अनशन पर थे. सबसे पहले पत्र लिखकर आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर विधायक के समर्थन में उतरे. उसके बाद से विधायक की पत्नी भी लगातार जिले भर में गांव गांव जाकर अपने पति का समर्थन करने के लिए लोगों से मिल रही हैं. इसका असर यह हुआ है कि कई संगठन अब तक अतुल प्रधान के समर्थन में आ चुके हैं. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अतुल प्रधान को अपना समर्थन देने की पहले ही घोषणा कर चुके थे

वह बीते सप्ताह अनशन पर बैठे विधायक अतुल प्रधान से मिलने भी पहुंचे थे. जिले के अनेकों संगठन और स्वयंसेवी संस्थाएं भी विधायक के समर्थन में अब तक अपना समर्थन दे चुकी हैं. शनिवार को अनशन पर बैठे सपा विधायक को हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी का साथ भी मिल गया. वह तो यहां तक कहकर गए कि 11 दिसंबर तक अगर कोई हल नहीं निकला तो वह भी अस्पतालों की लूट के खिलाफ विधायक के साथ अनशन पर बैठ जाएंगे.

उन्होंने तो यहां तक भी कहा था कि निजी अस्पताल डॉक्टरों से मिलकर मॉर्डन डकैती कर रहे हैं. इसे अपराध माना जाना चाहिए. ऐसा नहीं है कि जिला प्रशासन चुप बैठा है, बल्कि जिला प्रशासन के द्वारा कई बार कोशिश की गई है, विधायक को मनाने की और अनशन समाप्त करने की. लेकिन विधायक ने अपनी सभी मांगों को पूरा होने की सूरत में ही उठने की बात कही है.

अब ऐसे में विधायक ने सोमवार को महापंचायत बुलाई है. माना जा रहा है कि विधायक अतुल प्रधान महापंचायत के बहाने अपनी ताकत दिखाएंगे. अतुल प्रधान समाजवादी पार्टी के सरधना से विधायक हैं और उन्होंने भाजपा के फायर ब्रांड नेता कहे जाने वाले संगीत सोम को पटखनी देकर 2022 में विधानसभा चुनाव जीता था. वहीं समाजवादी पार्टी के इस अनशन और आंदोलन में अभी तक भी सपा के मेरठ जिले के विधायकों तक की दूरी भी कई सवाल खडे़ कर रही है.

ऐसे में समझा जा सकता है कि भले ही अतुल प्रधान जिस मुद्दे पर अनशन कर रहे हैं उसे जनहित से जुड़ा मुद्दा बताकर मेरठ में कि नहीं बल्कि यूपी की सियासत में चर्चा में बने हुए हैं, लेकिन मेरठ के ही पार्टी के विधायकों की उनके आंदोलन से दूरी भी कहीं न कहीं साफ संकेत दे रहे हैं कि सब कुछ ठीक नहीं है. किठौर से समाजवादी पार्टी के विधायक शाहिद मंजूर, मेरठ शहर से समाजवादी पार्टी के विधायक रफीक अंसारी समेत कई बड़े नेता अतुल प्रधान के इस आंदोलन से दूरी बनाए हुए हैं.

यह पहला मौका नहीं है. इससे पहले भी समाजवादी पार्टी की तरफ से जब अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को मेयर का चुनाव लड़ने के लिए हरी झंडी दी गई थी. उस वक्त भी यही नजारा देखने को मिला था कि अतुल प्रधान को गलियों में घूम-घूम कर खुद ही अपनी पत्नी के लिए प्रचार करना पड़ा था. जबकि सपा और रालोद के इन विधायकों ने तब भी दूरी बनाई हुई थी.

इसका खामियाजा भी पार्टी को भुगतना पड़ा था. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का प्रत्याशी मेयर के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहा था और सपा को तीसरे नंबर पर धकेल दिया था. फिलहाल मुद्दा गरम है और क्योंकि जनहित से जुड़ा है तो ऐसे में तमाम सामाजिक संगठन भी विधायक की आवाज से आवाज मिलने को तैयार हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी के उनके अपने खासम-खास लोग ही सपा विधायक के इस आंदोलन में साथ देते नहीं दिख रहे हैं.

हालांकि अपने लिए सियासी जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी के नेता भी सपा विधायक का समर्थन करते दिख जाते हैं. अतुल प्रधान का कहना है कि इस लड़ाई में उन्हें पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का पूरा समर्थन है. वहीं वे यह भी दावा करते हैं कि राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी उन्हें समर्थन दिया है, लेकिन शायद यहां न ही अखिलेश यादव की बात पर समाजवादी पार्टी के विधायक गौर कर रहे हैं, जिस वजह से अभी तक भी विधायक अतुल के साथ पार्टी के जिले के विधायक नहीं हैं, वहीं अगर रालोद अध्यक्ष का समर्थन है तो रालोद के विधायक गुलाम मोहम्मद की दूरी भी बहुत कुछ कहती है.

महापंचायत में सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और हरियाणा के किसान नेता गुरनाम गुरनाम सिंह चढूनी भी पहुंचे. विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष संजय लाठर भी पहुंचे. मौके पर भारतीय किसान यूनियन अंबावता के कार्यकर्ता, आप के कार्यकर्ता भी महापंचायत में मौजूद हैं. विश्वविद्यालय के छात्र नेता भी इस महापंचायत का हिस्सा बने.

ये भी पढ़ेंः विधायक अतुल प्रधान को मिला गुरनाम सिंह चढूनी का समर्थन, बोले- दो रुपये की दवा 200 रुपये में मिल रही

विधायक ने अनशन समाप्त कर दिया है.

मेरठ : समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान चार दिसंबर से अनशन पर थे. सोमवार को उनके अनशन का आज आठवां दिन था. पिछले माह से ही वह निजी अस्पतालों में मिलने वाले इलाज और उसके एवज में मरीज से वसूली जाने वाली रकम को लेकर कड़े तेवर अपनाए हैं. दरअसल, नवंबर में मेरठ के न्यूटीमा अस्पताल में एक मरीज के परिजनों की शिकायत पर अतुल प्रधान ने वहां के डॉक्टरों पर मरीजों से इलाज के नाम पर लूट मचाने, वहां के मेडिकल स्टोर से दवाई मिलने और पर्चे पर डॉक्टरों के द्वारा दवाई के साथ कोडवर्ड लिखने का आरोप लगाया था. कार्रवाई की मांग को लेकर वह अनशन पर थे. सोमवार को उन्होंने महापंचायत बुलाई थी. प्रशासन ने 30 दिनों के अंदर में व्यवस्था में सुधार का आश्वासन दिया. इसके बाद विधायक ने अनशन समाप्त कर दिया. विधायक और उनके समर्थकों ने प्रशासन को अल्टीमेटम भी दिया है कि प्रशासन अगर जल्द बदलाव नहीं आता है तो दोबारा से आंदोलन किया जाएगा.

मंच पर पहुंचे अधिकारी, कार्रवाई का दिया आश्वासन : जिला प्रशासन के द्वारा लगातार कोशिश की जा रही थी कि सपा विधायक अपना अनशन समाप्त करें. महापंचायत के मंच पर ही जिले के एडीएम सिटी, एसपी सिटी और सीएमओ पहुंचे. उन्होंने विधायक की अधिकतर मांगों पर एक माह के अंदर ही उचित कदम उठाने का भरोसा दिलाया. उन पर तुरंत काम प्रारम्भ कराने का वादा किया. कुछ मांगों को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि जो उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर हैं उनके लिए वह शासन को लिखेंगे. इसके बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने विधायक से अनशन समाप्त करने के लिए बोला. इसके बाद विधायक अतुल प्रधान ने 30 दिन का अल्टीमेटम देकर आमरण-अनशन समाप्त कर दिया.

विधायक बोले-लड़ाई समाप्त नहीं हुई : विधायक ने कहा कि अभी यह लड़ाई समाप्त नहीं हुई है, बल्कि आगे वह अब महंगी होती जा रही शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ भी आवाज उठाएंगे. अस्पतालों में जो कुछ हो रहा है उस मुद्दे को उठाकर लोगों की समस्या को सरकार के कान तक पहुंचाने की कोशिश की है. उन्हें उम्मीद है कि चीजें बदलेंगी. सपा विधायक ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि अगली बार अस्पतालों के साथ ही निजी स्कूलो के खिलाफ भी आंदोलन होगा. विधायक अतुल प्रधान ने बताया कि उन्होंने अपनी 20 साल की संपत्ति की घोषणा अनशन के दौरान की है. डॉक्टर अपनी केवल तीन साल की संपत्ति की घोषणा करें. अतुल प्रधान ने जूस पीकर अनशन तोड़ दिया, खास बात यह है कि विधायक ने जिस बच्ची के मुद्दे को लेकर डॉक्टरों के खिलाफ हुंकार भरी थी, उसी दो माह की नवजात बच्ची के हाथों जूस पीकर अनशन को समाप्त किया.

विधायक की पत्नी बोलीं- आगे भी उठाते रहेंगे आवाज : अतुल प्रधान की पत्नी ने सीमा प्रधान ने कहा कि एक पत्नी के तौर पर उन्हें काफी कष्ट हुआ. पति अनशन पर जनता के लिए बैठे थे. कुछ लोग तरह तरह की बातें बना रहे थे. उन्होंने कहा कि उनके परिवार में बच्चे भी काफी परेशान थे. पति ने जनता के लिए यह आवाज उठाई और हमेशा इसी तरह से आगे भी उठाते रहेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि जनता की जरूरी मांग को जिस तरह से उठाया है, उसके बाद प्रशासन ने जिस तरह से लचीला रुख अपनाया है और भरोसा दिलाया है तो बदलाव होगा.

मामला उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक तक पहुंचा था. इस मामले में डिप्टी सीएम ने जहां तब जिले के अफसरों को टीम बनाकर जांच करने के निर्देश दिए थे, वहीं अस्पताल प्रबंधन की तरफ से सपा विधायक पर अस्पताल में घुसकर डॉक्टरों से अभद्रता करने, समर्थकों संग मिलकर हंगामा करने जैसे आरोप लगाकर स्थानीय मेडिकल थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी.

शिकायत पर विधायक अतुल प्रधान और उनके कई समर्थकों पर मुकदमा दर्ज किया गया. निजी अस्पताल क्योंकि शहर का बड़ा और चर्चित हॉस्पिटल है, ऐसे में उसके समर्थन में IMA भी उतर आई और विधायक पर अस्पताल को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता पाने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए. शहर भर में IMA के अह्वान पर चिकित्सक एकजुट हुए और विधायक का जोरदार विरोध किया गया.

डॉक्टरों के द्वारा पूरे शहर में प्रदर्शन हुए और डॉक्टरों ने कभी डीएम को ज्ञापन दिया, तो कभी भाजपा नेताओं से समर्थन मांगने पहुंचे. हालांकि, अभी तक डॉक्टरों के साथ खुलकर भाजपा के एकाध नेता को छोड़ दें तो कोई समर्थन में खड़ा नहीं दिखता. डॉक्टरों के समर्थन में कुछ भाजपा नेताओं से जब बात की गई तो डॉक्टरों के समर्थन में जरूर भाजपाई बोले. लेकिन, डॉक्टरों के साथ अभी तक भाजपा के सक्रिय नेताओं की दूरी ही है.

खास बात यह है कि जहां पहले यह लड़ाई सिर्फ न्यूटीमा हॉस्पिटल और सपा विधायक के बीच थी, वहीं अन्य डॉक्टरों और IMA के एक साथ होकर सपा के खिलाफ आने से विधायक ने भी अपनी रणनीति बदल दी. जहां पहले अतुल प्रधान सिर्फ और सिर्फ एक अस्पताल को टारगेट कर रहे थे, वहीं खुद पर डॉक्टरों के बनते दवाब को देखकर सपा विधायक अतुल प्रधान ने भी थोड़ा सा करेक्शन अपने तेवर में किया.

अब उसके बाद से अतुल प्रधान ने सभी निजी अस्पतालों को निशाने पर ले लिया. छात्र राजनीति से निकलकर विधायक बने सपा विधायक का विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों ने भी समर्थन किया. डॉक्टरों के बढ़ते विरोध को देखते हुए उनकी पत्नी भी मैदान में उतर आईं हैं. पति पर लगे आरोपों पर सपा विधायक की पत्नी और पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष सीमा प्रधान समर्थन में उतर आईं और उन्होंने भी एक निजी अस्पताल पर आरोप लगाए कि आम आदमी परेशान है. निजी अस्पतालों में लूट मची हुई है. वहां डॉक्टर दवाइयों के पर्चे पर कोड वर्ड में लिखते हैं. दवाएं सिर्फ और सिर्फ उसी अस्पताल के मेडिकल स्टोर पर ही मिलती हैं. उसके अलावा पूरे शहर में अस्पताल के डॉक्टरों के द्वारा जो दवाइयां लिखी जाती हैं कहीं नहीं मिलतीं.

इसके बाद विधायक के समर्थन में तमाम जगहों पर होर्डिंग लगवा दिए गए, जिन पर निजी अस्पतालों में लूट जैसे शब्द लिखे गए हैं. 4 दिसंबर से समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान अनशन पर थे. सबसे पहले पत्र लिखकर आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर विधायक के समर्थन में उतरे. उसके बाद से विधायक की पत्नी भी लगातार जिले भर में गांव गांव जाकर अपने पति का समर्थन करने के लिए लोगों से मिल रही हैं. इसका असर यह हुआ है कि कई संगठन अब तक अतुल प्रधान के समर्थन में आ चुके हैं. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अतुल प्रधान को अपना समर्थन देने की पहले ही घोषणा कर चुके थे

वह बीते सप्ताह अनशन पर बैठे विधायक अतुल प्रधान से मिलने भी पहुंचे थे. जिले के अनेकों संगठन और स्वयंसेवी संस्थाएं भी विधायक के समर्थन में अब तक अपना समर्थन दे चुकी हैं. शनिवार को अनशन पर बैठे सपा विधायक को हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी का साथ भी मिल गया. वह तो यहां तक कहकर गए कि 11 दिसंबर तक अगर कोई हल नहीं निकला तो वह भी अस्पतालों की लूट के खिलाफ विधायक के साथ अनशन पर बैठ जाएंगे.

उन्होंने तो यहां तक भी कहा था कि निजी अस्पताल डॉक्टरों से मिलकर मॉर्डन डकैती कर रहे हैं. इसे अपराध माना जाना चाहिए. ऐसा नहीं है कि जिला प्रशासन चुप बैठा है, बल्कि जिला प्रशासन के द्वारा कई बार कोशिश की गई है, विधायक को मनाने की और अनशन समाप्त करने की. लेकिन विधायक ने अपनी सभी मांगों को पूरा होने की सूरत में ही उठने की बात कही है.

अब ऐसे में विधायक ने सोमवार को महापंचायत बुलाई है. माना जा रहा है कि विधायक अतुल प्रधान महापंचायत के बहाने अपनी ताकत दिखाएंगे. अतुल प्रधान समाजवादी पार्टी के सरधना से विधायक हैं और उन्होंने भाजपा के फायर ब्रांड नेता कहे जाने वाले संगीत सोम को पटखनी देकर 2022 में विधानसभा चुनाव जीता था. वहीं समाजवादी पार्टी के इस अनशन और आंदोलन में अभी तक भी सपा के मेरठ जिले के विधायकों तक की दूरी भी कई सवाल खडे़ कर रही है.

ऐसे में समझा जा सकता है कि भले ही अतुल प्रधान जिस मुद्दे पर अनशन कर रहे हैं उसे जनहित से जुड़ा मुद्दा बताकर मेरठ में कि नहीं बल्कि यूपी की सियासत में चर्चा में बने हुए हैं, लेकिन मेरठ के ही पार्टी के विधायकों की उनके आंदोलन से दूरी भी कहीं न कहीं साफ संकेत दे रहे हैं कि सब कुछ ठीक नहीं है. किठौर से समाजवादी पार्टी के विधायक शाहिद मंजूर, मेरठ शहर से समाजवादी पार्टी के विधायक रफीक अंसारी समेत कई बड़े नेता अतुल प्रधान के इस आंदोलन से दूरी बनाए हुए हैं.

यह पहला मौका नहीं है. इससे पहले भी समाजवादी पार्टी की तरफ से जब अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को मेयर का चुनाव लड़ने के लिए हरी झंडी दी गई थी. उस वक्त भी यही नजारा देखने को मिला था कि अतुल प्रधान को गलियों में घूम-घूम कर खुद ही अपनी पत्नी के लिए प्रचार करना पड़ा था. जबकि सपा और रालोद के इन विधायकों ने तब भी दूरी बनाई हुई थी.

इसका खामियाजा भी पार्टी को भुगतना पड़ा था. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का प्रत्याशी मेयर के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहा था और सपा को तीसरे नंबर पर धकेल दिया था. फिलहाल मुद्दा गरम है और क्योंकि जनहित से जुड़ा है तो ऐसे में तमाम सामाजिक संगठन भी विधायक की आवाज से आवाज मिलने को तैयार हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी के उनके अपने खासम-खास लोग ही सपा विधायक के इस आंदोलन में साथ देते नहीं दिख रहे हैं.

हालांकि अपने लिए सियासी जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी के नेता भी सपा विधायक का समर्थन करते दिख जाते हैं. अतुल प्रधान का कहना है कि इस लड़ाई में उन्हें पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का पूरा समर्थन है. वहीं वे यह भी दावा करते हैं कि राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी उन्हें समर्थन दिया है, लेकिन शायद यहां न ही अखिलेश यादव की बात पर समाजवादी पार्टी के विधायक गौर कर रहे हैं, जिस वजह से अभी तक भी विधायक अतुल के साथ पार्टी के जिले के विधायक नहीं हैं, वहीं अगर रालोद अध्यक्ष का समर्थन है तो रालोद के विधायक गुलाम मोहम्मद की दूरी भी बहुत कुछ कहती है.

महापंचायत में सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और हरियाणा के किसान नेता गुरनाम गुरनाम सिंह चढूनी भी पहुंचे. विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष संजय लाठर भी पहुंचे. मौके पर भारतीय किसान यूनियन अंबावता के कार्यकर्ता, आप के कार्यकर्ता भी महापंचायत में मौजूद हैं. विश्वविद्यालय के छात्र नेता भी इस महापंचायत का हिस्सा बने.

ये भी पढ़ेंः विधायक अतुल प्रधान को मिला गुरनाम सिंह चढूनी का समर्थन, बोले- दो रुपये की दवा 200 रुपये में मिल रही

Last Updated : Dec 11, 2023, 7:32 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.