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सांसद ने इस पद्धति को बताया गरीबी का प्रमुख कारण, युवाओं पर ये बोल गए

मेरठ के शोभित विश्वविद्यालय में गुरुवार को शिक्षा के उज्जवल भविष्य और अवसरों पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार में मुख्य अतिथि सांसद राजेंद्र अग्रवाल सहित कई वक्ता वहां मौजूद रहे. सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर अपने विचार रखे.

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सांसद राजेंद्र अग्रवाल.
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Published : Oct 23, 2020, 5:31 AM IST

मेरठ: शोभित विश्वविद्यालय में गुरुवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर सेमिनार का आयोजन हुआ. इसकी अध्यक्षता शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने की. मुख्य अतिथि सांसद राजेंद्र अग्रवाल रहे. सेमिनार में वक्ताओं ने नई शिक्षा नीति को लेकर अपने अपने विचार रखे.

सेमिनार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि देश की नींव को मजबूत बनाने में देश की मातृभाषा का विशेष योगदान है. आज हर विकसित देश अपनी मातृभाषा को ही प्रमुखता दे रहा है. उन्होंने कहा कि मैकाले ने कहा था कि हिंदुस्तान के अंदर कुछ भी उल्लेखनीय नहीं है. मैकाले ने अंग्रेजी पद्धति के हिसाब से भारतीय शिक्षा नीति को बनाया था, जिसमें अंग्रेजी भाषा पर ज्यादा जोर दिया गया, लेकिन भारत के युवाओं को वह प्रशिक्षण नहीं मिल पाया जो मिलना चाहिए था.

गरीबी के ​लिए पुरानी शिक्षा नीति प्रमुख कारण
सांसद ने अपने संबोधन में कहा कि आज भारत में 40 प्रतिशत से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे जी रहे हैं, जिसका प्रमुख कारण पुरानी शिक्षा नीति है. क्योंकि पुरानी शिक्षा नीति में वोकेशनल स्किल को प्रमुखता नहीं दी गई थी. उन्होंने बताया कि अभी तक भारत नवाचार और अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी जीडीपी का(.69%) ही खर्च करता है, लेकिन इसके मुकाबले अन्य देश कहीं ज्यादा खर्च अपने अनुसंधान एवं नवाचार पर करते हैं. उदाहरण देते हुए बताया कि भारत ने पिछले वर्ष 47,000 पेटेंट कराए, जबकि अमेरिका चाइना एवं अन्य देशों ने भारत के मुकाबले कहीं ज्यादा पेटेंट रजिस्टर्ड कराए. नई शिक्षा नीति में नवाचार एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए नए अनुसंधान केंद्र की स्थापना करने का भी प्रावधान किया गया है.

नई नीतियों को जनमानस तक पहुंचाने की आवश्यकता
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले काफी समय से नई नीतियों पर चर्चा हो रही है. आज भी बहुत सारी जानकारियां ऐसी हैं, जिन्हें हमारे युवाओं को जानने की आवश्यकता है. कहा कि इसके लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को नई नीतियों को जनमानस तक पहुंचाने की आवश्यकता है. अब हमें ज्ञान के सृजन के विषय पर बात करने की आवश्यकता है. क्योंकि अगर हमें आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करना है तो 3H ( हेड, हार्ट, हैंड) फार्मूले को अपनाना होगा. यानी कि दिमाग, दिल और हाथ को एक साथ मिलकर काम करना होगा.

विश्वविद्यालय कर रहा सेज की स्थापना
कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने बताया कि शोभित विश्वविद्यालय ने SEIZ (स्किल एंटरप्रेन्योर इन्नोवेशन जोन) की स्थापना की जा रही है, जिसके अंतर्गत आसपास के क्षेत्र के युवा विश्वविद्यालय में आकर अपने कौशल को बढ़ा सकते हैं, जिसमें विश्वविद्यालय के छात्र उनकी सहायता करेंगे. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि यदि अन्य विश्वविद्यालय भी इसी प्रकार अपने आसपास के क्षेत्र के 20 स्कूलों के 20 छात्रों को व्यावसायिक कौशल के हिसाब से तैयार करें तो देश की एक बड़ी समस्या खत्म हो जाएगी.

युवाओं को होगा फायदा
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एपी गर्ग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मल्टीपल एंट्री मल्टीपल एग्जिट सिस्टम की सराहना करते हुए कहा कि इसकी सहायता से बहुत से युवाओं को फायदा पहुंचेगा. इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में रचनात्मकता और रचनात्मक सोच पर विशेष जोर दिया गया है जो सराहनीय है. उन्होंने सांसद को सुझाव देते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में कृषि शिक्षा से जुड़े कौशल को और अधिक महत्व देने की आवश्यकता है, जिससे उद्यमिता को बढ़ावा मिल सके और भारत के आत्मनिर्भर बनने के सपने को पूरा किया जा सके. कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डॉ. पूनम देवदत्त द्वारा किया गया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के समस्त विभागाध्यक्ष एवं शिक्षक मुख्य रूप से उपस्थित रहे.

मेरठ: शोभित विश्वविद्यालय में गुरुवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर सेमिनार का आयोजन हुआ. इसकी अध्यक्षता शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने की. मुख्य अतिथि सांसद राजेंद्र अग्रवाल रहे. सेमिनार में वक्ताओं ने नई शिक्षा नीति को लेकर अपने अपने विचार रखे.

सेमिनार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि देश की नींव को मजबूत बनाने में देश की मातृभाषा का विशेष योगदान है. आज हर विकसित देश अपनी मातृभाषा को ही प्रमुखता दे रहा है. उन्होंने कहा कि मैकाले ने कहा था कि हिंदुस्तान के अंदर कुछ भी उल्लेखनीय नहीं है. मैकाले ने अंग्रेजी पद्धति के हिसाब से भारतीय शिक्षा नीति को बनाया था, जिसमें अंग्रेजी भाषा पर ज्यादा जोर दिया गया, लेकिन भारत के युवाओं को वह प्रशिक्षण नहीं मिल पाया जो मिलना चाहिए था.

गरीबी के ​लिए पुरानी शिक्षा नीति प्रमुख कारण
सांसद ने अपने संबोधन में कहा कि आज भारत में 40 प्रतिशत से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे जी रहे हैं, जिसका प्रमुख कारण पुरानी शिक्षा नीति है. क्योंकि पुरानी शिक्षा नीति में वोकेशनल स्किल को प्रमुखता नहीं दी गई थी. उन्होंने बताया कि अभी तक भारत नवाचार और अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी जीडीपी का(.69%) ही खर्च करता है, लेकिन इसके मुकाबले अन्य देश कहीं ज्यादा खर्च अपने अनुसंधान एवं नवाचार पर करते हैं. उदाहरण देते हुए बताया कि भारत ने पिछले वर्ष 47,000 पेटेंट कराए, जबकि अमेरिका चाइना एवं अन्य देशों ने भारत के मुकाबले कहीं ज्यादा पेटेंट रजिस्टर्ड कराए. नई शिक्षा नीति में नवाचार एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए नए अनुसंधान केंद्र की स्थापना करने का भी प्रावधान किया गया है.

नई नीतियों को जनमानस तक पहुंचाने की आवश्यकता
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले काफी समय से नई नीतियों पर चर्चा हो रही है. आज भी बहुत सारी जानकारियां ऐसी हैं, जिन्हें हमारे युवाओं को जानने की आवश्यकता है. कहा कि इसके लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को नई नीतियों को जनमानस तक पहुंचाने की आवश्यकता है. अब हमें ज्ञान के सृजन के विषय पर बात करने की आवश्यकता है. क्योंकि अगर हमें आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करना है तो 3H ( हेड, हार्ट, हैंड) फार्मूले को अपनाना होगा. यानी कि दिमाग, दिल और हाथ को एक साथ मिलकर काम करना होगा.

विश्वविद्यालय कर रहा सेज की स्थापना
कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने बताया कि शोभित विश्वविद्यालय ने SEIZ (स्किल एंटरप्रेन्योर इन्नोवेशन जोन) की स्थापना की जा रही है, जिसके अंतर्गत आसपास के क्षेत्र के युवा विश्वविद्यालय में आकर अपने कौशल को बढ़ा सकते हैं, जिसमें विश्वविद्यालय के छात्र उनकी सहायता करेंगे. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि यदि अन्य विश्वविद्यालय भी इसी प्रकार अपने आसपास के क्षेत्र के 20 स्कूलों के 20 छात्रों को व्यावसायिक कौशल के हिसाब से तैयार करें तो देश की एक बड़ी समस्या खत्म हो जाएगी.

युवाओं को होगा फायदा
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एपी गर्ग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मल्टीपल एंट्री मल्टीपल एग्जिट सिस्टम की सराहना करते हुए कहा कि इसकी सहायता से बहुत से युवाओं को फायदा पहुंचेगा. इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में रचनात्मकता और रचनात्मक सोच पर विशेष जोर दिया गया है जो सराहनीय है. उन्होंने सांसद को सुझाव देते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में कृषि शिक्षा से जुड़े कौशल को और अधिक महत्व देने की आवश्यकता है, जिससे उद्यमिता को बढ़ावा मिल सके और भारत के आत्मनिर्भर बनने के सपने को पूरा किया जा सके. कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डॉ. पूनम देवदत्त द्वारा किया गया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के समस्त विभागाध्यक्ष एवं शिक्षक मुख्य रूप से उपस्थित रहे.

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