मेरठ: यूपी में निकाय चुनाव को लेकर सभी दल तैयारियों में जुट गए हैं. वहीं, जिले में सपा की तरफ से मेयर की कुर्सी पाने के लिए 6 नेता ताल ठोके हुए हैं. जबकि, सपा और रालोद का 2022 विधानसभा चुनाव से ही गठबन्धन है. दोनों पार्टियों में कौन कहां से अपना प्रत्याशी मैदान में उतारेगा यह भी तय नहीं है. इसको लेकर सपा में अब असंतोष पनप रहा है. शनिवार को निकाय चनाव को लेकर जिले में समाजवादी पार्टी की बैठक हुई. इस दौरान कई कार्यकर्ताओं ने तो मुखर होकर कहा कि पार्टी से जुड़े नए लोगों को ज्यादा महत्व सही नहीं है.
निकाय चुनाव को लेकर आरक्षण की सूची जारी कर दी गई है. इसके बाद से तमाम दल अपनी-अपनी दावेदारी के लिए सक्रिय हो चुके हैं. वहीं, मेरठ में वर्तमान में समाजवादी पार्टी की मेयर हैं. हालांकि, जब पूर्व में मेयर का चुनाव हुआ था, तब वह बीएसपी से विजयी हुई थीं. लेकिन, विधानसभा चुनाव से पूर्व ही मेरठ की मेयर ने अपने पति के साथ सपा की सदस्यता ले ली थी. ऐसे में मेरठ के सपा जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह का कहना है कि वर्तमान में मेरठ में मेयर की सीट पर सपा का कब्जा है. लिहाजा सपा का इस सीट पर मेयर के लिए मजबूत दावा है. हालांकि, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का आपस में गठबंधन है. ऐसे में राष्ट्रीय नेतृत्व को ही सब कुछ तय करना है. लेकिन, समाजवादी पार्टी के पास मेयर का चुनाव लड़ने के लिए 6 मजबूत प्रत्याशी हैं.
पत्नियों के लिए मांगे टिकट: पार्टी जिलाध्यक्ष ने बताया कि दो आवेदनकर्ताओं का दावा सबसे मजबूत है. बता दें कि वर्तमान में सपा के दो विधायक हैं, जो अपनी-अपनी पत्नियों को मेयर का चुनाव लड़ाने की इच्छा पार्टी नेतृत्व के समक्ष रख चुके हैं. खास बात यह है कि दोनों का ही मजबूत दावा पार्टी भी मान रही है. सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान अपनी पत्नी सीमा प्रधान को मेयर बनाना चाहते हैं. वहीं, सीमा प्रधान ने कहा कि वह भी मेयर का चुनाव लड़ना चाहती हैं. सीमा प्रधान पूर्व में मेरठ की जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. जबकि, दूसरा मजबूत दावा समाजवादी पार्टी के शहर से दूसरी बार विधायक रफीक अंसारी का है.
समाजवादी पार्टी जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह ने बताया कि रफीक अंसारी पूर्व में पार्षद भी रह चुके हैं और बिना किसी सिंबल के मेयर का चुनाव भी लड़ चुके हैं. तब उन्हें 1 लाख से अधिक वोट मिले थे. ऐसे में उनका दावा भी काफी मजबूत है. मेरठ के 6 दावेदारों के नाम चयन कमेटी के माध्यम से लखनऊ भेजा जा चुका है.
राजा का बेटा नहीं होगा राजा: वहीं, तीसरे दावेदार जितेंद गुर्जर ने बताया कि वह पिछले 20 साल से समाजवादी पार्टी में सक्रिय हैं. विभिन्न पदों पर आसीन भी रहे हैं. उन्होंने अपनी दावेदारी पेश करते हुए कहा कि राजा का बेटा ही अगर राजा होगा तो बाकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का क्या होगा. जितेंद गुर्जर ने कहा कि पार्टी हाईकमान को यह देखना होगा कि कौन कितने दिन से पार्टी की सेवा कर रहा है. उन्होंने बिना नाम लिए दोनों विधायकों की तरफ हमला बोला. जिन्होंने अपनी-अपनी पत्नियों के लिए पार्टी नेतृत्व से मेयर का टिकट मांगा है.
पदाधिकारियों को किया आगाह: शनिवार को सपा की बैठक में अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिली. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कहा कि अगर नए लोगों पर पार्टी भरोसा करेंगी तो निश्चित तौर पर मुंह की खानी होगी. वहीं, एक कार्यकर्ता ने कहा कि अगर पुराने पार्टी के मजबूत कार्यकर्ताओं और नेताओं को दरकिनार किया जाएगा तो इससे पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ेगा.
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