मेरठ: बेटियां अब गांव की गलियों से निकल कर खुद हुनरमंद और आत्मनिर्भर बन रही हैं. इसमें सरकार की योजनाएं बेटियों के सपने को साकार करने में सहयोग कर रही हैं. जिले के लीड बैंक की तरफ से जरूरतमंद बेटियां अब अपने सपनों को साकार करने में प्रयत्नशील हैं.
बेटियां जो कुछ अलग करने का जज्बा रखती हैं. जनपद के लीड बैंक की तरफ से ऐसी ही जरुरतमंद बेटियों की मदद के लिए पहल की गई है. कुछ बच्चियां ऐसी भी हैं जिन्हें आर्थिक कारणों की वजह से अपने सपने पूरा करने का अवसर नहीं मिल पाता है. इसके लिए ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान प्रदेश के हर जिले में बच्चियों की मदद कर रहा है.
स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में बेटियों को मिल रही ट्रेनिंग:
मेरठ में यह संस्थान बेटियों के हौसलों को उड़ान देने का काम कर रहा है. कुछ ऐसी ही बेटियों से ईटीवी भारत की टीम ने खास बात-चीत की. उन्होंने बताया कि उनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. लेकिन वह अपने परिवार का सहयोग करना चाहती हैं. साथ ही आत्मनिर्भर भी बनना चाहती हैं. वहीं, ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान पर जाकर सभी बेटियां पूरी लगन से फैशन डिजाइनिंग सीख रही हैं. इससे सभी बहुत खुश हैं, सभी बच्चियां कहती हैं कि अब वो अपना काम करेंगी साथ ही अन्य कुछ जरूरतमंदों को प्रशिक्षित करके उन्हें भी स्वरोजगार के लिए खुद से जोड़कर प्रेरित करेंगी.
बेटियों के बुलंद हौलसे:
ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहीं कई बेटियां बताती हैं कि उन्हें यह अवसर मिला है और वह यहां मिल रहे प्रशिक्षण से अब इस काबिल बन रही हैं कि वह सभी कुछ कर सकती हैं, बेटियों में इस बात को लेकर काफी उत्साह है, वह बताती हैं कि अपने पैरों पर खड़े होकर वह भी एक मुकाम समाज में हांसिल करना चाहती हैं.
संस्थान में कई शॉर्ट टर्म कोर्स संचालित:
संस्थान के निदेशक शिव सिंह भारती ने बताया कि शॉर्ट टर्म कोर्स संचालित किए जा रहे हैं. इन कोर्स के जरिए छात्राओं को हर जरूरी चीज प्रशिक्षण के समय सिखाई जाती है. इससे उन्हें भविष्य में कहीं कठिनाई न हो. इस संस्थान में बच्चों को निशुल्क प्रशिक्षण मिलता है. इतना ही नहीं ट्रेनिंग के साथ बच्चों को चाय-नाश्ता भी मिलता है.
संस्थान के निदेशक ने आगे बताया कि ट्रेंड करने के बाद प्रशिक्षित जनों को संबंधित स्थानीय बैठक में संपर्क करके मुद्रा योजना के तहत लोन भी दिलाया जाता है. इससे स्वरोजगार आसानी से कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि जिले में एक वर्ष में 750 लोगों को प्रशिक्षण दिलाने का लक्ष्य है. उन्होंने बताया कि तमाम तरह के ऐसे कोर्स यहां संचालित हो रहे हैं, जो कि भविष्य में ट्रेनिंग करने वाले छात्र को स्थापित करने में पूरा सहयोग करते हैं.
बेटियां कहती हैं कि कई बार होता है कि शादी के बाद अगर कुछ ऊंच नीच हो जाए, तो महिलाओं को परेशानी उठानी पड़ती है. लेकिन अगर ऐसे में वह आत्मनिर्भर होंगी, तो फिर परिवार का भार खुद उठा सकती हैं.
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