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मेरठ: महाभारत कालीन पांडव टीले पर मिला प्राचीन मृदभांड और हड्डियों का अवशेष - हस्तिनापुर में हड्डियों के मिले अवशेष

उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद में हस्तिनापुर स्थित प्राचीन पांडव टीले पर इन दिनों सफाई की जा रही है. शुक्रवार को सफाई के दौरान टीले पर कई प्राचीन मृदभांड व हड्डियों के अवशेष मिले.

पुराने मृदभांडों के मिले अवशेष.
पुराने मृदभांडों के मिले अवशेष.
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Published : Sep 13, 2020, 11:37 AM IST

मेरठ: जिले के हस्तिनापुर स्थित पांडव टीले पर सफाई के दौरान बीते दिनों प्राचीन काल के बर्तन मिले थे. अब इस बार हड़प्पा काल के कुछ अवशेष मिले हैं. जानकारों का कहना है कि यह स्थल हड्डी व मृदभांडों से भरा हुआ है.

जानकार बताते हैं कि इस स्थल पर पूर्व में कभी उत्खनन नहीं हुआ है. प्राप्त बर्तन के अंदर कुछ अलग तरह की मिट्टी मिली है. एक बर्तन में तो कोयले के अवशेष मिले हैं. इस तरह के अवशेष मिलना आश्चर्यजनक है. सभी अवशेष हस्तिनापुर कार्यालय में कार्यरत अरविंद राणा को सौंप दिए गए हैं.

हस्तिनापुर स्थित पांडव टीले से मिले प्राचीन मृदभांड.
हस्तिनापुर स्थित पांडव टीले से मिले प्राचीन मृदभांड.

कुछ दिन पहले हस्तिनापुर से ही दीपक, मिट्टी का कटोरा व घड़े आदि के अवशेष मिले थे. इन अवशेषों को एएसआई कार्यालय को सुपुर्द किया गया था. बीते दिनों यहां कर्ण मंदिर के पास प्राचीन बर्तनों के अवशेष मिले थे. मां कामाख्या सिद्ध पीठ के पास से पुरातन अवशेष मिलने से रिसर्च कर रहे लोगों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है. बताया जाता है कि मिट्टी खिसकने से यहां वर्षों पुराने अवशेष मिल रहे हैं.

इस उल्टा खेड़ा का उत्खनन वर्ष 1950-52 में हुआ था. तब यहां खुदाई के दौरान डॉ. बीबी लाल को उल्टा खेड़ा टीला और बूढ़ी गंगा के समीप से प्रचुर मात्रा में अवशेष प्राप्त हुए थे. जिन्हें 1100-800 ईसा पूर्व के कालखंड में रखा गया था. यही बर्तन महाभारत में वर्णित कई स्थलों से प्राप्त किए गए हैं.

जानकारों का कहना है कि अगर यहां पर फिर से उत्खनन हो तो यहां और भी महाभारतकालीन अवशेष मिल सकते हैं. मिट्टी के खिसकने से की वजह से ये अवशेष मिल रहे हैं. अगर यहां दोबारा उत्खनन हो तो और भी रहस्य पर से पर्दा उठ सकता है लेकिन फिलहाल यहां उत्खनन पर रोक लगी हुई है.

मेरठ: जिले के हस्तिनापुर स्थित पांडव टीले पर सफाई के दौरान बीते दिनों प्राचीन काल के बर्तन मिले थे. अब इस बार हड़प्पा काल के कुछ अवशेष मिले हैं. जानकारों का कहना है कि यह स्थल हड्डी व मृदभांडों से भरा हुआ है.

जानकार बताते हैं कि इस स्थल पर पूर्व में कभी उत्खनन नहीं हुआ है. प्राप्त बर्तन के अंदर कुछ अलग तरह की मिट्टी मिली है. एक बर्तन में तो कोयले के अवशेष मिले हैं. इस तरह के अवशेष मिलना आश्चर्यजनक है. सभी अवशेष हस्तिनापुर कार्यालय में कार्यरत अरविंद राणा को सौंप दिए गए हैं.

हस्तिनापुर स्थित पांडव टीले से मिले प्राचीन मृदभांड.
हस्तिनापुर स्थित पांडव टीले से मिले प्राचीन मृदभांड.

कुछ दिन पहले हस्तिनापुर से ही दीपक, मिट्टी का कटोरा व घड़े आदि के अवशेष मिले थे. इन अवशेषों को एएसआई कार्यालय को सुपुर्द किया गया था. बीते दिनों यहां कर्ण मंदिर के पास प्राचीन बर्तनों के अवशेष मिले थे. मां कामाख्या सिद्ध पीठ के पास से पुरातन अवशेष मिलने से रिसर्च कर रहे लोगों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है. बताया जाता है कि मिट्टी खिसकने से यहां वर्षों पुराने अवशेष मिल रहे हैं.

इस उल्टा खेड़ा का उत्खनन वर्ष 1950-52 में हुआ था. तब यहां खुदाई के दौरान डॉ. बीबी लाल को उल्टा खेड़ा टीला और बूढ़ी गंगा के समीप से प्रचुर मात्रा में अवशेष प्राप्त हुए थे. जिन्हें 1100-800 ईसा पूर्व के कालखंड में रखा गया था. यही बर्तन महाभारत में वर्णित कई स्थलों से प्राप्त किए गए हैं.

जानकारों का कहना है कि अगर यहां पर फिर से उत्खनन हो तो यहां और भी महाभारतकालीन अवशेष मिल सकते हैं. मिट्टी के खिसकने से की वजह से ये अवशेष मिल रहे हैं. अगर यहां दोबारा उत्खनन हो तो और भी रहस्य पर से पर्दा उठ सकता है लेकिन फिलहाल यहां उत्खनन पर रोक लगी हुई है.

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