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भारत जोड़ो यात्रा यूपी में क्या बना पाई कांग्रेस का पब्लिक से कनेक्शन, पढ़ें राजनीतिक विश्लेषक राय

मेरठ के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी (Political Analyst Sadab Rizvi) ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कहा कि यह पार्टी के शुभ संकेत हो सकते हैं. लेकिन इस यात्रा से लोगों की सोच वोट में बिल्कुल नहीं बदल रही है.

भीम आर्मी भारत एकता मिशन के जिला संयोजक सुधीर कुमार सागर ने कहा
भीम आर्मी भारत एकता मिशन के जिला संयोजक सुधीर कुमार सागर ने कहा
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Published : Jan 27, 2023, 5:17 PM IST

Updated : Jan 27, 2023, 6:08 PM IST

राजनैतिक विश्लेषक सादाब रिजवी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया.

मेरठः तीन दशक से भी अधिक समय हो चुका है. लेकिन पंजे वाली पार्टी कांग्रेस की स्थिति यूपी में मजबूत नहीं हो पा रही है. भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से देशभर में कांग्रेस को लेकर चर्चाएं भी खूब हो रही हैं. यूपी जैसे बड़े राज्य के सिर्फ जाटलैंड कहे जाने वाले इलाके से ही यात्रा गुजरी थी. तो क्या वेस्ट यूपी में कांग्रेस का पब्लिक से कनेक्शन बन गया है. आखिर कांग्रेस के लिए क्या संभावनाएं हैं.

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गांधी के नेतृत्व में यूपी में करीब 125 किलोमीटर का सफर तय किया था. यूपी के चुनिंदा क्षेत्रों से निकली यात्रा के बाद क्या कांग्रेस के लिए कुछ शुभ संकेत हो सकते हैं. पश्चिमी यूपी में जिस तरह अन्य दलों संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भी उनका स्वागत किया. उससे कांग्रेस का कुछ भला होने वाला है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सियासी सूखे की शिकार कांग्रेस में कुछ कामयाब हो सकती है. ऐसे में सिर्फ वेस्ट यूपी के जाटलैंड कहे जाने वाले क्षेत्र से 3 दिन में 125 किलोमीटर का सफर तय करके कांग्रेस को क्या कुछ हांसिल हो सकता है.

राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी कहते हैं कि कोई चमत्कार हो पाएगा. ऐसा सियासी तौर पर अभी नहीं लगता है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की कर्मठता और सोच को लेकर आम आदमी की सोच में एक बदलाव आया है. यह कांग्रेस के प्रति लोगों के दिल में एक सॉफ्ट कॉर्नर कह सकते हैं. लेकिन अगर यह कहें कि इस यात्रा से लोगों की सोच वोट में बदल रही है. ऐसा बिल्कुल नहीं दिख रहा है. उन्होंने कहा कि जाटलैंड जिस इलाके को पश्चिमी यूपी के हिस्से के नाम से जाना जाता है. जिसे शुगर बाउल तथा किसानों की धरती कहा जाता है. उस इलाके में कांग्रेस कुछ कर पाएगी ऐसा नहीं लगता है.

सादाब रिजवी इसकी तमाम वजहें भी गिनाते हैं. उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में खासकर पश्चिमी यूपी का एक बड़ा मुस्लिम वर्ग का हिस्सा समाजवादी पार्टी पर अधिक भरोसा करता है. वहीं, बचा हुआ कुछ हिस्सा बीएसपी पर भरोसा करता है. उसी तरह जाटलैंड में जाट राष्ट्रीय लोकदल के साथ या कुछ अंश बीजेपी के साथ चला जाता है. इसके साथ ही दलित वर्ग बीएसपी चीफ मायावती और चंद्रशेखर में बंट जाता है. ऐसी स्थिति में अलग अलग पार्टियों के साथ जो लोग जुड़े गए हैं. वह फिर से कांग्रेस की तरफ जुड़ जाएं. ऐसे सियासी समीकरण कहीं भी नहीं दिख रहे हैं.

सादाब रिजवी कहते हैं कि राहुल गांधी की कोशिश को लेकर हर जगह चर्चाएं जरूर शुरू हो गई हैं. लोग यह मानने लगे हैं कि आने वाले समय में भाजपा के मुकाबले के लिए कांग्रेस ही खड़ी हो सकती है. चाहे यूपी हो या फिर कोई अन्य राज्य हो. उन्होंने कहा कि लोगों की सोच जरूर बदली है. लेकिन अभी वोट नहीं बदला है. उन्होंने कहा कि जो कभी कांग्रेस के मजबूत पिलर के रूप में थे. वह अब अन्य दलों के साथ खड़े हैं. रिजवी ने उन तमाम नामों को भी गिनाते हैं. जो कभी जाटलैंड में कांग्रेस के मजबूत स्तंभ होते थे. लेकिन बाद में उन नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया अन्य दलों में अपना ठिकाना बना लिया है.

कांग्रेस को मेहनत की जरूरत
राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी मानते हैं कि प्रियंका गांधी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश की प्रभारी हैं. कांग्रेस का हाथ जोड़ो कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है. उन्हें लगता है कि प्रियंका गांधी को प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पार्टी लगाएगी. उनका मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा में भी यूपी का बेहद कम हिस्सा शामिल रहा. इसलिए उन्हें लगता है कि यहां बहुत ज्यादा फायदा राजनीतिक तौर पर यूपी में होने वाला नहीं है.

उन्होंने कहा कि छोटे दलों को कांग्रेस के साथ आने में कांग्रेस को फायदा ही फायदा है. कांग्रेस जब सत्ता में यहां होती थी. तो उस समय कांग्रेस का यही छोटे दल बेस थे. वहीं, अब यह बेस छोटे दलों के रूप में हो गया है. प्रदेश के क्षेत्रीय दल मजबूत होने की वजह से कांग्रेस कमजोर हो गई है. रिजवी का कहना है कि क्षेत्रीय दल यह मानते हैं कि अगर लोग फिर से पंजे की तरफ मुड़ गए तो उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो जांएगी. यही वजह है कि छोटे दल कांग्रेस के साथ जाना नहीं चाहते हैं. इसलिए कांग्रेस का संगठन बेहद कमजोर हो चुका है. जब तक संगठन मजबूत नहीं होगा. तब तक दूसरी पार्टियों का मुकाबला नहीं किया जा सकता है.

पार्टी नेताओं को भारत जोड़ो यात्रा पप भरोसा
बीते दिनों मेरठ में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने कहा था कि पूरे देश में राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा करके भारत को जो जोड़ने की कसम खाई है. इससे पहले कभी किसी ने ऐसा बड़ा लक्ष्य कश्मीर से कन्याकुमारी के बीच पदयात्रा करने का नहीं लिया है. यानी पार्टी को लगता है कि इससे उन्हें निश्चित ही फायदा आगामी आने वाले समय में होगा.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक हरिशंकर जोशी का कहना है कि यात्रा चुनाव के लिए नहीं है. ऐसा कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि भाईचारा सद्भाव मोहब्बत की दुकान खोलने के लिए है. पश्चिमी यूपी में भारत जोड़ो यात्रा जिस क्षेत्र से गुजरी. वहां के किसानों ने यात्रा का भरपूर स्वागत किया. राहुल गांधी को देखने के लिए लोग उमड़े पड़े थे. पश्चिम की क्षेत्रीय प्रमुख पार्टी रालोद ने उसका समर्थन भी किया था.

भारतीय किसान यूनियन के नेता टिकैत बंधुओं ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का खुला समर्थन किया था. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कांग्रेस की जो मोहब्बत की दुकान किसानों के साथ सजनी है. यह जो स्वागत हुआ है. इससे यह इंगित हो रहा है कि इस बार कांग्रेस किसानों को आगे बढ़ने के लिए अधिक तवज्जो दे.

यह भी पढ़ें-Murder in Raibareli : एयरफोर्स के पूर्व कर्मचारी का शव पेड़ से लटका मिला

राजनैतिक विश्लेषक सादाब रिजवी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया.

मेरठः तीन दशक से भी अधिक समय हो चुका है. लेकिन पंजे वाली पार्टी कांग्रेस की स्थिति यूपी में मजबूत नहीं हो पा रही है. भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से देशभर में कांग्रेस को लेकर चर्चाएं भी खूब हो रही हैं. यूपी जैसे बड़े राज्य के सिर्फ जाटलैंड कहे जाने वाले इलाके से ही यात्रा गुजरी थी. तो क्या वेस्ट यूपी में कांग्रेस का पब्लिक से कनेक्शन बन गया है. आखिर कांग्रेस के लिए क्या संभावनाएं हैं.

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गांधी के नेतृत्व में यूपी में करीब 125 किलोमीटर का सफर तय किया था. यूपी के चुनिंदा क्षेत्रों से निकली यात्रा के बाद क्या कांग्रेस के लिए कुछ शुभ संकेत हो सकते हैं. पश्चिमी यूपी में जिस तरह अन्य दलों संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भी उनका स्वागत किया. उससे कांग्रेस का कुछ भला होने वाला है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सियासी सूखे की शिकार कांग्रेस में कुछ कामयाब हो सकती है. ऐसे में सिर्फ वेस्ट यूपी के जाटलैंड कहे जाने वाले क्षेत्र से 3 दिन में 125 किलोमीटर का सफर तय करके कांग्रेस को क्या कुछ हांसिल हो सकता है.

राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी कहते हैं कि कोई चमत्कार हो पाएगा. ऐसा सियासी तौर पर अभी नहीं लगता है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की कर्मठता और सोच को लेकर आम आदमी की सोच में एक बदलाव आया है. यह कांग्रेस के प्रति लोगों के दिल में एक सॉफ्ट कॉर्नर कह सकते हैं. लेकिन अगर यह कहें कि इस यात्रा से लोगों की सोच वोट में बदल रही है. ऐसा बिल्कुल नहीं दिख रहा है. उन्होंने कहा कि जाटलैंड जिस इलाके को पश्चिमी यूपी के हिस्से के नाम से जाना जाता है. जिसे शुगर बाउल तथा किसानों की धरती कहा जाता है. उस इलाके में कांग्रेस कुछ कर पाएगी ऐसा नहीं लगता है.

सादाब रिजवी इसकी तमाम वजहें भी गिनाते हैं. उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में खासकर पश्चिमी यूपी का एक बड़ा मुस्लिम वर्ग का हिस्सा समाजवादी पार्टी पर अधिक भरोसा करता है. वहीं, बचा हुआ कुछ हिस्सा बीएसपी पर भरोसा करता है. उसी तरह जाटलैंड में जाट राष्ट्रीय लोकदल के साथ या कुछ अंश बीजेपी के साथ चला जाता है. इसके साथ ही दलित वर्ग बीएसपी चीफ मायावती और चंद्रशेखर में बंट जाता है. ऐसी स्थिति में अलग अलग पार्टियों के साथ जो लोग जुड़े गए हैं. वह फिर से कांग्रेस की तरफ जुड़ जाएं. ऐसे सियासी समीकरण कहीं भी नहीं दिख रहे हैं.

सादाब रिजवी कहते हैं कि राहुल गांधी की कोशिश को लेकर हर जगह चर्चाएं जरूर शुरू हो गई हैं. लोग यह मानने लगे हैं कि आने वाले समय में भाजपा के मुकाबले के लिए कांग्रेस ही खड़ी हो सकती है. चाहे यूपी हो या फिर कोई अन्य राज्य हो. उन्होंने कहा कि लोगों की सोच जरूर बदली है. लेकिन अभी वोट नहीं बदला है. उन्होंने कहा कि जो कभी कांग्रेस के मजबूत पिलर के रूप में थे. वह अब अन्य दलों के साथ खड़े हैं. रिजवी ने उन तमाम नामों को भी गिनाते हैं. जो कभी जाटलैंड में कांग्रेस के मजबूत स्तंभ होते थे. लेकिन बाद में उन नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया अन्य दलों में अपना ठिकाना बना लिया है.

कांग्रेस को मेहनत की जरूरत
राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी मानते हैं कि प्रियंका गांधी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश की प्रभारी हैं. कांग्रेस का हाथ जोड़ो कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है. उन्हें लगता है कि प्रियंका गांधी को प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पार्टी लगाएगी. उनका मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा में भी यूपी का बेहद कम हिस्सा शामिल रहा. इसलिए उन्हें लगता है कि यहां बहुत ज्यादा फायदा राजनीतिक तौर पर यूपी में होने वाला नहीं है.

उन्होंने कहा कि छोटे दलों को कांग्रेस के साथ आने में कांग्रेस को फायदा ही फायदा है. कांग्रेस जब सत्ता में यहां होती थी. तो उस समय कांग्रेस का यही छोटे दल बेस थे. वहीं, अब यह बेस छोटे दलों के रूप में हो गया है. प्रदेश के क्षेत्रीय दल मजबूत होने की वजह से कांग्रेस कमजोर हो गई है. रिजवी का कहना है कि क्षेत्रीय दल यह मानते हैं कि अगर लोग फिर से पंजे की तरफ मुड़ गए तो उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो जांएगी. यही वजह है कि छोटे दल कांग्रेस के साथ जाना नहीं चाहते हैं. इसलिए कांग्रेस का संगठन बेहद कमजोर हो चुका है. जब तक संगठन मजबूत नहीं होगा. तब तक दूसरी पार्टियों का मुकाबला नहीं किया जा सकता है.

पार्टी नेताओं को भारत जोड़ो यात्रा पप भरोसा
बीते दिनों मेरठ में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने कहा था कि पूरे देश में राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा करके भारत को जो जोड़ने की कसम खाई है. इससे पहले कभी किसी ने ऐसा बड़ा लक्ष्य कश्मीर से कन्याकुमारी के बीच पदयात्रा करने का नहीं लिया है. यानी पार्टी को लगता है कि इससे उन्हें निश्चित ही फायदा आगामी आने वाले समय में होगा.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक हरिशंकर जोशी का कहना है कि यात्रा चुनाव के लिए नहीं है. ऐसा कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि भाईचारा सद्भाव मोहब्बत की दुकान खोलने के लिए है. पश्चिमी यूपी में भारत जोड़ो यात्रा जिस क्षेत्र से गुजरी. वहां के किसानों ने यात्रा का भरपूर स्वागत किया. राहुल गांधी को देखने के लिए लोग उमड़े पड़े थे. पश्चिम की क्षेत्रीय प्रमुख पार्टी रालोद ने उसका समर्थन भी किया था.

भारतीय किसान यूनियन के नेता टिकैत बंधुओं ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का खुला समर्थन किया था. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कांग्रेस की जो मोहब्बत की दुकान किसानों के साथ सजनी है. यह जो स्वागत हुआ है. इससे यह इंगित हो रहा है कि इस बार कांग्रेस किसानों को आगे बढ़ने के लिए अधिक तवज्जो दे.

यह भी पढ़ें-Murder in Raibareli : एयरफोर्स के पूर्व कर्मचारी का शव पेड़ से लटका मिला

Last Updated : Jan 27, 2023, 6:08 PM IST
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