ETV Bharat / state

जानिए, 2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी फतह के लिए कौन कर रहा मजबूत तैयारी, कौन है पीछे

आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी फतह के लिए बीजेपी, रालोद व सपा गठबंधन क्या तैयारियां कर रहे हैं साथ ही किस तरह के समीकरणों को साधने की कोशिश की जा रही है चलिए समझते हैं राजनीतिक विश्लेषकों के जरिए.

Etv bharat
Etv bharat
author img

By

Published : Dec 24, 2022, 4:13 PM IST

मेरठः 2024 के आगामी लोकसभा चुनाव (2024 Lok Sabha elections) में पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western UP) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. यहां की राजनीति में अच्छी खासी पैठ रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल को सपा का साथ कितना फायदा पहुंचाएगा ये तो आने वाला चुनाव ही बताएगा. हां, बीते उपचुनाव में खतौली सीट पर इस गठबंधन को जीत से ऑक्सीजन जरूर मिली है. वहीं, इस हार से पश्चिमी यूपी में आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बीजेपी को झटका लगा है. बीजेपी जहां गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है तो वही गठबंधन इस जीत को नई संजीवनी मानकर आगे बढ़ रहा है. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक इसे किस नजर से देख रहे हैं चलिए जानते हैं.

राजनीतिक विश्लेषक और पूर्व आईएएस प्रभात राय बताते हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 में होने हैं. ऐसे में विपक्ष की खासकर पश्चिमी यूपी में जो स्थिति है वह शून्य की है. बीजेपी हर मामले में इस वक्त आगे है. आरएसएस भी लगातार सक्रिय है. विपक्ष को जो सक्रिय भूमिका अपनी जमीन को मजबूत करने के लिए निभानी चाहिए वह निभाता नहीं दिख रहा है.

ये बोले राजनीतिक विश्लेषक.


वह बोले कि पश्चिमी यूपी में राष्ट्रीय लोकदल मजबूत विकल्प है. रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी किसान आंदोलन के दौरान किसानों के बीच गए थे. बड़ी-बड़ी पंचायतें भी उन्होंने की. हिन्दू-मुस्लिम एकता को लेकर भी उन्होंने पंचायत की. मुजफ्फरनगर दंगे में जो बिछड़ गए थे, उन्हें वह फिर से साथ लाए. वह बोले कि जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह कभी किसी के पीछे नहीं चले. वह हमेशा अग्रणी भूमिका में रहते हुए आगे बढ़े. जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी में बेहद मजबूत हैं. फिर भी वह दूसरे दल का साथ पकड़कर पीछे चल रहे हैं. वह कहते हैं कि जबकि उन्हें अपने दादा को याद करके विपक्ष के रूप में अग्रणी चुनौती बनना चाहिए.

उन्होंने कहा कि किसानों की समस्या आज भी जस की तस हैं, लेकिन उनकी कोई बात नहीं कर रहा है. एमएसपी पर कानून की कोई बात विपक्ष नहीं कर रहा है. वह मशविरा भी देते हैं कि चन्द्रशेखर को जयंत को अपने साथ खड़ा करके आगे बढ़ना चाहिए.
वह कहते हैं कि दलित वोट बैंक मायावती से निराश हो चुका है. पिछली बार लोकसभा चुनाव में बीएसपी का वोट बैंक भाजपा में शिफ्ट भी हुआ है. उनका मानना है कि खासकर पश्चिमी यूपी में इस वक्त न हीं अखिलेश यादव और न हीं मायावती बीजेपी को चुनौती दे सकते हैं.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी का कहना है कि वर्तमान में देख रहे हैं कि बीजेपी ने दो चीजों पर ज्यादा ध्यान दिया है. वह कहते हैं कि मुस्लिमों और दलितों के साथ होने से गठबंधन मजबूत हो रहा है. बीजेपी दोनों पर चोट कर रही है. बीजेपी और आरएसएस लगातार मुस्लिमों और दलितों को जोड़ने की कोशिश कर रही है. पार्टी के नेता दलित बाहुल्य क्षेत्रों में जा रहे हैं. दलितों के घर पर खाना खा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि बीजेपी का अगला टारगेट पिछड़े मुस्लिम हैं. पार्टी पसमांदा मुस्लिमों को लेकर लगातार सक्रिय रही. आने वाले दिनों में बीजेपी हर जिले में बड़ा पसंमादा सम्मेलन आयोजित करने जा रही है. अल्पसंख्यक मोर्चा को इसके लिए जिम्मेदारी दे दी गई है. भाजपा के सामने पश्चिमी यूपी में कहीं कोई विपक्ष नहीं दिख रहा है. कांग्रेस कहीं है ही नहीं. 2022 में बसपा का क्या हश्र हुआ है वह सभी देख चुके हैं. वह कहते हैं कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रालोद अध्यक्ष जयन्त सिंह को इसलिए साथ रखा है क्योंकि इस वक्त वह प्रदेश की तीसरी बड़ी पार्टी हैं. ऐसे में अखिलेश यादव को लगता है कि उनको साथ लेने से उन्हें मजबूती मिल जाएगी और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर भी साथ होंगे तो इन्हें पश्चिम में मजबूती मिल जाएगी.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक हरिशंकर जोशी कहते हैं कि मुद्दा यह है कि चुनाव के बाद विपक्ष सुस्त हो गया है. वह कहते हैं कि विपक्ष बजाए मुद्दों के कोशिश यह भी करता है कि वह हिंदू वर्ग के साथ है. वह कहते हैं कि अभी आजम खान वाली सीट पर जो चुनाव हुआ है उसका जो मत प्रतिशत रहा उस पर एक भी विपक्षी दल ने नहीं बोला. उनकी मानें तो आने वाले समय में यह निर्भर करेगा कि विपक्ष मुद्दों पर चुनाव लड़ता है या फिर भाजपा के आंगन में. उनका मानना है कि अगर हिन्दू मुस्लिम पर विपक्ष जाएगा तो बीजेपी निश्चित ही उन्हें चित कर देगी क्योंकि उस अखाड़े की सबसे बड़ी पहलवान बीजेपी ही है.

ये भी पढ़ेंः भारत में फिर शुरू होंगी पाबंदियां, स्वास्थ्य मंत्री ने दिया ये बड़ा बयान

मेरठः 2024 के आगामी लोकसभा चुनाव (2024 Lok Sabha elections) में पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western UP) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. यहां की राजनीति में अच्छी खासी पैठ रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल को सपा का साथ कितना फायदा पहुंचाएगा ये तो आने वाला चुनाव ही बताएगा. हां, बीते उपचुनाव में खतौली सीट पर इस गठबंधन को जीत से ऑक्सीजन जरूर मिली है. वहीं, इस हार से पश्चिमी यूपी में आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बीजेपी को झटका लगा है. बीजेपी जहां गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है तो वही गठबंधन इस जीत को नई संजीवनी मानकर आगे बढ़ रहा है. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक इसे किस नजर से देख रहे हैं चलिए जानते हैं.

राजनीतिक विश्लेषक और पूर्व आईएएस प्रभात राय बताते हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 में होने हैं. ऐसे में विपक्ष की खासकर पश्चिमी यूपी में जो स्थिति है वह शून्य की है. बीजेपी हर मामले में इस वक्त आगे है. आरएसएस भी लगातार सक्रिय है. विपक्ष को जो सक्रिय भूमिका अपनी जमीन को मजबूत करने के लिए निभानी चाहिए वह निभाता नहीं दिख रहा है.

ये बोले राजनीतिक विश्लेषक.


वह बोले कि पश्चिमी यूपी में राष्ट्रीय लोकदल मजबूत विकल्प है. रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी किसान आंदोलन के दौरान किसानों के बीच गए थे. बड़ी-बड़ी पंचायतें भी उन्होंने की. हिन्दू-मुस्लिम एकता को लेकर भी उन्होंने पंचायत की. मुजफ्फरनगर दंगे में जो बिछड़ गए थे, उन्हें वह फिर से साथ लाए. वह बोले कि जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह कभी किसी के पीछे नहीं चले. वह हमेशा अग्रणी भूमिका में रहते हुए आगे बढ़े. जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी में बेहद मजबूत हैं. फिर भी वह दूसरे दल का साथ पकड़कर पीछे चल रहे हैं. वह कहते हैं कि जबकि उन्हें अपने दादा को याद करके विपक्ष के रूप में अग्रणी चुनौती बनना चाहिए.

उन्होंने कहा कि किसानों की समस्या आज भी जस की तस हैं, लेकिन उनकी कोई बात नहीं कर रहा है. एमएसपी पर कानून की कोई बात विपक्ष नहीं कर रहा है. वह मशविरा भी देते हैं कि चन्द्रशेखर को जयंत को अपने साथ खड़ा करके आगे बढ़ना चाहिए.
वह कहते हैं कि दलित वोट बैंक मायावती से निराश हो चुका है. पिछली बार लोकसभा चुनाव में बीएसपी का वोट बैंक भाजपा में शिफ्ट भी हुआ है. उनका मानना है कि खासकर पश्चिमी यूपी में इस वक्त न हीं अखिलेश यादव और न हीं मायावती बीजेपी को चुनौती दे सकते हैं.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी का कहना है कि वर्तमान में देख रहे हैं कि बीजेपी ने दो चीजों पर ज्यादा ध्यान दिया है. वह कहते हैं कि मुस्लिमों और दलितों के साथ होने से गठबंधन मजबूत हो रहा है. बीजेपी दोनों पर चोट कर रही है. बीजेपी और आरएसएस लगातार मुस्लिमों और दलितों को जोड़ने की कोशिश कर रही है. पार्टी के नेता दलित बाहुल्य क्षेत्रों में जा रहे हैं. दलितों के घर पर खाना खा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि बीजेपी का अगला टारगेट पिछड़े मुस्लिम हैं. पार्टी पसमांदा मुस्लिमों को लेकर लगातार सक्रिय रही. आने वाले दिनों में बीजेपी हर जिले में बड़ा पसंमादा सम्मेलन आयोजित करने जा रही है. अल्पसंख्यक मोर्चा को इसके लिए जिम्मेदारी दे दी गई है. भाजपा के सामने पश्चिमी यूपी में कहीं कोई विपक्ष नहीं दिख रहा है. कांग्रेस कहीं है ही नहीं. 2022 में बसपा का क्या हश्र हुआ है वह सभी देख चुके हैं. वह कहते हैं कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रालोद अध्यक्ष जयन्त सिंह को इसलिए साथ रखा है क्योंकि इस वक्त वह प्रदेश की तीसरी बड़ी पार्टी हैं. ऐसे में अखिलेश यादव को लगता है कि उनको साथ लेने से उन्हें मजबूती मिल जाएगी और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर भी साथ होंगे तो इन्हें पश्चिम में मजबूती मिल जाएगी.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक हरिशंकर जोशी कहते हैं कि मुद्दा यह है कि चुनाव के बाद विपक्ष सुस्त हो गया है. वह कहते हैं कि विपक्ष बजाए मुद्दों के कोशिश यह भी करता है कि वह हिंदू वर्ग के साथ है. वह कहते हैं कि अभी आजम खान वाली सीट पर जो चुनाव हुआ है उसका जो मत प्रतिशत रहा उस पर एक भी विपक्षी दल ने नहीं बोला. उनकी मानें तो आने वाले समय में यह निर्भर करेगा कि विपक्ष मुद्दों पर चुनाव लड़ता है या फिर भाजपा के आंगन में. उनका मानना है कि अगर हिन्दू मुस्लिम पर विपक्ष जाएगा तो बीजेपी निश्चित ही उन्हें चित कर देगी क्योंकि उस अखाड़े की सबसे बड़ी पहलवान बीजेपी ही है.

ये भी पढ़ेंः भारत में फिर शुरू होंगी पाबंदियां, स्वास्थ्य मंत्री ने दिया ये बड़ा बयान

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.