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मेरठ: पुलिसकर्मी ने नेत्रदान करने का किया फैसला, बताई इसके पीछे की कहानी

यूपी के मेरठ में एक पुलिसकर्मी ने अपना नेत्र दान करने का फैसला किया है. उनका कहना है इसमें कोई गौरवान्वित होने की बात नहीं है, दान तो गुप्त होता है.

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हेड मोहर्रिर श्रवण कुमार
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Published : Dec 1, 2019, 3:27 PM IST

मेरठ: भारत में करीब 1.25 करोड़ लोग दृष्टिहीन हैं. हमारे समाज में नेत्रदान को महादान माना जाता है. आम जनता के साथ पुलिसकर्मी भी इस महादान में भाग ले रहे हैं. मेरठ के थाना इचौली क्षेत्र में तैनात हेड मोहर्रिर श्रवण कुमार ने नेत्रदान करने का फैसला लिया है.

हेड मोहर्रिर श्रवण कुमार करेंगे नेत्रदान.
  • जब श्रवण कुमार से पूछा गया नेत्रदान के फैसले के बाद आप कैसा महसूस कर रहे हैं तो उनका कहना था कि इसमें कोई गौरवान्वित होने की बात नहीं, दान तो गुप्त होता है.
  • ईटीवी भारत ने श्रवण कुमार से जानना चाहा कि वह ऐसा नेत्रदान क्यों करना चाहते थे तो उन्होंने इसकी पीछे एक किस्सा सुनाया.
  • उन्होंने बताया कि एक बार सड़क पार करते हुए एक बुजुर्ग हादसे का शिकार होते-होते बच गए. वाहन चालक ने उन बुजुर्ग को अपशब्द कहे.
  • बाद में मुझे पता चला कि वो आदमी नेत्रहीन है. इससे मुझे काफी दुख हुआ था. तब मैंने सोचा था कि आज अगर इनके पास आंखे होती तो इन्हें अपशब्द न सुनने पड़ते.

ये भी पढ़ें: सिपाही की हत्या में फरार था इनामी बदमाश, एनकाउंटर के बाद अरेस्ट

जब श्रवण से यह पूछा गया कि क्या इससे पुलिस की धूमिल इमेज में कोई सुधार आएगा तो उन्होंने नेत्रदान के फैसले को खुद का बताया और कहा डिपार्टमेंट का इससे कोई लेना-देना नहीं है.

मेरठ: भारत में करीब 1.25 करोड़ लोग दृष्टिहीन हैं. हमारे समाज में नेत्रदान को महादान माना जाता है. आम जनता के साथ पुलिसकर्मी भी इस महादान में भाग ले रहे हैं. मेरठ के थाना इचौली क्षेत्र में तैनात हेड मोहर्रिर श्रवण कुमार ने नेत्रदान करने का फैसला लिया है.

हेड मोहर्रिर श्रवण कुमार करेंगे नेत्रदान.
  • जब श्रवण कुमार से पूछा गया नेत्रदान के फैसले के बाद आप कैसा महसूस कर रहे हैं तो उनका कहना था कि इसमें कोई गौरवान्वित होने की बात नहीं, दान तो गुप्त होता है.
  • ईटीवी भारत ने श्रवण कुमार से जानना चाहा कि वह ऐसा नेत्रदान क्यों करना चाहते थे तो उन्होंने इसकी पीछे एक किस्सा सुनाया.
  • उन्होंने बताया कि एक बार सड़क पार करते हुए एक बुजुर्ग हादसे का शिकार होते-होते बच गए. वाहन चालक ने उन बुजुर्ग को अपशब्द कहे.
  • बाद में मुझे पता चला कि वो आदमी नेत्रहीन है. इससे मुझे काफी दुख हुआ था. तब मैंने सोचा था कि आज अगर इनके पास आंखे होती तो इन्हें अपशब्द न सुनने पड़ते.

ये भी पढ़ें: सिपाही की हत्या में फरार था इनामी बदमाश, एनकाउंटर के बाद अरेस्ट

जब श्रवण से यह पूछा गया कि क्या इससे पुलिस की धूमिल इमेज में कोई सुधार आएगा तो उन्होंने नेत्रदान के फैसले को खुद का बताया और कहा डिपार्टमेंट का इससे कोई लेना-देना नहीं है.

Intro:अब तक आप लोगों ने पुलिस की धूमिल इमेज के बारे में ही सुना होगा आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे पुलिस वाले के बारे में जिसने नेत्रदान करने का फैसला लिया है


Body:आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में करीब 1.25 करोड़ लोग दृष्टिहीन है जिसके चलते हमारे समाज में नेत्रदान को महादान माना जाता है इसके लिए अब आम लोग तो छोड़िए खुद मेरठ के थाना इचौली क्षेत्र में तैनात हेड मोरया श्रवण कुमार ने भी अपने नेत्रदान करने का फैसला लिया है....

हालांकि नेत्रदान के इस फैसले के बाद जब हमने मेरठ पुलिस के हेड मौर्य से पूछा नेत्रदान के फैसले के बाद आप कैसा महसूस कर रहे हैं तो उनका कहना था---- कि इसमें कोई गौरवान्वित होने की बात नहीं दान तो गुप्त होता है...

इस पूरे वाकए के बाद जबकि ईटीवी भारत ने हेड मौर्य श्रवण से जानना चाहा कि आखिर ऐसा क्या किस्सा उसके साथ हुआ जिससे उसने नेत्रदान करने का फैसला किया आइए जानते हैं पूरा किस्सा खुद श्रवण की जुबानी--

बाइट- श्रवण कुमार हेड मौर्य मेरठ पुलिस

हालांकि जब श्रवण से यह पूछा गया कि क्या इससे पुलिस की धूमिल इमेज मैं कोई सुधार आएगा तो कहीं ना कहीं उन्होंने हां कहा साथी नेत्रदान के फैसले को खुद का बताया और कहां डिपार्टमेंट का इससे कोई लेना-देना नहीं है....


क्लोजिंग पीटीसी





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