मेरठ: भारत में करीब 1.25 करोड़ लोग दृष्टिहीन हैं. हमारे समाज में नेत्रदान को महादान माना जाता है. आम जनता के साथ पुलिसकर्मी भी इस महादान में भाग ले रहे हैं. मेरठ के थाना इचौली क्षेत्र में तैनात हेड मोहर्रिर श्रवण कुमार ने नेत्रदान करने का फैसला लिया है.
- जब श्रवण कुमार से पूछा गया नेत्रदान के फैसले के बाद आप कैसा महसूस कर रहे हैं तो उनका कहना था कि इसमें कोई गौरवान्वित होने की बात नहीं, दान तो गुप्त होता है.
- ईटीवी भारत ने श्रवण कुमार से जानना चाहा कि वह ऐसा नेत्रदान क्यों करना चाहते थे तो उन्होंने इसकी पीछे एक किस्सा सुनाया.
- उन्होंने बताया कि एक बार सड़क पार करते हुए एक बुजुर्ग हादसे का शिकार होते-होते बच गए. वाहन चालक ने उन बुजुर्ग को अपशब्द कहे.
- बाद में मुझे पता चला कि वो आदमी नेत्रहीन है. इससे मुझे काफी दुख हुआ था. तब मैंने सोचा था कि आज अगर इनके पास आंखे होती तो इन्हें अपशब्द न सुनने पड़ते.
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जब श्रवण से यह पूछा गया कि क्या इससे पुलिस की धूमिल इमेज में कोई सुधार आएगा तो उन्होंने नेत्रदान के फैसले को खुद का बताया और कहा डिपार्टमेंट का इससे कोई लेना-देना नहीं है.