मेरठ : एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार महानगरों को जाम से निजात दिलाने के दावे कर रही है, वहीं महानगर मेरठ के खराब एवं बंद पड़े ट्रैफिक सिग्नल न सिर्फ शोपीस बने हुए हैं, बल्कि सरकार के दावों की भी पोल खोल रहे हैं. शहर के मुख्य चौराहों पर लगी ज्यादातर लाल, हरी और पीली बत्तियां खराब पड़ी धूल फांक रही हैं. ट्रैफिक सिग्नल खराब होने से जहां शहर भर में जाम लगा रहता है, वहीं कड़ाके की ठंड में भी यातायात पुलिस के पसीने छूट रहे हैं. शहर की मुख्य मार्गो के साथ दिल्ली-देहरादून, हापुड़-बागपत रोड़, करनाल-शामली रोड़ समेत सभी मार्गो से गुजरने वाले वाहनों को जाम से दो-चार होना पड़ता है. ईटीवी भारत की टीम ने मेरठ शहर के मुख्य मार्गो एवं चौराहों का रियल्टी चेक किया, जहां सभी लाल, हरी और पीली बत्तियां खराब मिलीं.
ईटीवी भारत की टीम ने महानगर मेरठ की ट्रैफिक व्यवस्था का जायजा लिया, जहां शहर के मुख्य मार्गो पर लगी लाल, हरी और पीली बत्तियां खराब मिलीं. बच्चा पार्क चौराहा हो या फिर बेगमपुल का मुख्य चौराहा, महानगर हो या फिर कैंट एरिया, ज्यादातर चौराहों पर लगी ये बत्तियां खराब पड़ी हैं. कई जगहों पर लाल बत्तियों का ये हाल है.
ट्रैफिक पुलिस की बड़ी जिम्मेदारी
शहर के मुख्य चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल खराब होने से ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी बढ़ गई है. चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल तो लगे हुए हैं, लेकिन चालू कोई भी नहीं है. ज्यादातर लाल बत्तियां खराब हालत में हैं, जिसके चलते यातायात पुलिसकर्मियों को ट्रैफिक व्यवस्था संभालनी पड़ रही है, जहां 2 सिपाही काम कर सकते हैं. वहां 5-6 ट्रैफिक कर्मियों को लगाया गया है. हाड़ कंपा देने वाली ठंड में ट्रेफिक पुलिस के जवान यातायात को सुचारू करने के लिए पसीना बहा रहे है. इतना ही नहीं, ट्रैफिक इंचार्ज स्वयं चौराहों पर ड्यूटी दे रहे हैं.
बता दें कि मेरठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा शहर माना जाता है. भारतीय सेना की छावनी होने के कारण महानगर का क्षेत्र कई गुना बढ़ जाता है. शहर के बीच में बने बस स्टैंड के साथ दिल्ली, देहरादून, हापुड़, बागपत और करनाल को जाने वाले मुख्य मार्गो पर वाहनों की आवाजाही ज्यादा रहती है. दो पहिया वाहनों के अलावा चार पहिया वाहन, रोडवेज बसों और सिटी बसों से जाम की स्थिति बनी रहती है. ट्रैफिक सिग्नल खराब होने की वजह से शहरवासियों को आए दिन जाम के झमेले से जूझना पड़ रहा है. राहगीरों का कहना है कि ट्रैफिक सिग्नल खराब होने से चौराहे पर घंटों तक लंबा जाम लगा रहता है. 10 मिनट की दूरी पर जाने के लिए घंटों का समय लग जाता है. कई बार तो सड़क हादसे भी हो जाते हैं.
'कार्रवाई करने पर नेताओं के आने लगते हैं फोन'
यातायात प्रभारी प्रमोद कुमार सिंह का कहना है कि शहर में यातायात बढ़ने से जहां जाम लगा रहता है, वहीं ट्रैफिक पुलिस की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. शहर के मुख्य चौराहों की सभी लाल बत्तियां खराब चल रही हैं, जिससे सिपाही और होमगार्डों को यातायात को संभालना पड़ रहा है. अगर ट्रैफिक सिग्नल सही काम करते हैं तो राहगीर लाल, हरी और पीली बत्तियों का पालन करते हैं. लाल, हरी और पीली बत्तियों में टाइम की सेटिंग होने पर यातायात उसी हिसाब से चलता रहता है. उन्होंने बताया कि मेरठ के लोग ट्रैफिक सिग्नलों का पालन भी नहीं करते. अगर किसी को रोक कर चालान की कार्रवाई की जाती है तो नेताओं के फोन आने शुरू हो जाते हैं. खराब बत्तियों के बारे में उन्होंने ज्यादा कुछ नही बताया, लेकिन ट्रैफिक सिग्नल सुचारू कराने के लिए संबधित अधिकारियों से पत्राचार जरूर किया है.