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पंडित जवाहरलाल नेहरू की 133वीं जयंती आज, जानें उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से

आज पंडित जवाहरलाल नेहरू की 133वीं जयंती (Pandit Jawaharlal Nehru Jayanti 2022) है. हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाई जाती है. चाचा नेहरू को बच्चे बहुत प्रिय थे. आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का मेरठ से भी गहरा नाता रहा है. पढ़ें उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक बातों के बारे में.

पंडित जवाहरलाल नेहरू
पंडित जवाहरलाल नेहरू
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Published : Nov 14, 2022, 10:19 AM IST

मेरठ: पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को (Birth anniversary of Jawaharlal Nehru 2022) हुआ था. वह भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने सबसे लंबे समय तक देश पर शासन किया था. वह शांति और समृद्धि के महान अनुयायी थे. वह 1957 में मेरठ आए थे. उन्होंने यहां महान वीर सपूतों की याद में शहीद स्मारक की आधारशिला रखी थी. शहीद स्मारक तैयार होने में तीन सौ रुपये की लागत आई थी. इन वीरों ने 1857 की क्रांति और देश की आजादी के लिए अहम योगदान दिया था.

शहीद स्मारक में स्थित राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय के अधीक्षक पीके मौर्य ने इीटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि 10 मई 1957 को इसकी आधारशिला पंडित जवाहरलाल नेहरु (Jawaharlal Nehru history) ने रखी थी. शहीद स्मारक में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के उन क्रान्तिकारियों के नाम भी दर्ज हैं, जिन्होंने उस वक्त 1857 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ मेरठ में बगावत की थी. उन 85 सैनिकों के नाम शहीद स्मारक में अंकित किए गए हैं. शहीद स्मारक की ऊंचाई सौ फीट है, जबकि उसके ऊपर अशोक स्तंभ स्थापित है. उसकी लंबाई 15 फीट है, जो रिकॉर्ड संग्रहालय में दर्ज है. उसके मुताबिक उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने शहीद स्मारक को तैयार किया था.

राजकीय संग्राम संग्रहालय के अधीक्षक पीके मौर्य से इीटीवी भारत की बातचीत

मेरठ में उससे पहले भी एक अशोक स्तंभ था, जिसे फिरोजशाह तुगलक मेरठ से लेकर दिल्ली चला गया था और दिल्ली में स्थापित कर दिया था. बकौल पाइक मौर्य हमारे प्रधानमंत्री के इतिहासकार थे, इसलिए उन्होंने ही निर्णय लिया था, 1857 में क्रांति का बिगुल फूंकने वाली धरा पर क्रांतिवीरों की याद में इस शहीद स्मारक की स्थापना की गई. यह स्मारक दोनों चीजों संजोए रहा. मौर्य वंश के तीसरे शासक सम्राट अशोक का बनाया अशोक स्तंभ और दूसरा मेरठ की क्रांति का भी यह प्रतीक है.

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शहीद स्मारक


पढे़ं- 'नेहरू के संघर्ष व्यक्तिगत हितों के लिए नहीं, बल्कि विचारों पर थे'

पंडित नेहरू (Jawaharlal Nehru education) न केवल अपने राजनीतिक करियर या देश सेवा के लिए जाने जाते हैं, बल्कि बच्चों के बीच भी बेहद प्रसिद्ध थे. पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चे और गुलाब के फूल बहुत पसंद थे. चाचा नेहरू का मानना था, बच्चों को सावधानीपूर्वक और प्यार से पोषित किया जाना चाहिए. क्योंकि, वे राष्ट्र का भविष्य और कल के नागरिक हैं. वे देश की ताकत और समाज की नींव हैं.

1857 की क्रांति: मई 1857 को चर्बी लगे कारतूस का इस्तेमाल करने से मना करने पर 85 सिपाहियों का कोर्ट मार्शल किया गया था. सैनिकों को विक्टोरिया पार्क जेल में तब बंद कर दिया गया था. सैनिकों पर हुई इस कार्रवाई और अपमान ने क्रांति को जन्म दे दिया था. जिसके बाद 10 मई को दिन ढलते अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह भड़क उठा था. उसी की याद में पंडित जवाहरलाल नेहरू (Nehru Jayanti 2022 significance) ने 100 वर्ष होने पर मेरठ में शहीद स्मारक की आधारशिला रखी थी. यहां अब राजकीय संग्रहालय स्थापित किया जा चुका है, यहां अमर जवान ज्योति भी है. ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध कैसे बिगुल फूंका गया उसकी हर जानकारी यहां दर्ज है.

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राजकीय संग्रहालय, शहीद स्मारक, अमर जवान ज्योति

जवाहरलाल नेहरू का निधन: जवाहर लाल नेहरू को 1950 से 1955 के बीच 11 बार नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित किया जा चुका है. नेहरू जी को आधुनिक भारत का वास्तुकार कहा जाता है. नेहरू जी एक प्रसिद्ध लेखक थें. उन्होंने (Jawaharlal Nehru died) जेल के अपने समय के दौरान 'लेटर फ्रॉम फादर टू हिज डॉटर' लिखी जिसका प्रकाशन 1929 में हुआ. अपनी ऑटोबायोग्राफी लिखी जिसे 1936 में प्रकाशित किया गया और द डिस्कवरी ऑफ इंडिया का प्रकाशन 1946 में किया गया था.

पढे़ं- World Diabetes Day 2022, आयुर्वेद के इन तीन मूलमंत्र से डायबिटीज को कहें अलविदा

मेरठ: पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को (Birth anniversary of Jawaharlal Nehru 2022) हुआ था. वह भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने सबसे लंबे समय तक देश पर शासन किया था. वह शांति और समृद्धि के महान अनुयायी थे. वह 1957 में मेरठ आए थे. उन्होंने यहां महान वीर सपूतों की याद में शहीद स्मारक की आधारशिला रखी थी. शहीद स्मारक तैयार होने में तीन सौ रुपये की लागत आई थी. इन वीरों ने 1857 की क्रांति और देश की आजादी के लिए अहम योगदान दिया था.

शहीद स्मारक में स्थित राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय के अधीक्षक पीके मौर्य ने इीटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि 10 मई 1957 को इसकी आधारशिला पंडित जवाहरलाल नेहरु (Jawaharlal Nehru history) ने रखी थी. शहीद स्मारक में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के उन क्रान्तिकारियों के नाम भी दर्ज हैं, जिन्होंने उस वक्त 1857 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ मेरठ में बगावत की थी. उन 85 सैनिकों के नाम शहीद स्मारक में अंकित किए गए हैं. शहीद स्मारक की ऊंचाई सौ फीट है, जबकि उसके ऊपर अशोक स्तंभ स्थापित है. उसकी लंबाई 15 फीट है, जो रिकॉर्ड संग्रहालय में दर्ज है. उसके मुताबिक उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने शहीद स्मारक को तैयार किया था.

राजकीय संग्राम संग्रहालय के अधीक्षक पीके मौर्य से इीटीवी भारत की बातचीत

मेरठ में उससे पहले भी एक अशोक स्तंभ था, जिसे फिरोजशाह तुगलक मेरठ से लेकर दिल्ली चला गया था और दिल्ली में स्थापित कर दिया था. बकौल पाइक मौर्य हमारे प्रधानमंत्री के इतिहासकार थे, इसलिए उन्होंने ही निर्णय लिया था, 1857 में क्रांति का बिगुल फूंकने वाली धरा पर क्रांतिवीरों की याद में इस शहीद स्मारक की स्थापना की गई. यह स्मारक दोनों चीजों संजोए रहा. मौर्य वंश के तीसरे शासक सम्राट अशोक का बनाया अशोक स्तंभ और दूसरा मेरठ की क्रांति का भी यह प्रतीक है.

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शहीद स्मारक


पढे़ं- 'नेहरू के संघर्ष व्यक्तिगत हितों के लिए नहीं, बल्कि विचारों पर थे'

पंडित नेहरू (Jawaharlal Nehru education) न केवल अपने राजनीतिक करियर या देश सेवा के लिए जाने जाते हैं, बल्कि बच्चों के बीच भी बेहद प्रसिद्ध थे. पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चे और गुलाब के फूल बहुत पसंद थे. चाचा नेहरू का मानना था, बच्चों को सावधानीपूर्वक और प्यार से पोषित किया जाना चाहिए. क्योंकि, वे राष्ट्र का भविष्य और कल के नागरिक हैं. वे देश की ताकत और समाज की नींव हैं.

1857 की क्रांति: मई 1857 को चर्बी लगे कारतूस का इस्तेमाल करने से मना करने पर 85 सिपाहियों का कोर्ट मार्शल किया गया था. सैनिकों को विक्टोरिया पार्क जेल में तब बंद कर दिया गया था. सैनिकों पर हुई इस कार्रवाई और अपमान ने क्रांति को जन्म दे दिया था. जिसके बाद 10 मई को दिन ढलते अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह भड़क उठा था. उसी की याद में पंडित जवाहरलाल नेहरू (Nehru Jayanti 2022 significance) ने 100 वर्ष होने पर मेरठ में शहीद स्मारक की आधारशिला रखी थी. यहां अब राजकीय संग्रहालय स्थापित किया जा चुका है, यहां अमर जवान ज्योति भी है. ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध कैसे बिगुल फूंका गया उसकी हर जानकारी यहां दर्ज है.

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राजकीय संग्रहालय, शहीद स्मारक, अमर जवान ज्योति

जवाहरलाल नेहरू का निधन: जवाहर लाल नेहरू को 1950 से 1955 के बीच 11 बार नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित किया जा चुका है. नेहरू जी को आधुनिक भारत का वास्तुकार कहा जाता है. नेहरू जी एक प्रसिद्ध लेखक थें. उन्होंने (Jawaharlal Nehru died) जेल के अपने समय के दौरान 'लेटर फ्रॉम फादर टू हिज डॉटर' लिखी जिसका प्रकाशन 1929 में हुआ. अपनी ऑटोबायोग्राफी लिखी जिसे 1936 में प्रकाशित किया गया और द डिस्कवरी ऑफ इंडिया का प्रकाशन 1946 में किया गया था.

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