मेरठः सेना से रिटायर्ड चित्रकार शीशराम को भारत सरकार की तरफ से उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है. मेरठ के रहने वाले शीशराम ने सेना में 40 साल अपनी सेवा दी. इसके बाद भी अब वे लोगों के लिए एक मिशाल साबित हो रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि मेरठ में एक कार्यक्रम में उनकी बनाई पेंटिंग को लगाने की परमिशन नहीं मिल पाई थी. पदमश्री सम्मान मिलने के बाद से शीशराम के परिवार से मिलने वालों व बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.
शीशराम बताते हैं कि अमृत महोत्सव के तहत मेरठ में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था, तब उन्होंने अपनी पेंटिंग्स लगाने की परमिशन जिले के अफसरों से मांगी थी. लेकिन उन्हें तब मायूसी ही हाथ लगी थी. उन्होंने बताया कि धर्म कुछ नहीं होता कर्म ही सब कुछ है. शीशराम का कहना है कि दिल्ली समेत देश में कई चित्रकला प्रदर्शनी में उन्होंने अपनी पेंटिंग्स जनता के सामने पेश की. शीशराम का कहना है कि कर्म ही धर्म है और अकेले चलो के सिद्धांत पर वे आगे बढ़े हैं.
70 की उम्र पार कर चुके शीशराम भारतीय सेना में EME कोर में थे. उन्होंने बताया कि वे सेना में जब सेवारत थे, तब भारत पाक युद्ध के दौरान तमाम टैंकों व तमाम फौजी गाड़ियों की आवश्यकता पड़ने पर मरम्मत करते थे. उस वक्त तमाम तश्वीरें फौजी गाड़ियों के इंजिन, युद्ध में प्रयुक्त होने वाले टैंकों से लेकर अन्य भी तमाम जरूरी तश्वीरें बनाया करते थे. बस यही शौक उनका बढ़ता चला गया और वे चित्रकार बन गए.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दुबई दौरे की भी चित्रकार शीशराम ने एक बेहद आकर्षक तस्वीर बनाई है. वहीं संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर, देश के इंडिया गेट और अमरजवान ज्योति की भी बेहद ही खूबसूरत तस्वीर दिखाकर बताते हैं कि दुबई में भी एक बार उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन प्रदर्शनी के माध्यम से किया था, जहां उन्हें काफी सराहना मिली थी. शीशराम की अब तक 40 से अधिक पेंटिंग की प्रदर्शनी देश-विदेश में लग चुकी हैं. सम्मान पाने के लिए उन्होंने उसी सेना की वर्दी को धारण किया, जिसमें उन्होंने देश सेवा की थी. देश के राष्ट्रपति से सम्मान पाकर वे बेहद भावुक हो गए थे. उनका कहना है कि जब राष्ट्रपति ने उनका नाम लिया तो उनके पास जैसे शब्द ही नहीं थे.
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