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Olympian प्रियंका गोस्वामी का मेरठ में जोरदार स्वागत, कहा- अगले Olympics की तैयारी में जुटूंगी

मेरठ पहुंचने पर प्रियंका गोस्वामी (Priyanka Goswami) का ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत हुआ. लोगों ने मिठाई बांटकर बिटिया के आगमन का जश्न मनाया. प्रियंका ने कहा अब अगले olympic पेरिस 2024 की तैयारी में जुटूंगी.

प्रियंका गोस्वामी
प्रियंका गोस्वामी
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Published : Aug 10, 2021, 5:17 PM IST

मेरठः जिले की बिटिया प्रियंका गोस्वामी (Priyanka Goswami) भले ही टोक्यो ओलम्पिक (Tokyo Olympics) के पटल पर पदक न जीत पाई हो, लेकिन उसने लोगों का दिल जरूर जीत लिया. मेरठ पहुंचने पर प्रियंका का जोरदार स्वागत हुआ. मां ने आरती उतारकर बिटिया का स्वागत किया. वहीं प्रियंका के स्वागत में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. परिजनों ने जिस खेल भावना का परिचय दिया वो काबिले तारीफ है.

प्रियंका के पिता मदनपाल गोस्वामी और मां अनीता गोस्वामी का कहना है कि, 'गिरते हैं सह सवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं'. माता पिता का कहना है कि बिटिया ने जिस जोश और जज्बे के साथ खेला है वो सराहनीय है. उन्हें उम्मीद है कि अगर वो ऐसे ही खेलती रही तो अगले ओलम्पिक में वो जरूर भारत के लिए मेडल जीतकर आएगी. प्रियंका ने कहा कि वो अभी से 2024 पेरिस olympic के लिए जुट जाएंगी. प्रियंका का कहना है कि इस बार उन्हें विश्व के सबसे बड़े प्लेटफार्म पर खेलने का मौका मिला और इसका लाभ अगले olympic में देखने को मिलेगा. इस बार प्रियंका टोक्यो olympic में 17th स्थान पर रहीं थी.

olympian priyanka goswami
प्रियंका गोस्वामी की आरती उतारती मां.

गौरतलब है कि प्रियंका बीस किलोमीटर रेस वॉकिंग के मैच में टोक्यो में बारह किलोमीटर तक टॉप टेन में रहीं. शुरुआत में तो वो तकरीबन आठ किलोमीटर तक वो टॉप फोर में रहीं. इस दौरान मेरठ का माधवपुरम इलाका भारत माता के जयकारों से गूंजता रहा. मैच के दौरान प्रियंका को चीयर करने के लए एक पार्क में बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी और पूरा मोहल्ला इकट्ठा होकर एक साथ मैच देख रहा था.

इसे भी पढ़ें- सपनों में बाधा नहीं बनेगी आर्थिक तंगी, इन बच्चियों को निशुल्क ट्रेनिंग दे रहे हैं एक कोच

प्रियंका ने सबसे पहले वर्ष 2015 में रेस वॉकिंग की दुनिया में तिरुअनंतपुरुम में आयोजित हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मैंगलोर में फेडरेशन कप में भी तीसरे स्थान पर रहते हुए कांस्य पर कब्जा जमाया. वर्ष 2017 में दिल्ली में हुई नेशनल रेस वॉकिंग चैंपियनशिप में इस एथलीट ने कमाल करते हुए अपने वर्ग में शीर्ष स्थान हासिल करते हुए गोल्ड मेडल जीता. 2018 में खेल कोटे से रेलवे में प्रियंका को क्लर्क की नौकरी मिल गई.

Olympian प्रियंका गोस्वामी
परिवार के साथ प्रियंका गोस्वामी.

परिवार की आर्थिक हालत सुधरी तो इस बिटिया का उत्साह और बढ़ गया और बीती फरवरी में मेरठ की अंतरराष्ट्रीय एथलीट प्रियंका गोस्वामी ने रांची में चल रहे राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया. यहां अंतरराष्ट्रीय रेस वॉकर प्रियंका गोस्वामी ने नए रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता. प्रियंका गोस्वामी ने रांची में हुए इवेंट में 20 किलोमीटर की वॉक एक घंटा अट्ठाइस मिनट पैंतालिस सेकेंड में पूरा कर नया रिकॉर्ड बनाया. इससे पहले यह रिकॉर्ड पिछले साल राजस्थान की एथलिट भावना जाट ने बनाया था. उन्‍होंने 20 किलोमीटर की पैदल चाल एक घंटा उन्नतीस मिनट चौव्वन सेकेंड में में पूरी की थी.

प्रियंका गोस्वामी
मेरठ पहुंची प्रियंका गोस्वामी.

मेरठः जिले की बिटिया प्रियंका गोस्वामी (Priyanka Goswami) भले ही टोक्यो ओलम्पिक (Tokyo Olympics) के पटल पर पदक न जीत पाई हो, लेकिन उसने लोगों का दिल जरूर जीत लिया. मेरठ पहुंचने पर प्रियंका का जोरदार स्वागत हुआ. मां ने आरती उतारकर बिटिया का स्वागत किया. वहीं प्रियंका के स्वागत में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. परिजनों ने जिस खेल भावना का परिचय दिया वो काबिले तारीफ है.

प्रियंका के पिता मदनपाल गोस्वामी और मां अनीता गोस्वामी का कहना है कि, 'गिरते हैं सह सवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलते हैं'. माता पिता का कहना है कि बिटिया ने जिस जोश और जज्बे के साथ खेला है वो सराहनीय है. उन्हें उम्मीद है कि अगर वो ऐसे ही खेलती रही तो अगले ओलम्पिक में वो जरूर भारत के लिए मेडल जीतकर आएगी. प्रियंका ने कहा कि वो अभी से 2024 पेरिस olympic के लिए जुट जाएंगी. प्रियंका का कहना है कि इस बार उन्हें विश्व के सबसे बड़े प्लेटफार्म पर खेलने का मौका मिला और इसका लाभ अगले olympic में देखने को मिलेगा. इस बार प्रियंका टोक्यो olympic में 17th स्थान पर रहीं थी.

olympian priyanka goswami
प्रियंका गोस्वामी की आरती उतारती मां.

गौरतलब है कि प्रियंका बीस किलोमीटर रेस वॉकिंग के मैच में टोक्यो में बारह किलोमीटर तक टॉप टेन में रहीं. शुरुआत में तो वो तकरीबन आठ किलोमीटर तक वो टॉप फोर में रहीं. इस दौरान मेरठ का माधवपुरम इलाका भारत माता के जयकारों से गूंजता रहा. मैच के दौरान प्रियंका को चीयर करने के लए एक पार्क में बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी और पूरा मोहल्ला इकट्ठा होकर एक साथ मैच देख रहा था.

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प्रियंका ने सबसे पहले वर्ष 2015 में रेस वॉकिंग की दुनिया में तिरुअनंतपुरुम में आयोजित हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मैंगलोर में फेडरेशन कप में भी तीसरे स्थान पर रहते हुए कांस्य पर कब्जा जमाया. वर्ष 2017 में दिल्ली में हुई नेशनल रेस वॉकिंग चैंपियनशिप में इस एथलीट ने कमाल करते हुए अपने वर्ग में शीर्ष स्थान हासिल करते हुए गोल्ड मेडल जीता. 2018 में खेल कोटे से रेलवे में प्रियंका को क्लर्क की नौकरी मिल गई.

Olympian प्रियंका गोस्वामी
परिवार के साथ प्रियंका गोस्वामी.

परिवार की आर्थिक हालत सुधरी तो इस बिटिया का उत्साह और बढ़ गया और बीती फरवरी में मेरठ की अंतरराष्ट्रीय एथलीट प्रियंका गोस्वामी ने रांची में चल रहे राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया. यहां अंतरराष्ट्रीय रेस वॉकर प्रियंका गोस्वामी ने नए रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता. प्रियंका गोस्वामी ने रांची में हुए इवेंट में 20 किलोमीटर की वॉक एक घंटा अट्ठाइस मिनट पैंतालिस सेकेंड में पूरा कर नया रिकॉर्ड बनाया. इससे पहले यह रिकॉर्ड पिछले साल राजस्थान की एथलिट भावना जाट ने बनाया था. उन्‍होंने 20 किलोमीटर की पैदल चाल एक घंटा उन्नतीस मिनट चौव्वन सेकेंड में में पूरी की थी.

प्रियंका गोस्वामी
मेरठ पहुंची प्रियंका गोस्वामी.
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