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कनाडा छोड़ मेरठ में 25 तरह के सिरकों का उत्पादन कर रहे नरेश सिरोही - मेरठ खबर

मेरठ के गांव झिटकरी निवासी नरेश सिरोही ने कनाडा की फर्म में नौकरी छोड़ खुद को आत्मनिर्भर बनाया है. 25 प्रकार के सिरके तैयार कर अनोखी पहचान बना चुके नरेश सिरोही किसी परिचय के मोहताज नही हैं. सिरका उत्पादन के लिए नरेश सिरोही को केंद्रीय कृषि मंत्री सम्मानित भी कर चुके हैं. सिरके बेच कर नरेश सिरोही 7 लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं.

25 तरह के सिरकों का उत्पादन कर रहे नरेश सिरोही
25 तरह के सिरकों का उत्पादन कर रहे नरेश सिरोही
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Published : Dec 26, 2020, 11:35 AM IST

मेरठ: मेरठ के गांव झिटकरी निवासी नरेश सिरोही ने कनाडा की फर्म में नौकरी छोड़ खुद को आत्मनिर्भर बनाया है. 25 प्रकार के सिरके तैयार कर अनोखी पहचान बना चुके नरेश सिरोही किसी परिचय के मोहताज नही हैं. खुद कुछ करने की चाहत और लग्न ने जहां नरेश सिरोही को विशेष पहचान दी है. वहीं बेहतर रोजगार भी मिल गया है. नरेश सिरोही ने गन्ने के रस से सिरका बनाने की शुरुआत कर एक के बाद एक 25 प्रकार के सिरके तैयार कर खुद को आत्मनिर्भर बना लिया है. नरेश के पास हर वक्त 200 कुन्तल सिरका तैयार रहता है. गन्ना, जामुन, अमरूद, लीची, सेब, संतरा, एलोविरा, आंवला समेत कई फल सब्जियों से सिरका तैयार किया जा रहा है. परिवार की मदद से 25 प्रकार के सिरके बेच कर नरेश सिरोही 7 लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं. सिरका उत्पादन के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री सम्मानित भी कर चुके हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

शोध करते हुए दिमाग में आया सिरका बनाने का कांसेप्ट
जिले की तहसील सरधना के गांव झिटकरी निवासी नरेश सिरोही कृषि विषय से स्नातक पास हैं. नरेश सिरोही के मुताबिक उन्होंने अपनी पढ़ाई लखनऊ में की है. उन्होंने कनाडा की एक फर्म में नौकरी की. लेकिन अचानक पिता के निधन के बाद उन पर जिम्मेदारियां बढ़ी तो नौकरी छोड़ गांव वापस आ गए. जहां नरेश सिरोही ने खुद को आत्मनिर्भर बनाने के साथ कुछ नया करने की ठान ली. यहीं से नरेश सिरोही के दिमाग मे सिरका बनाने का कांसेप्ट आया और उन्होंने सबसे पहले गन्ना, जामुन और सेब का प्राकृतिक सिरका बनाने का मन बनाया.

25 तरह के फल-सब्जियों से तैयार कर रहे सिरका
गन्ना, जामून और सेब का सिरका तैयार कर मार्केट में उतारा तो लोगों ने सिरके की खूब सराहना की, जिसके बाद नरेश सिरोही एक के बाद एक 25 प्रकार के प्राकृतिक सिरके तैयार किए हैं. ये सिरके लोगों की पसंद बनते जा रहे हैं. खास बात ये है कि नरेश अपने छोटे से घर पर भी इन सिरकों का उत्पादन कर खुद ब्रांडिंग कर रहे हैं. आज नरेश गन्ना, सेब, अमरूद, लीची, संतरा, आंवला, अनार, जामून, गाजर, अंगूर समेत 25 प्रकार के फल सब्जियों से सिरका तैयार कर अनोखी पहचान बना चुके हैं.

कई तहर के तैयार सिरके.
कई तहर के तैयार सिरके.

'विनेगर ऑफ विलेज' के नाम से बनाई कंपनी
नरेश सिरोही बताते हैं कि जैसे-जैसे उनके सिरके की मांग बढ़ने लगी तो उन्होंने 'विनेगर ऑफ विलेज' के नाम से अपनी कंपनी बना ली. उन्होंने बताया कि गांव में बना प्राकृतिक सिरका हमारा खुद का प्रोडक्ट और खुद का देसी नाम है. पश्चमी उत्तर प्रदेश के अलावा कई राज्यों में उनके द्वारा बनाए गए सिरके की मांग हो रही है. वे इन सिरकों की खुद ब्रांडिंग और खुद ही मार्केटिंग कर रहे हैं.

मार्केटिंग में किया संघर्ष
नरेश ने बताया कि सिरका बनाना जितना जटिल काम है. उससे ज्यादा मुश्किल सिरके की मार्केटिंग करना हैं. बाजार में सिरके की बिक्री के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. पहली बार जब वह गन्ने और जामुन का सिरका बाजार लेकर गए तो दुकानदारों ने यह कहकर मना कर दिया था कि कुछ नया सिरका लेकर आओ ये तो बाजार में पहले ही हैं. जिसके बाद नरेश ने एक के बाद एक 25 प्रकार के सिरकों का उत्पादन कर सबको चौंका दिया. आज इन सिरकों के लिए उन दुकानदारों के आर्डर आ रहे हैं. प्रतिदिन 200 लीटर से ज्यादा सिरके की बिक्री हो रही है.

नरेश सिरोही को केंद्रीय कृषि मंत्री भी कर चुके हैं सम्मानित.
नरेश सिरोही को केंद्रीय कृषि मंत्री भी कर चुके हैं सम्मानित.

सिरका तैयार करने में लगता है एक से 6 साल का वक्त
नरेश सिरोही ने बताया कि वे 25 प्रकार के सिरके तैयार कर रहे हैं. सिरका मौसमी फलों एवं सब्जियों के हिसाब से तैयार किया जाता है. फलों से अच्छी क्वालिटी का सिरका तैयार करने में एक से 6 साल का वक्त लगता है. बड़े बुजुर्गों के मुताबिक सिरका जितना ज्यादा पुराना होता है उतना ही अच्छा रहता है. नरेश के मुताबिक प्रतिवर्ष 20 टन से ज्यादा सिरका तैयार कर कर रहे हैं. फल सब्जियों के सिरके की लगातार मांग बढ़ती जा रही है. लोगों की मांग पर कई अन्य प्रकार के सिरका बनाने पर भी विचार है.

तापमान एवं सफाई का रखना होता है ध्यान
सिरका उत्पादक नरेश सिरोही का कहना है कि सिरका बनाने के लिए कमरे का तापमान और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है. सिरके के डिब्बों को बंद कमरों में रखा गया है. कमरों में न तो ज्यादा लोगों को अंदर जाने दिया जाता है और हवा के आवागमन का अभी ख्याल जाता है. गोदाम में सामान्य तापमान रखा जाता है. डिब्बों को खोलने पर जब पानी बाहर आने लगता है, तो सिरका तैयार होने की स्तिथि में आ जाता है. जिसके बाद उसके छान कर अलग किया जाता है.

25 तरह के सिरकों का उत्पादन कर रहे नरेश सिरोही
25 तरह के सिरकों का उत्पादन कर रहे नरेश सिरोही.

पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री कर चुके सम्मानित
झिटकरी निवासी नरेश सिरोही 6 सालों से प्राकृतिक सिरकों का उत्पादन कर रहे हैं. पैकिंग से लेकर मार्केटिंग तक खुद कर रहे हैं, जिससे मेरठ में ही नहीं आसपास के कई राज्यों में उसकी अलग पहचान बन चुकी है. फलों एवं सब्जियों से 25 प्रकार के सिरके का उत्पादन के लिए उत्कृष्ट कार्य करने पर पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह साल 2018 में सम्मानित कर चुके हैं.

स्वास्थ्य के साथ सौंदर्य के लिए भी लाभदायक है सिरका
सिरका बनाने में नरेश का परिवार भी दिन रात उनकी मदद कर रहा है. पत्नी साधना ने बताया कि जिस तरह गन्ने का सिरका पाचन क्रिया और पेट के लिए फायदेमंद है. उसी तरह जामुन का सिरका डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभदायक माना गया है. ठीक उसी प्रकार सेब का सिरका रक्तचाप सही करने के साथ सौंदर्य बनाने में काम करता है. ऐसी ही विभिन्न फलों और सब्जियों के सिरके अलग अलग रूप से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित हो रहे हैं. सिरके के सेवन से कई गंभीर बीमारियों से निजात मिल सकती है.

मेरठ: मेरठ के गांव झिटकरी निवासी नरेश सिरोही ने कनाडा की फर्म में नौकरी छोड़ खुद को आत्मनिर्भर बनाया है. 25 प्रकार के सिरके तैयार कर अनोखी पहचान बना चुके नरेश सिरोही किसी परिचय के मोहताज नही हैं. खुद कुछ करने की चाहत और लग्न ने जहां नरेश सिरोही को विशेष पहचान दी है. वहीं बेहतर रोजगार भी मिल गया है. नरेश सिरोही ने गन्ने के रस से सिरका बनाने की शुरुआत कर एक के बाद एक 25 प्रकार के सिरके तैयार कर खुद को आत्मनिर्भर बना लिया है. नरेश के पास हर वक्त 200 कुन्तल सिरका तैयार रहता है. गन्ना, जामुन, अमरूद, लीची, सेब, संतरा, एलोविरा, आंवला समेत कई फल सब्जियों से सिरका तैयार किया जा रहा है. परिवार की मदद से 25 प्रकार के सिरके बेच कर नरेश सिरोही 7 लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं. सिरका उत्पादन के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री सम्मानित भी कर चुके हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

शोध करते हुए दिमाग में आया सिरका बनाने का कांसेप्ट
जिले की तहसील सरधना के गांव झिटकरी निवासी नरेश सिरोही कृषि विषय से स्नातक पास हैं. नरेश सिरोही के मुताबिक उन्होंने अपनी पढ़ाई लखनऊ में की है. उन्होंने कनाडा की एक फर्म में नौकरी की. लेकिन अचानक पिता के निधन के बाद उन पर जिम्मेदारियां बढ़ी तो नौकरी छोड़ गांव वापस आ गए. जहां नरेश सिरोही ने खुद को आत्मनिर्भर बनाने के साथ कुछ नया करने की ठान ली. यहीं से नरेश सिरोही के दिमाग मे सिरका बनाने का कांसेप्ट आया और उन्होंने सबसे पहले गन्ना, जामुन और सेब का प्राकृतिक सिरका बनाने का मन बनाया.

25 तरह के फल-सब्जियों से तैयार कर रहे सिरका
गन्ना, जामून और सेब का सिरका तैयार कर मार्केट में उतारा तो लोगों ने सिरके की खूब सराहना की, जिसके बाद नरेश सिरोही एक के बाद एक 25 प्रकार के प्राकृतिक सिरके तैयार किए हैं. ये सिरके लोगों की पसंद बनते जा रहे हैं. खास बात ये है कि नरेश अपने छोटे से घर पर भी इन सिरकों का उत्पादन कर खुद ब्रांडिंग कर रहे हैं. आज नरेश गन्ना, सेब, अमरूद, लीची, संतरा, आंवला, अनार, जामून, गाजर, अंगूर समेत 25 प्रकार के फल सब्जियों से सिरका तैयार कर अनोखी पहचान बना चुके हैं.

कई तहर के तैयार सिरके.
कई तहर के तैयार सिरके.

'विनेगर ऑफ विलेज' के नाम से बनाई कंपनी
नरेश सिरोही बताते हैं कि जैसे-जैसे उनके सिरके की मांग बढ़ने लगी तो उन्होंने 'विनेगर ऑफ विलेज' के नाम से अपनी कंपनी बना ली. उन्होंने बताया कि गांव में बना प्राकृतिक सिरका हमारा खुद का प्रोडक्ट और खुद का देसी नाम है. पश्चमी उत्तर प्रदेश के अलावा कई राज्यों में उनके द्वारा बनाए गए सिरके की मांग हो रही है. वे इन सिरकों की खुद ब्रांडिंग और खुद ही मार्केटिंग कर रहे हैं.

मार्केटिंग में किया संघर्ष
नरेश ने बताया कि सिरका बनाना जितना जटिल काम है. उससे ज्यादा मुश्किल सिरके की मार्केटिंग करना हैं. बाजार में सिरके की बिक्री के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. पहली बार जब वह गन्ने और जामुन का सिरका बाजार लेकर गए तो दुकानदारों ने यह कहकर मना कर दिया था कि कुछ नया सिरका लेकर आओ ये तो बाजार में पहले ही हैं. जिसके बाद नरेश ने एक के बाद एक 25 प्रकार के सिरकों का उत्पादन कर सबको चौंका दिया. आज इन सिरकों के लिए उन दुकानदारों के आर्डर आ रहे हैं. प्रतिदिन 200 लीटर से ज्यादा सिरके की बिक्री हो रही है.

नरेश सिरोही को केंद्रीय कृषि मंत्री भी कर चुके हैं सम्मानित.
नरेश सिरोही को केंद्रीय कृषि मंत्री भी कर चुके हैं सम्मानित.

सिरका तैयार करने में लगता है एक से 6 साल का वक्त
नरेश सिरोही ने बताया कि वे 25 प्रकार के सिरके तैयार कर रहे हैं. सिरका मौसमी फलों एवं सब्जियों के हिसाब से तैयार किया जाता है. फलों से अच्छी क्वालिटी का सिरका तैयार करने में एक से 6 साल का वक्त लगता है. बड़े बुजुर्गों के मुताबिक सिरका जितना ज्यादा पुराना होता है उतना ही अच्छा रहता है. नरेश के मुताबिक प्रतिवर्ष 20 टन से ज्यादा सिरका तैयार कर कर रहे हैं. फल सब्जियों के सिरके की लगातार मांग बढ़ती जा रही है. लोगों की मांग पर कई अन्य प्रकार के सिरका बनाने पर भी विचार है.

तापमान एवं सफाई का रखना होता है ध्यान
सिरका उत्पादक नरेश सिरोही का कहना है कि सिरका बनाने के लिए कमरे का तापमान और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है. सिरके के डिब्बों को बंद कमरों में रखा गया है. कमरों में न तो ज्यादा लोगों को अंदर जाने दिया जाता है और हवा के आवागमन का अभी ख्याल जाता है. गोदाम में सामान्य तापमान रखा जाता है. डिब्बों को खोलने पर जब पानी बाहर आने लगता है, तो सिरका तैयार होने की स्तिथि में आ जाता है. जिसके बाद उसके छान कर अलग किया जाता है.

25 तरह के सिरकों का उत्पादन कर रहे नरेश सिरोही
25 तरह के सिरकों का उत्पादन कर रहे नरेश सिरोही.

पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री कर चुके सम्मानित
झिटकरी निवासी नरेश सिरोही 6 सालों से प्राकृतिक सिरकों का उत्पादन कर रहे हैं. पैकिंग से लेकर मार्केटिंग तक खुद कर रहे हैं, जिससे मेरठ में ही नहीं आसपास के कई राज्यों में उसकी अलग पहचान बन चुकी है. फलों एवं सब्जियों से 25 प्रकार के सिरके का उत्पादन के लिए उत्कृष्ट कार्य करने पर पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह साल 2018 में सम्मानित कर चुके हैं.

स्वास्थ्य के साथ सौंदर्य के लिए भी लाभदायक है सिरका
सिरका बनाने में नरेश का परिवार भी दिन रात उनकी मदद कर रहा है. पत्नी साधना ने बताया कि जिस तरह गन्ने का सिरका पाचन क्रिया और पेट के लिए फायदेमंद है. उसी तरह जामुन का सिरका डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभदायक माना गया है. ठीक उसी प्रकार सेब का सिरका रक्तचाप सही करने के साथ सौंदर्य बनाने में काम करता है. ऐसी ही विभिन्न फलों और सब्जियों के सिरके अलग अलग रूप से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित हो रहे हैं. सिरके के सेवन से कई गंभीर बीमारियों से निजात मिल सकती है.

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