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MSC और B.ed के बाद भी नहीं मिल रही सपेरा समुदाय के लोगों को नौकरी, भीख मांग कर गुजार रहे जीवन

मेरठ में सोमवार को जिला मुख्यालय पर सपेरों ने बीन बजाई. इस दौरान काफी संख्या में सेपेरे समाज के लोगों ने बीन और अन्य वाद्य यंत्र बजाकर प्रदर्शन किया.

नहीं मिल रही सपेरा समुदाय के लोगों को नौकरी
नहीं मिल रही सपेरा समुदाय के लोगों को नौकरी
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Published : Sep 6, 2021, 6:20 PM IST

मेरठः सोमवार को जिला मुख्यालय पर सपेरों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने बीन और अन्य वाद्य यंत्र बजाकर सरकार तक अपनी बात पहुंचाई. इनका कहना था कि उनकी मांगों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. जिसकी वजह से उनकी नस्लें तबाह हो रही हैं. पढ़े-लिखे युवक और युवती जाति का प्रमाणपत्र न मिलने से रोजगार से वंचित हैं. प्रदर्शनकारी सपेरों ने मांग कि है कि उन्हें सरकार जाति का प्रमाणपत्र उपलब्ध कराए.

सपेरों ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि उनके पूर्वज 1947 में राजस्थान से देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर बस गए थे. उन्होंने बताया कि मेरठ जिले में भी सपेरों के 12 गांव हैं. लेकिन जाति का प्रमाणपत्र न बनने से पढ़े-लिखे बच्चों का करियर तबाह हो रहा है. सपेरों ने बताया कि उनका मुख्य धंधा बीन बजाकर गुजर बसर करना था. लेकिन सरकार के वाइल्ड लाइफ एक्ट के कारण अब वो सांप तक भी नहीं रख पाते हैं. जिससे उनके सामने संकट का समय है.

MSC और B.ed के बाद भी नहीं मिल रही सपेरा समुदाय के लोगों को नौकरी

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कॄष्णनाथ सपेरा ने कहा कि वो एमएससी पास हैं. उन्होंने बताया कि नौकरी के लिए उन्हें जाति प्रमाणपत्र की आवश्यकता थी. लेकिन उनका प्रमाणपत्र नहीं बना. उन्होंने बताया कि पिछले करीब 4 साल से भी अधिक समय से उनके जातिय प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहे. जिस वजह से पढाई लिखाई के बावजूद न चाहकर भी यूं ही घूम-घूमकर बीन बजानी पड़ रही है. बीएड कर चुकी सपेरा जाती की मीनाक्षीने कहा कि परिवार ने किसी तरह भीख मांग-मांगकर उन्हें पाल पोषकर बड़ा किया. लेकिन जाति का सर्टिफिकेट न बनने से वो अब चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते.

जाति प्रमाण पत्र की मांग
जाति प्रमाण पत्र की मांग
जाति प्रमाण पत्र की मांग
जाति प्रमाण पत्र की मांग

उन्होंने कहा कि उन्हें आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. सपेरों ने अपनी तकलीफ बताई की प्रदेश में सपेरा, बोरिया, बैगा, कनफड़ा इत्यादि नाम से वो जाने जाते हैं. कमिश्नरी मुख्यालय पर सपेरों ने खूब बीन बजाई, ताकि अफसरों तक उनका सन्देश पहुंच सके.

जाति प्रमाण पत्र की मांग
जाति प्रमाण पत्र की मांग

इसे भी पढ़ें- किसानों के साथ एसपी, चाचा और उनके साथियों का पूरा होगा सम्मानः अखिलेश यादव

सुरेंद्रनाथ ने कहा कि उन लोगों की सरकार सुध ले, यही वो चाहते हैं. इसके साथ ही सभी ने सरकार को अल्टीमेटम भी दिया कि अगर सरकार ने उनकी परेशानी का समाधान नहीं किया, तो 2022 के चुनावों में हिस्सा नहीं लेंगे. इसके साथ ही वैक्सीन भी नहीं लगवाएंगे.

भीख मांग कर गुजार रहे जीवन
भीख मांग कर गुजार रहे जीवन

मेरठः सोमवार को जिला मुख्यालय पर सपेरों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने बीन और अन्य वाद्य यंत्र बजाकर सरकार तक अपनी बात पहुंचाई. इनका कहना था कि उनकी मांगों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. जिसकी वजह से उनकी नस्लें तबाह हो रही हैं. पढ़े-लिखे युवक और युवती जाति का प्रमाणपत्र न मिलने से रोजगार से वंचित हैं. प्रदर्शनकारी सपेरों ने मांग कि है कि उन्हें सरकार जाति का प्रमाणपत्र उपलब्ध कराए.

सपेरों ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि उनके पूर्वज 1947 में राजस्थान से देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर बस गए थे. उन्होंने बताया कि मेरठ जिले में भी सपेरों के 12 गांव हैं. लेकिन जाति का प्रमाणपत्र न बनने से पढ़े-लिखे बच्चों का करियर तबाह हो रहा है. सपेरों ने बताया कि उनका मुख्य धंधा बीन बजाकर गुजर बसर करना था. लेकिन सरकार के वाइल्ड लाइफ एक्ट के कारण अब वो सांप तक भी नहीं रख पाते हैं. जिससे उनके सामने संकट का समय है.

MSC और B.ed के बाद भी नहीं मिल रही सपेरा समुदाय के लोगों को नौकरी

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कॄष्णनाथ सपेरा ने कहा कि वो एमएससी पास हैं. उन्होंने बताया कि नौकरी के लिए उन्हें जाति प्रमाणपत्र की आवश्यकता थी. लेकिन उनका प्रमाणपत्र नहीं बना. उन्होंने बताया कि पिछले करीब 4 साल से भी अधिक समय से उनके जातिय प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहे. जिस वजह से पढाई लिखाई के बावजूद न चाहकर भी यूं ही घूम-घूमकर बीन बजानी पड़ रही है. बीएड कर चुकी सपेरा जाती की मीनाक्षीने कहा कि परिवार ने किसी तरह भीख मांग-मांगकर उन्हें पाल पोषकर बड़ा किया. लेकिन जाति का सर्टिफिकेट न बनने से वो अब चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते.

जाति प्रमाण पत्र की मांग
जाति प्रमाण पत्र की मांग
जाति प्रमाण पत्र की मांग
जाति प्रमाण पत्र की मांग

उन्होंने कहा कि उन्हें आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. सपेरों ने अपनी तकलीफ बताई की प्रदेश में सपेरा, बोरिया, बैगा, कनफड़ा इत्यादि नाम से वो जाने जाते हैं. कमिश्नरी मुख्यालय पर सपेरों ने खूब बीन बजाई, ताकि अफसरों तक उनका सन्देश पहुंच सके.

जाति प्रमाण पत्र की मांग
जाति प्रमाण पत्र की मांग

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सुरेंद्रनाथ ने कहा कि उन लोगों की सरकार सुध ले, यही वो चाहते हैं. इसके साथ ही सभी ने सरकार को अल्टीमेटम भी दिया कि अगर सरकार ने उनकी परेशानी का समाधान नहीं किया, तो 2022 के चुनावों में हिस्सा नहीं लेंगे. इसके साथ ही वैक्सीन भी नहीं लगवाएंगे.

भीख मांग कर गुजार रहे जीवन
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