मेरठ : यूं तो देश भर में सैकड़ों केंद्रीय और राज्य स्तर के पुस्तकालय हैं. लेकिन शायद ही ऐसा कोई पुस्तकालय होगा जहां 1968 से लेकर आज तक के सभी अखबारों की कॉपी सुरक्षित रखी हो. जी हां मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय स्थित राजा महेंद्र प्रताप सिंह पुस्तकालय में 1968 से लेकर आज तक के सभी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय अखबारों की कॉपियां संजोकर रखे हुए हैं. इस पुस्तकालय में पिछले करीब 53 वर्षों में प्रकाशित हुए सभी अखबारों का जखीरा अपने आप में किसी आश्चर्य से कम नही है. इन अखबारों के माध्यम से न सिर्फ हजारों युवाओं को नौकरियां मिल चुकी हैं बल्कि कई लोग झूठे मुकदमों में जेल जाने से बच चुके हैं.
अखबार घर ले जाने की इजाजत नही
हालांकि पुस्तकालय प्रबंधन की ओर से इन अखबारों को पढ़ने के लिए पाठकों को घर ले जाने की इजाजत नही है. जिसको जरूरत होती है उसी अखबार की फोटोकॉपी कराकर दे दी जाती है. खास बात यह है कि अब पुस्तकालय प्रबंधन इन अखबारों का डिजिटलाइजेशन करने जा रहा है. ताकि आवश्यकता पड़ने पर पाठकों को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर एक किल्क करते ही अखबार की कॉपी घर बैठे ही उपलब्ध हो सके.
उपलब्ध हैं 1968 से आज तक के अखबार
दरअसल पश्चमी उत्तर प्रदेश के मेरठ की चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से पुस्तकालय है. यहां छात्र-छात्राओं के लिए लाखों की संख्या में किताबों का बड़ा जखीरा उपलब्ध है. वहीं लाखों किताबों के बीच एक ऐसा खजाना भी है जो इस पुस्तकालय को अलग पहचान दे रहा है. राजा महेंद्र प्रताप पुस्तकालय में 1968 से लेकर आज तक प्रकाशित हुए हिंदी, उर्दू, इंग्लिश भाषा के सभी अखबारों का बड़ा संग्राहलय भी है. पिछले 53 वर्षों में जितने भी अखबार प्रकाशित हुए हैं. उन सबकी कॉपियों को पुस्तकालय में धरोहर के रूप में संजोकर रखा हुआ है.
पुराने अखबारों का दुर्लभ संग्रहालय
1968 से आज तक के अखबारों का होना आपको आश्चर्य लग रहा होगा लेकिन हकीकत यही है. ETV भारत की टीम जब मेरठ विश्विद्यालय के इस पुस्तकालय पहुंची तो एक बार को हमें भी 1968 के अखबारों के बारे में जानकर अटपटा लगा. लेकिन जब हम पुराने अखबारों की दुनिया के बीच पहुंचे तो वाकई ऐसा लगा कि मानो हम भी 53 साल पीछे लौट गए हों. पुस्तकालय के एक बड़े हॉल में पुराने अखबारों का दुर्लभ संग्राहलय बनाया हुआ है. जहां करोड़ों की संख्या में अखबारों के जखीरा रखा हुआ है. महीनों और वर्ष के हिसाब से 1968 से लेकर अब तक के सभी अखबारों को बाइंडिंग करा कर रखा हुआ है. खास बात तो यह भी है कि इनमें से कई बड़े अखबार तो अब बंद भी हो चुके हैं.
हजारों युवाओं को मिल चुकी है नौकरी
राजा महेंद्र प्रताप सिंह पुस्तकालय के डिप्टी डायरेक्टर आई.ए. सिद्दकी ने बताया कि यहां 53 वर्षों में निकले हिंदी, उर्दू और इंग्लिश अखबारों के प्रत्येक दिन की कॉपियों को सुरक्षित रखा गया है. इन पुराने अखबारों में निकली वैकेंसियों और विज्ञप्ति के माध्यम से हजारों युवाओं को सरकारी नौकरियां मिल चुकी हैं. उन्होंने बताया कि कई साल पहले विज्ञप्ति जारी किए जाने के बाद कई भर्तियों पर किन्ही कारणों से रोक लग जाती है. जिससे अभ्यर्थियों का भविष्य खटाई में पड़ जाता है, लेकिन बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने इन अखबारों में छपी विज्ञप्ति के जरिए नौकरी हासिल की है. जिन अखबारों को हर कोई पढ़ने के बाद रद्दी में डाल देता है. वहीं अखबारों के यह संग्रहालय उनके लिए मददगार साबित हुआ है.
डिजिटल होंगे पुराने अखबार
ETV भारत से बातचीत में डिप्टी डायरेक्टर आई.ए. सिद्दकी ने बताया कि ये अखबार बहुत पुराने हो चुके हैं. ज्यादातर अखबारों को बाइंडिंग कराकर तारीखों के हिसाब से रखा हुआ है. उन्होंने बताया कि 1968 से लेकर अब तक के अखबारों को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती रहती है. अखबारों को सबसे ज्यादा नुकसान चूहों से हो रहा है. वहीं पाठकों को अखबार घर ले जाने के लिए नही दिया जाता है. उन्होंने बताया कि अब हम इन अखबारों को हर छात्र-छात्राओं और पाठकों तक पहुंचाने के लिए डिजिटल करने की तैयारी कर रहे हैं. सभी अखबारों को साल, महीने और दिन के हिसाब से विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा. जिससे इतिहास में शोधकर्ताओं और छात्र-छात्राओं को एक क्लिक में पुराने अखबार की कॉपी घर बैठे ही उपलब्ध हो जाएगी.