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यूक्रेन से घर पहुंचे स्टूडेंट ने कहा- रोमानिया में तिरंगा दिखा तो शरीर में जान लौट आई

मेरठ के छात्र स्नेहाशीष यूक्रेन से सकुशल भारत लौट आए हैं. स्नेहाशीष ने घर पहुंचने पर सरकार का धन्यवाद देते हुए कहा कि सरकार के सहयोग और मदद से ही घर वह पहुंचे हैं. छात्र ने बताया कि जब वह रोमानिया पहुंचा तो वहां तिरंगा लहराते देखकर उसकी जान में जान आ गई.

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यूक्रेन से घर पहुंचा स्टूडेंट
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Published : Mar 3, 2022, 12:36 PM IST

मेरठ: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का आज आठवां दिन है. वहां फंसे स्टूडेंट्स को घर वापसी कराने के लिए सरकार की कोशिशें जारी हैं. इसी क्रम में मेरठ के रहने वाले छात्र स्नेहाशीष सकुशल घर लौट आए हैं. स्नेहाशीष ने घर पहुंचने पर सरकार का धन्यवाद देते हुए कहा कि सरकार के सहयोग और मदद से ही घर पहुंचे हैं. छात्र ने बताया कि माइनस टेंपरेचर में यूक्रेन से बचकर जब वह रोमानिया पहुंचा तो वहां तिरंगा लहराते देखकर उसकी जान में जान आ गई.

रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine war) के बीच फंसे भारतीय छात्रों का स्वदेश लौटने का सिलसिला जारी है. मेरठ के भी कई छात्र अबतक घर वापसी कर चुके हैं. वहीं, कई छात्र अभी भी वहां फंसे हुए हैं. मेरठ के रहने वाले छात्र स्नेहाशीष ने बताया कि कई दिनों की परेशानी झेलने के बाद उसने अपने कुछ साथी स्टूडेंट्स के साथ आखिरकार यूक्रेन का बॉर्डर पार किया था.

छात्र स्नेहाशी


स्नेहाशीष यूक्रेन में MBBS के प्रथम वर्ष का छात्र हैं और मेरठ के सरस्वती विहार रोहटा रोड पर उसके परिजन रहते हैं. स्नेहाशीष का कहना है कि सरकार की मदद से ही घर तक पहुंच पाना सम्भव हुआ है. अपने परिजनों के पास वापिस वतन लौटे छात्र का कहना है कि जो हालात वहां हैं वो बेहद ही भयावह हैं। छात्र का कहना है की यूक्रेन पर हो रहे हमलों और बम धमाकों का खौफ स्टूडेंट्स में बना हुआ है.


छात्र ने बताया कि 26 फरवरी की रात माइनस 6 डिग्री तापमान में धमाकों की आवाज के बीच जब वह रोमानिया पहुंचा और उसने भारतीय तिरंगे को देखा तो जान में जान आई. स्नेहाशीष ने बताया कि 24 फरवरी को जिस वक्त ब्लास्ट हुआ तब से अनेकों स्टूडेंट्स खौफ के साए में जी रहे थे. किसी तरह उसने वहां से निकलना शुरू किया और रोमानिया बॉर्डर तक पहुंच गया. इस बीच कड़कड़ाती ठंड ही नहीं बल्कि खाना न मिलना भी बड़ी परेशानी थी.

यह भी पढ़ें- कुट्टू का आटा खाने से 3 परिवारों के 18 लोग बीमार, 3 तीन सप्लायर्स पर कार्रवाई


स्नेहाशीष के पिता संतु मालकर ने बताया कि सरकार ने एडवाइजरी तो जारी कर दी थी. लेकिन, छात्रों की जो कक्षाएं थीं वह लगातार जारी थीं और कक्षा को छोड़ा नहीं जा सकता था. छात्र स्नेहाशीष ने बताया कि रोमानिया बॉर्डर पर भारतीय छात्रों के लिए अच्छी सुविधा थी. भारतीय दूतावास ने पूरी मदद की जिस वजह से वह यहां तक पहुंच पाए. स्नेहाशीष और उसके परिजन सरकार का धन्यवाद कर रहे हैं.

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मेरठ: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का आज आठवां दिन है. वहां फंसे स्टूडेंट्स को घर वापसी कराने के लिए सरकार की कोशिशें जारी हैं. इसी क्रम में मेरठ के रहने वाले छात्र स्नेहाशीष सकुशल घर लौट आए हैं. स्नेहाशीष ने घर पहुंचने पर सरकार का धन्यवाद देते हुए कहा कि सरकार के सहयोग और मदद से ही घर पहुंचे हैं. छात्र ने बताया कि माइनस टेंपरेचर में यूक्रेन से बचकर जब वह रोमानिया पहुंचा तो वहां तिरंगा लहराते देखकर उसकी जान में जान आ गई.

रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine war) के बीच फंसे भारतीय छात्रों का स्वदेश लौटने का सिलसिला जारी है. मेरठ के भी कई छात्र अबतक घर वापसी कर चुके हैं. वहीं, कई छात्र अभी भी वहां फंसे हुए हैं. मेरठ के रहने वाले छात्र स्नेहाशीष ने बताया कि कई दिनों की परेशानी झेलने के बाद उसने अपने कुछ साथी स्टूडेंट्स के साथ आखिरकार यूक्रेन का बॉर्डर पार किया था.

छात्र स्नेहाशी


स्नेहाशीष यूक्रेन में MBBS के प्रथम वर्ष का छात्र हैं और मेरठ के सरस्वती विहार रोहटा रोड पर उसके परिजन रहते हैं. स्नेहाशीष का कहना है कि सरकार की मदद से ही घर तक पहुंच पाना सम्भव हुआ है. अपने परिजनों के पास वापिस वतन लौटे छात्र का कहना है कि जो हालात वहां हैं वो बेहद ही भयावह हैं। छात्र का कहना है की यूक्रेन पर हो रहे हमलों और बम धमाकों का खौफ स्टूडेंट्स में बना हुआ है.


छात्र ने बताया कि 26 फरवरी की रात माइनस 6 डिग्री तापमान में धमाकों की आवाज के बीच जब वह रोमानिया पहुंचा और उसने भारतीय तिरंगे को देखा तो जान में जान आई. स्नेहाशीष ने बताया कि 24 फरवरी को जिस वक्त ब्लास्ट हुआ तब से अनेकों स्टूडेंट्स खौफ के साए में जी रहे थे. किसी तरह उसने वहां से निकलना शुरू किया और रोमानिया बॉर्डर तक पहुंच गया. इस बीच कड़कड़ाती ठंड ही नहीं बल्कि खाना न मिलना भी बड़ी परेशानी थी.

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स्नेहाशीष के पिता संतु मालकर ने बताया कि सरकार ने एडवाइजरी तो जारी कर दी थी. लेकिन, छात्रों की जो कक्षाएं थीं वह लगातार जारी थीं और कक्षा को छोड़ा नहीं जा सकता था. छात्र स्नेहाशीष ने बताया कि रोमानिया बॉर्डर पर भारतीय छात्रों के लिए अच्छी सुविधा थी. भारतीय दूतावास ने पूरी मदद की जिस वजह से वह यहां तक पहुंच पाए. स्नेहाशीष और उसके परिजन सरकार का धन्यवाद कर रहे हैं.

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