मेरठ: यूं तो हर कोई अपने करिअर को लेकर गंभीर होता है. सब कुछ सोचने विचारने के बाद ही युवा यह तय करते हैं कि आखिर उन्हें भविष्य में करना क्या है. वर्तमान समय में युवाओं में मनोवैज्ञानिक बनने का भी खासा क्रेज देखा जा रहा है. वर्तमान में तो ऐसे भी खूब मामले देखने को मिल रहे हैं, ज़ब युवा अपनी चॉइस के क्षेत्र को बदलकर मनोवैज्ञानिक बनने को पढ़ाई कर रहे हैं.
खास बात यह है कि ऐसे काफी छात्र हैं, जिन्होंने पढ़ाई किसी और विषय में की है. लेकिन, अब उन्हें मनोविज्ञान विभाग लुभा रहा है और यही वजह है कि वह बीटेक, एमबीए या अन्य किसी विषय में अपनी रुचि के मुताबिक पढ़ाई करने के बाद अब कुछ और करना चाहते हैं. वह कहते हैं कि अब लगता है कि शायद जो उन्होंने किया, वहां उन्हें करिअर ग्रोथ नजर नहीं आती. इस वजह से मनोवैज्ञानिक बनने की राह पर हैं.
मेरठ विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों की राय
इस बारे में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के एचओडी संजय कुमार ने बातचीत में बताया कि कोरोना के बाद मानव जीवन से लेकर लोगों के व्यवहार में बड़ा बदलाव आया है. विश्व में भी और देश में भी काफी नुकसान कोविड की वजह से झेलना पड़ा. एक महत्वपूर्ण बदलाव लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर देखने को मिला. लोगों ने जहां कोरोना में अवसाद और तनाव झेला. वहीं और भी बहुत सी समस्याओं से ग्रसित रहे हैं.
उन्होंने बताया कि कोविड के पहले लोग मानसिक स्वाथ्य को लेकर बेहद ही कम बात करते थे. लेकिन, उसके बाद लोग जागरूक हुए हैं. लोगों को यह पता लग गया है कि मानसिक स्वास्थ्य एक बेहद ही महत्वपूर्ण विषय है. इस विषय पर बात करना बेहद जरूरी है. वह कहते हैं कि शायद इसी वजह से मनोविज्ञान विषय पढ़ने वाले जो छात्र-छात्राएं हैं, अगर उनके अलावा अन्य युवाओं को अवसर मिलता है तो लगभग 40 प्रतिशत ऐसे युवा हैं जो अपनी फील्ड बदलकर इस क्षेत्र में अपने लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं.
प्रोफेसर संजय बताते हैं कि कोरोना के बाद से ऐसे स्टूडेंट्स भी मनोवैज्ञानिक बनने के लिए आगे आए हैं, जोकि बीटेक, एमबीए, एजुकेशन से संबंधित स्टूडेंट सहित अन्य अलग-अलग क्षेत्रों से भी कोर्स करके अब विश्वविद्यालय में मनोवैज्ञानिक बनने के लिए पीजी में प्रवेश लेकर पढ़ाई कर रहे हैं. वह बताते हैं कि इनका उद्देश्य होता है कि मनोवैज्ञानिक बनकर लोगों की सेवा करें और उनकी समस्याओं को दूर करें.
'तमाम संभावनाओं से भरा है यह क्षेत्र'
प्रोफेसर संजय बताते हैं कि मनोविज्ञान से पीजी करने के बाद में कई सारे क्षेत्र खुलते हैं. इनमें सबसे जो महत्वपूर्ण क्षेत्र है वो मनोववैज्ञानिक और काउंसलर का है. इसमें कोई भी व्यक्ति एक साल का कोर्स करने के बाद काउंसलर के तौर पर काम कर सकता है. चाहे वह स्कूल में काम करे, चाहे मेंटल हेल्थ पर काम करे या फिर किसी फॉरेंसिक एरिया में काम करें. क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के तौर पर जनता की सेवा कर सकते हैं. इसमें मानसिक स्वाथ्य से जनित जो बीमरियां होती हैं, उन लोगों को मदद करने वाला व्यक्ति होता है. जिन लोगों की बोलने की स्किल अच्छी है और प्रोफेशनल एटीट्यूट है तो उनके लिए यह फील्ड बेहद उपयोगी है. बहुत अच्छी कमाई भी सेवा के साथ हो सकती है.
अगर साइकोलॉजी में करते हैं तो वह ट्रेनर बनते हैं. क्योंकि, उन्हें साइकोलॉजी की समझ अच्छी होती है. स्किल डेवलपमेंट और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट से संबंधित जो कॉरपोरेट्स में प्रोग्राम चलाए जाते हैं, ऐसे लोग बहुत अच्छा परफॉर्म करते हैं. उन्हें बहुत कामयाबी भी मिलती है. इस फील्ड में आकर करिअर बनाने का जो उद्देश्य होता है, वह भी यहां संभव है. अगर आपको लगता है कि आप एक अच्छे वक्ता हैं, एक अच्छे श्रोता हैं. आप अपनी बात लोगों को समझा सकते हैं. मनोवैज्ञानिक बनकर समाज के लोगों की या अलग-अलग कार्यस्थल पर जो कार्य करने वाले कर्मी हैं, उनकी बेहतर मदद की जा सकती है और एक बेहतर करिअर भी इसमें है.
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