मेरठ : ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की संघ को लेकर की गई टिप्पणी पर मेरठ के सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने उनके व्यवहार पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि 'एक संत का ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिए.' अविमुक्तेश्वरानंद ने लव जिहाद पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद संघ के किसी कार्यकर्ता ने उन्हें बीच में टोक दिया था, उसके बाद फिर सांसद से भी उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया था.
ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बुधवार को शहर के प्रसिद्ध राजराजेश्वर मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने आए थे. इस दौरान मीडिया के सवालों के जवाब देते वक्त पहले किसी एक शख्स ने उन्हें बीच में टोका, जिस पर वे उसे नजरंदाज करते दिखे. कुछ देर बाद ही मन्दिर परिसर में बीजेपी के मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से सांसद राजेन्द्र अग्रवाल भी मन्दिर पहुंचे. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने लव जिहाद पर बोलते हुए संघ से जुड़े रामलाल का नाम लेकर एक उदाहरण दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि लव जिहाद रोकने की बातें हो रही हैं. शंकराचार्य ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि 'लव जिहाद पर कानून बनाने से क्या होगा जब पीएम मोदी खुद संघ के रामलाल की बेटी की शादी में जो कि एक मुस्लिम से हुई थी उसमें गए थे.' बस इसी बात पर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को वहां मौजूद संघ के किसी कार्यकर्ता ने टोक दिया. स्वामी से उस शख्स ने कहा कि 'रामलाल की भतीजी की शादी थी'. जिस पर अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि 'भतीजी भी बेटी की तरह ही होती है, उन्हें नहीं लगता कि पीएम रामलाल के भाई से परिचित होंगे, क्योंकि रामलाल से पीएम का परिचय है इसीलिए पीएम उस शादी में गए.'
बता दें कि बात लगभग समाप्त हो चुकी थी तभी सांसद राजेन्द्र अग्रवाल वहां पहुंचे, जिस पर उन्होंने कहा कि ये भी संघ के ही होंगे. वे संघ वालों से बात नहीं करेंगे, जिस पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पास से सांसद को जाने के लिए कह दिया गया. इस पूरे मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि 'किसी ने खुद को संघ से जुड़ा बताकर उनसे बहस करने की कोशिश भी की, लेकिन उन्होंने नजरअंदाज कर दिया. इसी बीच
तभी सांसद राजेन्द्र अग्रवाल भी वहां पहुंचे.
राजेन्द्र अग्रवाल का आरोप है कि वे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के दर्शन के लिए आए थे, लेकिन महाराज जी ने कहा कि संघ या आरएसएस का अगर कोई है तो वह बात नहीं करेंगे. सांसद का कहना है कि जिस तरह का व्यवहार एक साधु संत सन्यासी का होना चाहिए, उनका व्यवहार बिल्कुल भी ऐसा नहीं था.