मेरठ: सर्दी के मौसम और वीकएंड में नॉनवेज खाने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. ज्यादातर लोग चिकन छोड़ बकरे का मांस खाना पसंद कर रहे हैं. बकरे का मांस स्वास्थ्य के लिए जितना फायदेमंद बताया जा ता है उतना ही हानिकारक भी हो सकता है. मटन खाना आपके स्वास्थ्य के लिए कितना लाभदायक या हानिकारक है आइए जानते हैं...
बकरे का मांस बेचने के कई मानक तय किये गए हैं. स्वास्थ्य एवं पशु चिकित्सा विभाग ने स्पेशल गाइडलाइन जारी कर स्वस्थ बकरे का मांस बेचने की बात कही है. मेरठ जिले की बात करे तो यहां करीब 150 दुकानों को बकरे काटने के लाइसेंस दिए गए हैं. जहां नगर निगम समय समय पर छापेमारी कर कार्रवाई करने के दावे कर रहा है, लेकिन कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. जिसके चलते नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठने लाजमी है.
जनपद मेरठ में सरकारी दस्तवेजों में दर्ज करीब 150 मटन विक्रेताओं के लाइसेंस जारी किए हुए हैं. जिनमें से 41 हॉल सेल के है तो 109 रिटेलर्स के बताए जा रहे हैं. विभिन्न स्थानों पर मटन विक्रेता बकरे का मांस बेच रहे हैं. खास बात यह है कि जब से कोरोना वायरस का कहर देखा जा रहा है, तब से बंद दुकानों में भी बकरे का कटान किया जा रहा है. मटन खाने के शौकीन दुकानों से जरूरत के हिसाब से मटन खरीद कर खा रहे हैं.
बकरे कटान के लिए ये हैं मानक
बकरे कटान के लिए लाइसेंस धारकों को स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की ओर से मानक तय किये गए हैं. मानक के हिसाब से स्वस्थ बकरे का ही मांस बेचने के निर्देश दिए गए हैं. पशु चिकित्सा अधिकारी के मुताबिक बूचड़खानों में बकरे के कटान के बाद सबसे पहले उसका न सिर्फ पोस्टमार्टम किया जाता है, बल्कि उसके अच्छे और खराब मांस की छंटनी की जाती है. यानि खराब हिस्से को काटकर अलग कर दिया जाता है, जिससे मटन के शौकीन लोगों को खराब मटन से होने वाली बीमारियों से बचाया जा सके.
कितना हो रहा पालन
तय मानक बावजूद इसके मटन विक्रेता मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं. बकरों के कटान से बकरों की जांच की जाती है. स्वस्थ बकरे का चयन कर स्वास्थ्य विभाग की मुहर लगाने का प्रावधान है. लेकिन यह सब कागजों तक ही सीमित रह गया है. खाद्य विभाग की टीम दफ्तर में बैठे ही बकरों की जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रही है. जिससे मटन विक्रेता मनमानी कर बीमार और खराब मटन बेच कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.
खराब मटन आपको कर देगा बीमार
विशेषज्ञों की माने तो खराब मटन खाने से न सिर्फ आपके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो सकता है, बल्कि आप गंभीर बीमारियों की चपेट में भी आ सकते हैं. कई मामलों में फूड पॉइजनिंग होने से मौत भी हो सकती है. इसलिए विश्वसनीय मीट शॉप से ही बकरे का मांस खरीदना चाहिए. बकरों में कई प्रकार की बीमारियां आ जाती है, जिसके बाद मांस खाने वालों को भी ये बीमारी ग्रस्त कर देती है. इससे आपकी जान को भी खतरा हो सकता है.
3 साल से बंद है नए लाइसेंस
मेरठ जिले में बीजेपी की योगी सरकार आने के बाद से जहां नए बूचड़खानों एवं मटन शॉप के लाइसेंस बंद चल रहे हैं वहीं नगर निगम का कमेला भी बंद है. जिसके चलते मीट कारोबारी अपने घरों में अवैध रूप से कटान कर रहे हैं. जहां से मांस को दुकानों पर सप्लाई किया जा रहा है. घरों के अंदर नियमों और मापदंडों का कितना पालन हो रहा है, यह सभी भली भांति जानते हैं. लेकिन घरों में घुसकर कार्रवाई करना स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की तो बात दूर, पुलिस के लिए भी मुमकिन नहीं है.
स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़
आपको बता दें कि सर्दी का मौसम आते ही मांस खाने वालों की संख्या बढ़ने लगी है. हर कोई चिकन छोड़ मटन खाना ज्यादा पसंद कर रहा है. मटन विक्रेता मानकों एवं नियमों को ताक पर रखकर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं. घरों में बकरों का कटान कर न तो पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है, और ना ही उनका कोई सैम्पल जांच के लिए भेजा जाता है. काटने के बाद बकरे को ग्राहकों को बेच दिया जा रहा है. हालांकि कोरोना काल में साफ-सफाई का तो ध्यान रखा जा रहा है, लेकिन बीमार एवं स्वस्थ बकरों की जांच के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है. जिससे आप कभी भी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं.
होटल रेस्टोरेंट में होती है छापेमारी
मटन खाने के ज्यादातर शौकीन होटल रेस्टोरेंट में जाते है. जहां वे अपनी पसंद के लजीज मटन के बीमारियों का भी आर्डर करते हैं. क्योंकि होटलों में ज्यादातर वही मटन परोसा जा रहा है, जो नियमों को ताक पर रखकर घरों के अंदर काटा जा रहा है. अपर नगर आयुक्त श्रद्धा शांडिल्यान ने बताया कि मांस विक्रेताओं और होटल ढाबों में समय समय पर छापेमारी की जाती है. जहां मांस बेचने को लेकर अनियमितता पाई जाती है. तो उनके खिलाफ कार्यवाई की जाती है. महानगर में मांस विक्रेताओं को नियमों एवं मानकों का पालन करने के निर्देश गए हैं. हालांकि अभी तक मटन खाने से बीमार होने का कोई मामला सामने नहीं आया है.
बकरे को चना खिलाते है बकरा पालन
बकरा पालक इस्लाम ने बताया कि स्वस्थ बकरे के पालन के लिए उन्हें हरी घास के साथ चने का सामान खिलाया जाता है. चने, चने की दाल, चने का छिलका, चने की चुनी और सर्दियों में मसूर का मलवा खिलाया जाता है. इन बकरों के लिए घासफूस के अलावा नीम और कड़वे नटेन के पत्तों को खिलाया जाता है. अब हर कोई बकरे का मांस खाने लगा है, जिसके चलते बकरों की ज्यादा मांग होने लगी है. जानकारों के मुताबिक मुर्गे में बीमारियां आने लगी है, जबकि बकरे के मांस को स्वस्थ माना गया है. कहा तो ये भी जाता है कि बकरे के जिस हिस्से को खाया जाता है. मानव शरीर के उसी हिस्से में असर दिखाता है. यही वजह है कि मटन सभी मांस से महंगा भी बिक रहा है.
पोस्टमॉर्टम के बाद बिकता है मटन
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीपी सिंह ने बताया कि नियमानुसार स्वस्थ एवं लाभकारी मटन के लिए बकरे के काटने के बाद पशु चिकित्सा विभाग की टीम द्वारा पोस्टमार्टम और एंटी मार्टम किया जाता है. जबकि काटने से पहले बकरे का बुखार या अन्य बीमारी चेक की जाती है. जुगाली करता है या नहीं इस बात की पुष्टि की जाती है. काटने के बाद अगर मांस का कोई हिस्सा खराब है तो इसे हटा दिया जाता है. जिले भर में 150 से ज्यादा लाइसेंस धारी मटन विक्रेताओं के यहां आए दिन 1000 से ज्यादा बकरे काटे जा रहे हैं. जिनका पोस्टमार्टम किया जाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. जिसके चलते पशु विभाग के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं.
खराब मटन खाने के नुकसान
मांस खाने के लिए बकरा स्वस्थ और हेल्दी होना चाहिए. इसके अलावा अगर पूरा बकरा बीमार या पीलिया की बीमारी से ग्रस्त हो या फिर ऐसी कोई बीमारी हो जो बकरे के खाने के बाद आदमियों में फैलने का खतरा बना रहता है, तो उसको काटकर हटा दिया जाता है. खराब मटन खाने पर फूड पॉइजिंग का खतरा बन जाता है. कुछ बीमारियां ऐसी होती है जो पशुओं से आदमियों में फैलने की संभावना बनी रहती है.
छापेमारी के नाम पर हो रही खानापूर्ति
खाद्य विभाग के इंस्पेक्टर अर्चना धीरेन ने बताया कि खाद्य विभाग की टीम समय समय पर मीट विक्रेताओं के यहां छापेमारी करती रहती है. मीट दुकानों पर खराब मटन के साफ सफाई और फ्रिज आदि की जांच की जाती है. 2020 में अभी तक कुल 20-25 मटन विक्रेताओं के यहां निरीक्षण किया गया है. खराब मटन की शिकायत मिलने पर सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए है. सैंपल की रिपोर्ट आने में समय लगता है. उन्होंने बताया कि मटन एवं किसी भी प्रकार के मांस के बासी या खराब होने का पता लगाना मुश्किल होता है. सभी विक्रेताओं के यहां फ्रिज रखे हुए और फ्रिज में रखा मांस जल्दी से खराब नहीं होता.