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किसानों का आंदोलन सही: सत्यपाल मलिक

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक अपने गृह जनपद मेरठ पहुंचे हैं. जहां उन्होंने किसान आंदोलन के बारे में भी बातें रखीं. उन्होंने कहा कि मैं भी एक किसान का बेटा हूं. किसानों का दर्द और समस्याओं को समझता हूं.

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Published : Mar 15, 2021, 7:41 PM IST

सत्यपाल मलिक ने की किसानों की हक की बात
सत्यपाल मलिक ने की किसानों की हक की बात

मेरठ: दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को 110 दिन हो चुके हैं. किसान संगठन कृषि कानून वापस लेने की जिद्द पर अड़े हैं. वहीं केंद्र सरकार भी बैक फुट पर आने को तैयार नहीं है. लेकिन अब विपक्षी दलों के साथ मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी किसानों के समर्थन में उतर आए हैं. रविवार को अपने गृह जनपद बागपत में पहुंचे राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने न सिर्फ एमएसपी लागू करने की सलाह दी, बल्कि किसानों के आदोंलन को जायज करार दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार को एमएसपी को वैध करने के लिए किसानों की मांग को मान लेनी चाहिए. साथ ही उन्होंने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से अपील की है कि वे किसानों का अपमान न करें. उन्होंने कहा कि मैं इस मानक के खिलाफ गया क्योंकि मैं भी एक किसान का बेटा हूं. किसानों का दर्द और समस्याओं को समझता हूं.

यह भी पढ़ें: लड़कियों के अंडर गारमेंट्स चुराए, करतूत CCTV में कैद, देखें वीडियो

किसान के समर्थन में बोले राज्यपाल

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक अपने पैतृक जिले बागपत के कस्बा अमीनगर सराय पहुंचे हैं. जहां उन्होंने कस्बे के शीलाचंद इंटर कॉलेज में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. राज्यपाल मलिक ने मंच से सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वे बागपत जिले के गांव हिसावदा के रहने वाले हैं और किसान परिवार से तालुक रखते हैं. यही वजह है कि वो किसानों के दुख दर्द को बखूबी समझते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र के माध्यम से किसान आंदोलन के बारे में लिखा था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने बताया कि कोई भी कानून किसानों के पक्ष में नहीं है. किसान जहां भी हक मांगने जाते हैं हक की बजाए उन पर लाठियां बरसाई जाती हैं.

गरीब हो रहा देश का किसान

राज्यपाल सत्यापाल मलिक ने भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता एवं किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी रोकने का दावा किया है. इस दौरान उन्होंने सिख समाज के बारे में बोलते हुए कहा कि सिख कौम न तो कभी पीछे हटती है और ना ही 300 सालों तक किसी बात को भूलती है. हमारे देश का किसान आये दिन गरीब होता जा रहा है. जबकि सरकारी कर्मचारियों का वेतन 3 साल बाद बढ़ता रहता है. किसान को उसकी फसल का वाजिब दाम नहीं मिलता है. जबकि किसान को कृषि सबंधी सामान बाजार से महंगे दाम पर खरीदना पड़ता है.

'किसानों के दर्द को समझता हूं'

महामहिम राज्यपाल ने कहा कि मैं एक किसान परिवार से तालुक रखता हूं, इसलिए किसानों की समस्याओं को बखूबी समझ सकता हूं. मैं किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए किसी भी हद तक जाऊंगा. जबकि एक गवर्नर के लिए यह रास्ता गलत है. गवर्नर को चुप रहकर सिर्फ दस्तखत करने पड़ते हैं, लेकिन मैं चुप नहीं रहता. किसानों के मामले में मैंने देखा कि क्या-क्या हो रहा है. तब मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह दोनों से कहा कि मेरी प्रार्थना है कि इन्हें दिल्ली से खाली हाथ नहीं भेजा जाएं और इनके ऊपर बल प्रयोग नहीं करना चाहिए.

सेवानिवृत्त के बाद लिखेंगे किताब

राज्यपाल सत्यापाल मलिक ने अपने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के कार्यकाल को याद दिलाते हुए कहा कि जब केंद्र सरकार ने धारा 370 को निरस्त कर दिया था, उस दौरान उन्होंने मोदी सरकार के इस एतिहासिक फैसले की सराहना की थी. पंचायत चुनाव कराने के बाद वहां एक बेहतर तरह का लोकतंत्र स्थापित किया गया था. उन्होंने कहा कि वे राज्यपाल पद से सेवानिवृत्ति के बाद किताबें लिखेंगे. जिनमें किसान आंदोलन के बारे में लिखा जाएगा.

मेरठ: दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को 110 दिन हो चुके हैं. किसान संगठन कृषि कानून वापस लेने की जिद्द पर अड़े हैं. वहीं केंद्र सरकार भी बैक फुट पर आने को तैयार नहीं है. लेकिन अब विपक्षी दलों के साथ मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी किसानों के समर्थन में उतर आए हैं. रविवार को अपने गृह जनपद बागपत में पहुंचे राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने न सिर्फ एमएसपी लागू करने की सलाह दी, बल्कि किसानों के आदोंलन को जायज करार दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार को एमएसपी को वैध करने के लिए किसानों की मांग को मान लेनी चाहिए. साथ ही उन्होंने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से अपील की है कि वे किसानों का अपमान न करें. उन्होंने कहा कि मैं इस मानक के खिलाफ गया क्योंकि मैं भी एक किसान का बेटा हूं. किसानों का दर्द और समस्याओं को समझता हूं.

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किसान के समर्थन में बोले राज्यपाल

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक अपने पैतृक जिले बागपत के कस्बा अमीनगर सराय पहुंचे हैं. जहां उन्होंने कस्बे के शीलाचंद इंटर कॉलेज में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. राज्यपाल मलिक ने मंच से सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वे बागपत जिले के गांव हिसावदा के रहने वाले हैं और किसान परिवार से तालुक रखते हैं. यही वजह है कि वो किसानों के दुख दर्द को बखूबी समझते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र के माध्यम से किसान आंदोलन के बारे में लिखा था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने बताया कि कोई भी कानून किसानों के पक्ष में नहीं है. किसान जहां भी हक मांगने जाते हैं हक की बजाए उन पर लाठियां बरसाई जाती हैं.

गरीब हो रहा देश का किसान

राज्यपाल सत्यापाल मलिक ने भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता एवं किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी रोकने का दावा किया है. इस दौरान उन्होंने सिख समाज के बारे में बोलते हुए कहा कि सिख कौम न तो कभी पीछे हटती है और ना ही 300 सालों तक किसी बात को भूलती है. हमारे देश का किसान आये दिन गरीब होता जा रहा है. जबकि सरकारी कर्मचारियों का वेतन 3 साल बाद बढ़ता रहता है. किसान को उसकी फसल का वाजिब दाम नहीं मिलता है. जबकि किसान को कृषि सबंधी सामान बाजार से महंगे दाम पर खरीदना पड़ता है.

'किसानों के दर्द को समझता हूं'

महामहिम राज्यपाल ने कहा कि मैं एक किसान परिवार से तालुक रखता हूं, इसलिए किसानों की समस्याओं को बखूबी समझ सकता हूं. मैं किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए किसी भी हद तक जाऊंगा. जबकि एक गवर्नर के लिए यह रास्ता गलत है. गवर्नर को चुप रहकर सिर्फ दस्तखत करने पड़ते हैं, लेकिन मैं चुप नहीं रहता. किसानों के मामले में मैंने देखा कि क्या-क्या हो रहा है. तब मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह दोनों से कहा कि मेरी प्रार्थना है कि इन्हें दिल्ली से खाली हाथ नहीं भेजा जाएं और इनके ऊपर बल प्रयोग नहीं करना चाहिए.

सेवानिवृत्त के बाद लिखेंगे किताब

राज्यपाल सत्यापाल मलिक ने अपने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के कार्यकाल को याद दिलाते हुए कहा कि जब केंद्र सरकार ने धारा 370 को निरस्त कर दिया था, उस दौरान उन्होंने मोदी सरकार के इस एतिहासिक फैसले की सराहना की थी. पंचायत चुनाव कराने के बाद वहां एक बेहतर तरह का लोकतंत्र स्थापित किया गया था. उन्होंने कहा कि वे राज्यपाल पद से सेवानिवृत्ति के बाद किताबें लिखेंगे. जिनमें किसान आंदोलन के बारे में लिखा जाएगा.

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