मेरठ: भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी अहिंसात्मक रुख अपनाकर देशवासियों में चेतना जागृत करने का काम कर रहे थे. उस समय देश की आजादी के लिए लोग भी तेजी से जागरूक हो रहे थे. लोग एकजुट हो रहे थे. इसकी गवाही मेरठ कॉलेज का बरगद का पेड़ भी देता है. उस समय मेरठ कॉलेज में युवाओं ने एकजुट होकर महात्मा गांधी का समर्थन किया था.
1857 की क्रांति में मेरठ कॉलेज के छात्रों का रहा था सहयोगः मेरठ कॉलेज की प्रिंसिपल अंजलि मित्तल ने बताया कि 1857 की क्रांति के समय भी कॉलेज के छात्रों ने महात्मा गांधी का पूर्ण सहयोग किया था. तब महात्मा गांधी के अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध किए गए उपवास की सफलता के लिए कॉलेज परिसर में 194 घंटे तक हवन किया गया था. उस समय एक बरगद का पौधा भी कॉलेज प्रांगण में लगाया गया था.
जहां हुआ था हवन-यज्ञ वहां लगा है बरगद का पेड़ः अब वह पौधा विशालकाय वृक्ष बन चुका है. स्मृति स्थल के तौर पर इस स्थान को विकसित किया गया था. मेरठ कॉलेज में उस वृक्ष के पास जहां पर हवन हुआ था, अब वहां एक शिला पर हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और उर्दू में उस वक्त का पूर्ण विवरण भी अंकित है. मेरठ कॉलेज के प्रोफेसर योगेश कुमार कहते हैं कि यह वृक्ष और यहां लगा शिलालेख सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है. मेरठ कॉलेज प्रांगण में स्थित इस वृक्ष को देखने के लिए लोग यहां आते हैं.
मेरठ कॉलेज के छात्र गांधी से थे प्रेरितः प्रोफेसर मनोज सिवाच बताते हैं कि मेरठ कॉलेज के स्टूडेंट्स महात्मा गांधी से प्रेरित थे. उस समय महात्मा गांधी के समर्थन के लिए स्टूडेंट्स ने आपस में चंदा एकत्र किया था. महात्मा गांधी जब मेरठ आए थे तो उन्हें वह राशि भेंट की गई थी. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कई बार मेरठ आए थे और युवाओं ने उनका पूर्ण समर्थन किया था. महात्मा गांधी से यहां के युवा प्रेरित थे.
गांधी जी कितनी बार आए थे मेरठः असहयोग आंदोलन के बाद भी गांधी जी का मेरठ में आगमन हुआ था. तब अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन को गति देने के लिए गांधी जी ने यहां के युवाओं और जनता का आभार भी जताया था. इतिहासकार देवेश शर्मा बताते हैं कि महात्मा गांधी दो बार मेरठ आए थे. 1920 और 1929 में वह मेरठ आए थे. यहां उन्होंने युवाओं और जनता को संबोधित भी किया था.