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मेरठ: लाॅकडाउन से बासमती धान पर भी मंडराया संकट, किसान नहीं खरीद पा रहे बीज

उत्तर प्रदेश के मेरठ में किसानों के सामने लॉकडाउन के कारण खासी दिक्कत आ खड़ी हुई है. किसान धान की नर्सरी तैयार करने के लिए बासमती का बीज लाना चाह रहे हैं, मगर लॉकडाउन के कारण नहीं ले आ पा रहे हैं.

farmers are suffering due to lockdown
लॉकडाउन के कारण किसान परेशान
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Published : Apr 13, 2020, 3:07 PM IST

मेरठ: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच किसानों की मुश्किल बढ़ती जा रही है. लाॅकडाउन की अवधि आगे बढ़ी तो यह समस्या और अधिक हो जाएगी. किसान धान की नर्सरी तैयार करने के लिए बासमती धान के बीज की डिमांड कर रहे हैं, लेकिन रास्ते बंद होने से किसानों तक बीज नहीं पहुंच पा रहा है. इससे न केवल किसानों की परेशानी बढ़ रही है बल्कि बासमती निर्यात विकास संस्थान को भी चिंता सता रही है.

farmers are suffering due to lockdown
लॉकडाउन के कारण किसान परेशान
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान (बीडीईएफ) देश का एकमात्र सेंटर है जो कि मेरठ जिले के मोदीपुरम में स्थित है. विदेशों में बासमती निर्यात के लिए यही संस्थान काम करती है. यह संस्थान किसानों को बासमती धान की उच्च गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन के लिए उपलब्ध कराता है. यहां तैयार बासमती धान का बीज लेने के लिए यूपी, पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, हिमाचल, उत्तराखंड जैसे प्रदेशों के किसान आते हैं.

15 अप्रैल से संस्थान की ओर से बीज की बिक्री का काम शुरू कर दिया जाता है, लेकिन इस बार लाॅकडाउन के कारण किसान यहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. किसान फोन पर ही बीज कैसे मिले इस बारे में जानकारी ले रहे हैं. सोस्थान में बीज की कोई कमी नहीं है, लेकिन किसानों तक नहीं पहुंचा तो इसका असर आगामी दिनों में देखने को मिलेगा. उन्होंने बताया कि करीब 1250 कुंतल बीज उपलब्ध है. यूपी समेत अन्य प्रदेशों से बड़ी संख्या में किसान यहां आते हैं. बीज देने के लिए बैग भी लॉकडाउन के कारण यहां तक नहीं पहुंच पाए हैं. बैग मिलने पर ही बीज वितरण की व्यवस्था की जाएगी.

farmers are suffering due to lockdown
लॉकडाउन के कारण किसान परेशान
संस्थान के प्रभारी और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा के मुताबिक 15 मई के बाद किसान धान की नर्सरी लगानी शुरू कर देते हैं. यह कार्य 15 जून तक चलता है. ऐसे में किसानों को बीज नहीं मिला तो नर्सरी लगाने में देरी होगी. इसका प्रभाव आगे फसल पर देखने को मिलेगा. लाॅकडाउन की अवधि बढ़ती है तो किसानों के बीज की ऑनलाइन बुकिंग की जाएगी ताकि वह लाॅकडाउन समाप्त होने पर अपना बीज आकर प्राप्त कर सकें.

मेरठ: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच किसानों की मुश्किल बढ़ती जा रही है. लाॅकडाउन की अवधि आगे बढ़ी तो यह समस्या और अधिक हो जाएगी. किसान धान की नर्सरी तैयार करने के लिए बासमती धान के बीज की डिमांड कर रहे हैं, लेकिन रास्ते बंद होने से किसानों तक बीज नहीं पहुंच पा रहा है. इससे न केवल किसानों की परेशानी बढ़ रही है बल्कि बासमती निर्यात विकास संस्थान को भी चिंता सता रही है.

farmers are suffering due to lockdown
लॉकडाउन के कारण किसान परेशान
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान (बीडीईएफ) देश का एकमात्र सेंटर है जो कि मेरठ जिले के मोदीपुरम में स्थित है. विदेशों में बासमती निर्यात के लिए यही संस्थान काम करती है. यह संस्थान किसानों को बासमती धान की उच्च गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन के लिए उपलब्ध कराता है. यहां तैयार बासमती धान का बीज लेने के लिए यूपी, पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, हिमाचल, उत्तराखंड जैसे प्रदेशों के किसान आते हैं.

15 अप्रैल से संस्थान की ओर से बीज की बिक्री का काम शुरू कर दिया जाता है, लेकिन इस बार लाॅकडाउन के कारण किसान यहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. किसान फोन पर ही बीज कैसे मिले इस बारे में जानकारी ले रहे हैं. सोस्थान में बीज की कोई कमी नहीं है, लेकिन किसानों तक नहीं पहुंचा तो इसका असर आगामी दिनों में देखने को मिलेगा. उन्होंने बताया कि करीब 1250 कुंतल बीज उपलब्ध है. यूपी समेत अन्य प्रदेशों से बड़ी संख्या में किसान यहां आते हैं. बीज देने के लिए बैग भी लॉकडाउन के कारण यहां तक नहीं पहुंच पाए हैं. बैग मिलने पर ही बीज वितरण की व्यवस्था की जाएगी.

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लॉकडाउन के कारण किसान परेशान
संस्थान के प्रभारी और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा के मुताबिक 15 मई के बाद किसान धान की नर्सरी लगानी शुरू कर देते हैं. यह कार्य 15 जून तक चलता है. ऐसे में किसानों को बीज नहीं मिला तो नर्सरी लगाने में देरी होगी. इसका प्रभाव आगे फसल पर देखने को मिलेगा. लाॅकडाउन की अवधि बढ़ती है तो किसानों के बीज की ऑनलाइन बुकिंग की जाएगी ताकि वह लाॅकडाउन समाप्त होने पर अपना बीज आकर प्राप्त कर सकें.
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