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मेरठ: कृषि विश्वविद्यालय में किसानों को मिल रही मछली पालन की ट्रेनिंग

उत्तर प्रदेश के मेरठ में सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में किसानों और फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को मछली पालन की ट्रेनिंग दी जा रही है. मछली पालन से किसान अधिक मुनाफा कमा सकेंगे.

किसानों को मिल रही मछली पालन की ट्रेनिंग.
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Published : Nov 16, 2019, 10:34 AM IST

मेरठ: सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में मछली पालन को लेकर किसानों को ट्रेनिंग दी जा रही है. यहां मछली पालन के लिए मछली की अच्छी नस्लों के भी बीज उपलब्ध कराए जाते हैं. मछली पालन से किसानों की आमदनी में इजाफा होगा. किसानों को मछली पालन वैज्ञानिक तरीके से करना चाहिए, यदि वह वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन करेंगे तो वह एक हेक्टेयर जमीन में बने तालाब से 6 लाख रुपये सालाना आय प्राप्त कर सकते हैं.

किसानों को मिल रही मछली पालन की ट्रेनिंग.

जानिए सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विद्यालय के प्रोफेसर ने क्या कहा

  • डॉ. डीवी सिंह के मुताबिक यदि किसान मत्स्य पालन के साथ बत्तख और मुर्गी पालन भी तालाब के पास करें तो वह प्रति हेक्टेयर दो से तीन लाख और अधिक आमदनी बढ़ा सकते हैं.
  • उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन में एक हेक्टेयर में करीब ढाई लाख का खर्च पूरे साल आता है.
  • किसान एक साल में एक ही तालाब से करीब 50 टन मछली उत्पादन ले सकता है.
  • ये मछलियां बाजार में कम से कम साढ़े छह लाख रुपये तक बिक जाती हैं.
  • डीवी सिंह का कहना है कि किसानों को देसी नस्लों में रोहू, कतला, नैन, मछली का पालन करना चाहिए.
  • विदेशी नस्ल में सिल्वर कार्प, कामन कार्प, और ग्रास कार्प, मछली का पालन करना चाहिए.
  • किसानों को एक तालाब में एक साथ इन सभी छह नस्लों की मछलियों के बीज को डालना चाहिए.
  • डीवी सिंह ने बताया कि वैज्ञानिक विधि से मछली पालन किया जाए तो निश्चित सामान्य मछली पालन से अधिक मुनाफा किसान कमा सकेंगे.

स्टूडेंट्स को मिल रही है मछली पालन की ट्रेनिंग

  • डॉ. डीबी सिंह ने बताया कि मछली पालन के लिए फाइनल इयर के स्टूडेंट्स को तालाबों में मछली पालन की ट्रेनिंग दी जा रही है.
  • इस ट्रेनिंग के तहत स्टूडेंट्स को एक तालाब दे दिया जाता है, उस तालाब में स्टूडेंट्स अपनी निगरानी में मछली पालन करते हैं.
  • मछली जब तैयार हो जाती तब उसे बाजार में बेच दिया जाता है.
  • इस ट्रेनिंग से पता चलता है कि किस स्टूडेंट्स ने कितनी मेहनत की.
  • कुलपति डॉ. आरके मित्तल के निर्देशानुसार मछली पालन से जो आय होगी वह स्टूडेंट्स को शेयर की जाएगी.
  • उन्होंने बताया कि इस तरह की पहल से स्टूडेंट्स भी उत्साहित हैं.

मेरठ: सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में मछली पालन को लेकर किसानों को ट्रेनिंग दी जा रही है. यहां मछली पालन के लिए मछली की अच्छी नस्लों के भी बीज उपलब्ध कराए जाते हैं. मछली पालन से किसानों की आमदनी में इजाफा होगा. किसानों को मछली पालन वैज्ञानिक तरीके से करना चाहिए, यदि वह वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन करेंगे तो वह एक हेक्टेयर जमीन में बने तालाब से 6 लाख रुपये सालाना आय प्राप्त कर सकते हैं.

किसानों को मिल रही मछली पालन की ट्रेनिंग.

जानिए सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विद्यालय के प्रोफेसर ने क्या कहा

  • डॉ. डीवी सिंह के मुताबिक यदि किसान मत्स्य पालन के साथ बत्तख और मुर्गी पालन भी तालाब के पास करें तो वह प्रति हेक्टेयर दो से तीन लाख और अधिक आमदनी बढ़ा सकते हैं.
  • उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन में एक हेक्टेयर में करीब ढाई लाख का खर्च पूरे साल आता है.
  • किसान एक साल में एक ही तालाब से करीब 50 टन मछली उत्पादन ले सकता है.
  • ये मछलियां बाजार में कम से कम साढ़े छह लाख रुपये तक बिक जाती हैं.
  • डीवी सिंह का कहना है कि किसानों को देसी नस्लों में रोहू, कतला, नैन, मछली का पालन करना चाहिए.
  • विदेशी नस्ल में सिल्वर कार्प, कामन कार्प, और ग्रास कार्प, मछली का पालन करना चाहिए.
  • किसानों को एक तालाब में एक साथ इन सभी छह नस्लों की मछलियों के बीज को डालना चाहिए.
  • डीवी सिंह ने बताया कि वैज्ञानिक विधि से मछली पालन किया जाए तो निश्चित सामान्य मछली पालन से अधिक मुनाफा किसान कमा सकेंगे.

स्टूडेंट्स को मिल रही है मछली पालन की ट्रेनिंग

  • डॉ. डीबी सिंह ने बताया कि मछली पालन के लिए फाइनल इयर के स्टूडेंट्स को तालाबों में मछली पालन की ट्रेनिंग दी जा रही है.
  • इस ट्रेनिंग के तहत स्टूडेंट्स को एक तालाब दे दिया जाता है, उस तालाब में स्टूडेंट्स अपनी निगरानी में मछली पालन करते हैं.
  • मछली जब तैयार हो जाती तब उसे बाजार में बेच दिया जाता है.
  • इस ट्रेनिंग से पता चलता है कि किस स्टूडेंट्स ने कितनी मेहनत की.
  • कुलपति डॉ. आरके मित्तल के निर्देशानुसार मछली पालन से जो आय होगी वह स्टूडेंट्स को शेयर की जाएगी.
  • उन्होंने बताया कि इस तरह की पहल से स्टूडेंट्स भी उत्साहित हैं.
Intro:मेरठ: मछली पालन से किसानों की आमदनी में होगा इजाफा मेरठ। किसान फसलों के अलावा मछली पालन में भी अपने आमदनी बढ़ा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में मछली की डिमांड के चलते मछली पालन करने वाले किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। किसानों को मछली पालन वैज्ञानिक तरीके से करना चाहिए, यदि वह वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन करेंगे तो वह एक हेयर हेक्टेयर जमीन में बने तालाब से 6 लाख रुपये सालाना आय प्राप्त कर सकते हैं।


Body:सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में मछली पालन को लेकर किसानों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। यहां मछली पालन के लिए मछली की अच्छी नस्लों के भी बीज उपलब्ध कराए जाते हैं। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विद्यालय के कीट विज्ञान के प्रोफेसर व मत्स्य पालन केंद्र के प्रभारी डॉ डीवी सिंह के मुताबिक यदि किसान मत्स्य पालन करने के साथ-साथ बत्तख और मुर्गी पालन भी तालाब के पास करें तो वह प्रति हेक्टेयर दो से तीन लाख और अधिक आमदनी अपनी बढ़ा सकते हैं। उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन में 1 हेक्टेयर में करीब ढाई लाख का खर्च पूरे साल आता है और किसान 1 साल में एक ही तालाब से करीब 50 टन मछली उत्पादन ले सकता है, जो बाजार में कम से कम साढ़े छह लाख रुपए तक बिक जाती हैं। डीवी सिंह का कहना है कि किसानों को देसी नस्लों में रोहू, कतला, नैन, मछली का पालन करना चाहिए जबकि, विदेशी नस्ल में सिल्वर कार्प, कामन कार्प, और ग्रास कार्प, मछली का पालन करना चाहिए। एक तालाब में यदि एक साथ इन सभी छह नस्लों की मछलियों के बीज को डाला जाए और वैज्ञानिक विधि से मछली पालन किया जाए किसान तो निश्चित सामान्य मछली पालन से अधिक मुनाफा किसान कमा सकेंगे।


Conclusion:स्टूडेंट को मिलेगा लाभ में शेयर डा. डीबी सिंह ने बताया कि मछली पालन के लिए फाइनल ईयर के स्टूडेंट को तालाबों में मछली पालन की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस ट्रेनिंग के तहत स्टूडेंट को एक तालाब दे दिया जाता है, उस तालाब में स्टूडेंट निगरानी में मछली पालन करते हैं। मछली जब तैयार हो जाती तब उसे बाजार में बेच दिया जाता है। इस ट्रेनिंग से पता चलता है कि किस स्टूडेंट में कितनी मेहनत की। कुलपति डॉक्टर आरके मित्तल के निर्देशानुसार मछली पालन से जो आए होगी वह स्टूडेंट को शेयर की जाएगी। उन्होंने बताया इस तरह की पहल से स्टूडेंट भी उत्साहित हैं। बाइट- डॉ डीबी सिंह, प्रोफेसर कीट विज्ञान अजय चौहान 9897799794
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