मेरठ: 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारियां देश भर में जोर शोर से चल रही हैं. पूरे देश में सरकारी-गैर सरकारी संस्थानों पर तिरंगा फहराया जाएगा. वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में गणतंत्र दिवस अनोखे तरीके से मनाने की तैयारियां की जा रही है. गणतंत्र दिवस के अवसर पर इस बार अनोखी प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा. यूपी दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर क्रांतिकारी स्थानों पर न सिर्फ पुलिस और पीएसी बैंड की धुन बजायी जाएगी, बल्कि 1857 की क्रांति से जुड़ी धरोहर की प्रदर्शनी की जाएगी. राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय मेरठ की ओर 24, 25 और 26 जनवरी को प्रदर्शनी के माध्यम से इस धरोहर को आम जनता तक पहुंचाया जाएगा. खास बात ये है कि प्रदर्शनी में 'आजाद हिंद फौज' के सिपाही की वर्दी और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से जारी किए गए डाक टिकट से भी रूबरू कराया जाएगा.
क्रांति नगरी में खास होगा गणतंत्र दिवस
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मेरठ जिला न सिर्फ महाभारत कालीन यादों के जाना जाता है, बल्कि क्रांति की नगरी के नाम से भी पहचान रखता है. मेरठ ही वो शहर है, जहां से 1857 की क्रांति का शुभारंभ किया गया था. यही वजह है कि इस बार क्रांति नगरी मेरठ में गणतंत्र दिवस अनोखे तरीके से मनाने को तैयारी चल रही है. जिसके चलते मेरठ शहर में गणतंत्र दिवस का पर्व बहुत ही खास होने वाला है. जहां गणतंत्र दिवस से पहले ही कई तरह की तैयारियां की जा रही हैं. प्रशासन की ओर से 1947 ही नहीं बल्कि 1857 की क्रांति की यादों को ताजा करने के प्रयास किये जा रहे हैं.
मेरठ शहर से शुरू हुई थी 1857 की क्रांति
एक ओर जहां अंग्रेज मेरठ शहर को सबसे सुरक्षित छावनी मानते थे, वहीं 10 मई 1857 को मेरठ शहर में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सबसे पहले विद्रोह शुरू हुआ था. 10 मई को सुबह हिंदुस्तानियों ने अंग्रेजों के यहां काम का बहिष्कार कर कर दिया था. जिसके बाद विद्रोह की आग कुछ घन्टों में न सिर्फ विद्रोह की आग चारों ओर फैल गई बल्कि अंग्रेजों पर हमला बोल दिया. बताया जाता है कि 23 अप्रैल 1857 को अंग्रेजों ने सेना में तैनात हिंदुस्तानियों को चर्बी लगे कारतूस दिए थे, जिन्हें चलाने से सैनिकों ने इंकार कर दिया था. अंग्रेजी हुकूमत ने सैनिकों का कोर्ट मार्शल का ट्रायल कर 85 सैनिकों को दस साल की सजा सुनाई थी. अंग्रेजों ने सैनिकों को लोहे की जंजीरों एवं बेड़ियों में जकड़ कर खूब यातनाएं दी थीं, जिसके बाद क्रांति की भूमिका बनती चली और विकराल रूप ले लिया था.
विक्टोरया पार्क की जेल से रिहा कराए थे सैनिक
इतिहासकारों के मुताबिक 9 मई 1857 को अंग्रेजों ने सभी 85 सैनिकों की वर्दी उतार न सिर्फ जंजीरों में बांध दिया था, बल्कि विक्टोरया पार्क की जेल में बंद कर दिया था. विद्रोह पर उतर आए क्रांतिकारियों ने जेल पर हमला कर सभी कैदियों को छुड़ा लिया था. यहीं से मेरठ के क्रांतिकारी वीरों ने 11 मई की सुबह दिल्ली के लालकिले पर पहुंच कर बहादुर शाह जफर से मुलाकात की. जिसके बाद अंग्रेजों के खिलाफ उठी क्रांति की चिंगारी देखते ही देखते पूरे देश में फैल गई, लेकिन किन्हीं कारणों से देश आजाद नहीं हो पाया था.
1857 की क्रांति से जुड़ी यादों के साथ मनाया जाएगा गणतंत्र दिवस
राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय अधीक्षक पी मौर्य ने बताया कि 1857 की क्रांति की यादों के साथ गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. राजकीय संग्राहलय की ओर से यूपी दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर क्रांति से जुड़े क्रांतिकारियों की निशानी और धरोहर की प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इस प्रदर्शनी में क्रांतिकारियों की फोटो लगी डाक टिकट 10, 20, 50 और 100 रुपये के सिक्कों को प्रदर्शित किया जाएगा. इसके अलावा प्रदर्शनी में आने वाले युवाओं एवं स्थानीय लोगों को स्वतन्त्रता संग्राम से जुड़े स्थानों की फोटो और उसके इतिहास के बारे में भी बताया जाएगा. राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में रखी धरोहर को आमजन तक पहुंचाया जाएगा. प्रदर्शनी में आजाद हिंद फौज के सिपाही की वर्दी, टोपी भी दिखाई जाएगी.
क्रांति से जुड़े स्थानों पर बजेगा स्पेशल बैंड
इस बार का गणतंत्र दिवस क्रांति की नगरी मेरठ में कई मायनों में अनोखा होने वाला है. शहर भर के उन स्थानों पर पुलिस और पीएसी के बैंड की धुन बजायी जाएगी, जहां से 1857 की क्रांति का शुभारंभ हुआ था. यानि क्रांति से जुड़े स्थानों पर स्पेशल बैंड की धुन बजाकर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाएगा.