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IAS सेकेंड टॉपर जागृति अवस्थी ने बताया परीक्षा में सफलता का खास मंत्र, देखिए ये विशेष इंटरव्यू

आईएएस परीक्षा की तैयारी कैसे करनी चाहिए, परीक्षा कैसे दी जानी चाहिए और किन खास बातों का ध्यान रखकर सफलता हासिल की जा सकती है, इस बारे में बताया 2020 बैच की सेकेंड टॉपर IAS जागृति अवस्थी ने. देखिए ये खास इंटरव्यू.

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Published : Mar 2, 2023, 7:20 PM IST

मेरठः आईएएस की परीक्षा में चयनित होना ज्यादातर युवाओं का सपना रहता है. इनमें से कुछ युवा ही इसे हकीकत में बदल पाते हैं. ऐसे युवाओं में ही एक हैं 2020 आईएएस बैच की सेकेंड टॉपर जागृति अवस्थी. उनसे ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. जानिए उनकी सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी.

आईएएस जागृति अवस्थी से खास बातचीत.

मेरठ के रजपुरा ब्लॉक में बतौर बीडीओ कार्यभार संभाल रहीं जागृति अवस्थी बताती हैं कि उनकी शिक्षा मध्यप्रदेश के भोपाल में हुई थी. उन्होंने 10 वीं और 12वीं की पढ़ाई महर्षि मंदिर विद्यालय से की. B Tech मौलाना आजाद नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (MANIT), भोपाल से किया. उनके पिता सुरेश चंद्र अवस्थी सरकारी हॉस्पिटल में होमियोपैथी चिकित्सक हैं वहीं मां मधुलिका अवस्थी फिजिकल एजुकेशन ट्रेनर थीं. बाद में स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अब घर संभालती हैं. छोटा भाई सुयश अवस्थी एमबीबीएस कर रहे हैं.

जागृति अवस्थी ने बताया कि उन्होंने बीटेक करने के बाद GATE की परीक्षा दी और उसे क्लियर करने के बाद उनकी जॉब भारत हैवी एलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर पद पर लग गई. उस दौरान लगा कि व्यापक सामाजिक स्तर पर काम करना है तो टेक्नोलॉजी का यह क्षेत्र छोड़ना पड़ेगा. इसके बाद आईएएस बनेन की ठानी. जॉब में रहते हुए उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी की. पहली बार में वह प्री भी नहीं निकाल सकीं. इसके बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और एक साल घर पर ही तैयारी की. उस दौरान कोरोना काल चल रहा था. लॉकडाउन के समय सबकुछ बंद था इस वजह से घर पर ही रहकर तैयारी की.

जागृति कहती हैं कि किसी भी परीक्षा के लिए सबसे जरूरी है कि हमें सिलेबस सही से पता होना चाहिए. किताबें कौन सी पढ़नी है ये मालूम होना चाहिए. परीक्षा के अनुरूप अभ्यास होना चाहिए. पहले सिलेबस को अच्छे से समझा फिर किताबें चुनीं. इसके बाद तैयारी में जुट गईं.

जागृति कहतीं है कि परीक्षा चाहे आईएएस की हो या सामान्य हो आपको धैर्य के साथ तैयारी करना आना चाहिए. वह कहती हैं कि समय का एक अपना चरण होता है. अगर आपको एक पहाड़ चढ़ना है तो आपको एक एक कदम ही चढ़ना पड़ेगा. यही तरीका है अगर आप बार बार यही देखेंगे कि हम अभी कितना आ गए हैं कितना रह गया है तो इससे आपको ही प्रॉब्लम होगी. आप धैर्य के साथ अपनी तैयारी में जुटे रहिए. अपने लक्ष्य पर फोकस करते रहिए, आप सौ फीसदी सफल होंगे. उन्होंने बताया कि मां अक्सर कहती थीं कि हर किसी का हल होता है आज नहीं तो कल होता है. यह लाइन मुझे बेहद अच्छी लगती है. कोई भी हालात हो आपको अपना बेस्ट देना आना चाहिए.

तैयारी के ये खास मंत्र अपनाए
1. आठ से दस घंटे तक हर दिन पढाई करती थीं.
2. शेड्यूल बनाकर पढ़ाई पर जोर दिया.
3. घर पर रहकर तैयारी की ताकि खाने-पीने की दिक्कत न हो.
4. धैर्य के साथ परीक्षा की तैयारी में जुटी रहीं और लक्ष्य पर फोकस किया.
5. सपनों को पूरा करने की हर कोशिश ईमानदारी से निभाई.

जब दूसरी रैंक देखकर रो पड़ीं...
जागृति के मुताबिक एक वक्त ऐसा भी आया जब रिजल्ट आया. उसमें दूसरी रैंक देखकर उन्हें खुद पर विश्वास नहीं हुआ और वह रो पड़ीं. कई बार रिजल्ट चेक किया. जब भाई ने हां कहा तब जाकर विश्वास माना. जागृति युवाओं से कहती हैं कि अगर मुझे इस कुर्सी पर देखकर जिन भी माता-पिता को खुशी होती है उन्हें अगर ऐसा लगता है कि मैंने शायद कुछ अच्छा किया है तो अपनी बेटियों को आगे जरूर बढ़ाएं. आपकी बेटी भी यहां तक पहुंच सकती है.








ये भी पढ़ेंः मां ने गुस्से में चार साल के बेटे को चाकू से गोदा, हत्या के बाद खुद को भी किया जख्मी, नाराजगी की ये थी वजह

मेरठः आईएएस की परीक्षा में चयनित होना ज्यादातर युवाओं का सपना रहता है. इनमें से कुछ युवा ही इसे हकीकत में बदल पाते हैं. ऐसे युवाओं में ही एक हैं 2020 आईएएस बैच की सेकेंड टॉपर जागृति अवस्थी. उनसे ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. जानिए उनकी सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी.

आईएएस जागृति अवस्थी से खास बातचीत.

मेरठ के रजपुरा ब्लॉक में बतौर बीडीओ कार्यभार संभाल रहीं जागृति अवस्थी बताती हैं कि उनकी शिक्षा मध्यप्रदेश के भोपाल में हुई थी. उन्होंने 10 वीं और 12वीं की पढ़ाई महर्षि मंदिर विद्यालय से की. B Tech मौलाना आजाद नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (MANIT), भोपाल से किया. उनके पिता सुरेश चंद्र अवस्थी सरकारी हॉस्पिटल में होमियोपैथी चिकित्सक हैं वहीं मां मधुलिका अवस्थी फिजिकल एजुकेशन ट्रेनर थीं. बाद में स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अब घर संभालती हैं. छोटा भाई सुयश अवस्थी एमबीबीएस कर रहे हैं.

जागृति अवस्थी ने बताया कि उन्होंने बीटेक करने के बाद GATE की परीक्षा दी और उसे क्लियर करने के बाद उनकी जॉब भारत हैवी एलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर पद पर लग गई. उस दौरान लगा कि व्यापक सामाजिक स्तर पर काम करना है तो टेक्नोलॉजी का यह क्षेत्र छोड़ना पड़ेगा. इसके बाद आईएएस बनेन की ठानी. जॉब में रहते हुए उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी की. पहली बार में वह प्री भी नहीं निकाल सकीं. इसके बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और एक साल घर पर ही तैयारी की. उस दौरान कोरोना काल चल रहा था. लॉकडाउन के समय सबकुछ बंद था इस वजह से घर पर ही रहकर तैयारी की.

जागृति कहती हैं कि किसी भी परीक्षा के लिए सबसे जरूरी है कि हमें सिलेबस सही से पता होना चाहिए. किताबें कौन सी पढ़नी है ये मालूम होना चाहिए. परीक्षा के अनुरूप अभ्यास होना चाहिए. पहले सिलेबस को अच्छे से समझा फिर किताबें चुनीं. इसके बाद तैयारी में जुट गईं.

जागृति कहतीं है कि परीक्षा चाहे आईएएस की हो या सामान्य हो आपको धैर्य के साथ तैयारी करना आना चाहिए. वह कहती हैं कि समय का एक अपना चरण होता है. अगर आपको एक पहाड़ चढ़ना है तो आपको एक एक कदम ही चढ़ना पड़ेगा. यही तरीका है अगर आप बार बार यही देखेंगे कि हम अभी कितना आ गए हैं कितना रह गया है तो इससे आपको ही प्रॉब्लम होगी. आप धैर्य के साथ अपनी तैयारी में जुटे रहिए. अपने लक्ष्य पर फोकस करते रहिए, आप सौ फीसदी सफल होंगे. उन्होंने बताया कि मां अक्सर कहती थीं कि हर किसी का हल होता है आज नहीं तो कल होता है. यह लाइन मुझे बेहद अच्छी लगती है. कोई भी हालात हो आपको अपना बेस्ट देना आना चाहिए.

तैयारी के ये खास मंत्र अपनाए
1. आठ से दस घंटे तक हर दिन पढाई करती थीं.
2. शेड्यूल बनाकर पढ़ाई पर जोर दिया.
3. घर पर रहकर तैयारी की ताकि खाने-पीने की दिक्कत न हो.
4. धैर्य के साथ परीक्षा की तैयारी में जुटी रहीं और लक्ष्य पर फोकस किया.
5. सपनों को पूरा करने की हर कोशिश ईमानदारी से निभाई.

जब दूसरी रैंक देखकर रो पड़ीं...
जागृति के मुताबिक एक वक्त ऐसा भी आया जब रिजल्ट आया. उसमें दूसरी रैंक देखकर उन्हें खुद पर विश्वास नहीं हुआ और वह रो पड़ीं. कई बार रिजल्ट चेक किया. जब भाई ने हां कहा तब जाकर विश्वास माना. जागृति युवाओं से कहती हैं कि अगर मुझे इस कुर्सी पर देखकर जिन भी माता-पिता को खुशी होती है उन्हें अगर ऐसा लगता है कि मैंने शायद कुछ अच्छा किया है तो अपनी बेटियों को आगे जरूर बढ़ाएं. आपकी बेटी भी यहां तक पहुंच सकती है.








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