मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के तत्वाधान में आयोजित ई-कार्यशाला में वक्ताओं ने आयुर्वेद को अपनाने पर जोर दिया. वक्ताओं ने कहा कि आधुनिकता की चकाचौंध में हम अपनी प्राचीन परंपरा को भूल गए हैं. यह ई-कार्यशाला 'कोविड-19 के साथ जीवन और स्वावलंबी भारत की रूपरेखा' विषय पर आयोजित की जा रही है.
इस दौरान प्रोफेसर गौरी दत्त शर्मा ने कहा कि, यदि भारत को स्वावलंबी बनाना है तो महात्मा गांधी के गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के सिद्धांत को अपनाना होगा. साथ ही देश की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था एवं पद्धति में परिवर्तन करने होंगे और उसे रचनात्मक एवं कौशल से परिपूर्ण बनाना होगा. इसके अलावा अपने आपको आत्मनिर्भर बनाना होगा जिससे मूलभूत वस्तुओं एवं आवश्यकताओं के लिए दूसरे देशों पर निर्भर न रहना पड़े.
दुर्लभ बीमारियों की आयुर्वेद में दी गई हैं जानकारी
कार्यशाला के प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. अशोक वार्ष्णेय ने स्वावलंबी समाज निर्माण की चुनौतियां विषय पर अपना संबोधन दिया. उन्होंने कहा कि हमारे यहां वेदों और आयुर्वेद में बहुत सी औषधियों, चिकित्सक पद्धतियों एवं बहुत ही दुर्लभ बीमारियों के इलाज के बारे में बताया गया है लेकिन हमनें आधुनिकता के परिवेश में अपने प्राचीन ज्ञान परंपरा को भुला दिया है. वर्तमान समय में पूरा विश्व भारतीय आयुर्वेद चिकित्सीय पद्धति का लोहा मान रहा है. आयुर्वेद में ऐसी दिव्य औषधियों के बारे में बताया गया है जिससे मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और स्वस्थ मानव शरीर का निर्माण होता है.
अमेरिका में लोग कर रहे आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग
डॉ. अशोक वार्ष्णेय ने कहा कि एक सर्वे के अनुसार अमेरिका में भी 65 प्रतिशत लोग आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग कोविड-19 महामारी से बचने के लिए कर रहे हैं. हमें योग की तरह आयुर्वेद को अपनाना होगा तभी हम स्वस्थ रह सकते हैं. हमारे आयुर्वेद में सूर्य उदय से लेकर रात्रि होने तक सभी समय की क्रियाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है.
गांव में पहले मिल जाती थी मूलभूत वस्तुएं
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गौरी दत्त शर्मा ने कहा कि प्राचीन समय से ही हमारे ग्राम एवं जनपद स्वावलंबी और समृद्ध रहे हैं लेकिन औद्योगीकरण एवं अंग्रेजों के आने के कारण हमारा सामाजिक ताना-बाना परिवर्तित हो गया. उन्होंने कहा कि गांव में पहले जीवन यापन की सभी मूलभूत वस्तुएं मिल जाती थी.
वर्तमान समय में भटक रहे हैं श्रमिक
प्रो. शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में श्रमिक-मजदूर दर-बदर भटक रहे हैं. इसका कारण यह है कि हमने जो अर्थनीति अपनाई वह भारतीय नहीं थी. वह केवल पश्चिम के पूंजीवाद एवं मशीनीकरण आधार पर अवलंबित थी. इसी वजह से स्वतंत्रता से लेकर आज तक भारत गरीबी भुखमरी एवं बेरोजगारी से मुक्त नहीं हो पाया.