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जख्मी स्ट्रीट डॉग्स को मरहम दे रहा है सोनिया का परिवार, घर को बना दिया आश्रयस्थल

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Published : Feb 7, 2023, 7:29 PM IST

मेरठ की सोनिया बेसहारा और दुर्घटना के शिकार कुत्तों का सहारा बनी हुई हैं. सोनिया और उनका पूरा परिवार न सिर्फ दुर्घटनाग्रस्त कुत्तों की मरहम पट्टी से लेकर तमाम इलाज क़रता है, बल्कि उन्हें अपने घर में रहने के लिए जगह भी देता है (treating injured street dogs in meerut).

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मेरठ : स्ट्रीट डॉग्स यानी गली मुहल्ले में घूमने वाले आवारा कुत्तों के जख्म पर मरहम कोई नहीं लगाता. अगर ऐसे कुत्ते दिख जाएं तो अक्सर लोग उसे दौड़ाकर भगा देते हैं. लेकिन मेरठ के गंगानगर में रहने वाली सोनिया और उनके परिवार के लोग ऐसे बेसहारा कुत्तों के लिए बड़ा सहारा बन गए हैं. सोनिया और उनका परिवार पिछले 5 साल से इन बेजुबान जानवरों की सेवा कर रहा है. सोनिया न सिर्फ कुत्तों का डॉक्टर से इलाज कराती हैं बल्कि उसे अपने घर में आश्रय भी देती हैं. अब तो आलम यह है कि कभी पशु सेवा का मजाक उड़ाने वाले भी सोनिया की मदद करने आगे आ रहे हैं.

Dog lover Sonia
सोनिया के घर में 20 से अधिक स्ट्रीट डॉग्स ने इलाज के लिए शरण ले रखी है.
लोग कमेंट करते रहे, सेवा चलती रही : ईटीवी भारत से बातचीत में सोनिया ने बताया कि उन्होंने करीब पांच साल पहले इन बेजुबान स्ट्रीट डॉग्स को सहारा देने का बीड़ा उठाया. तब वह स्ट्रीट डॉग्स की सेवा करती थी तब घर के आसपास लोग पहले उनपर हंसते थे. तरह तरह के कमेंट तक भी करते थे कि कुत्तों के साथ रहती है , गंदे गंदे कुत्तों के साथ रहती है और न जाने क्या क्या. मगर वह मूक पशुओं का दर्द दूर करने के लिए अपने प्रयास में कोई कमी नहीं की. वह बताती हैं कि उनकी सेवा करके ईश्वरीय शक्ति का अनुभव होता है. घर को बनाया पशुओं का आश्रयस्थल : सोनिया की बहन रेणु ने बताया कि दो साल पहले सोनिया की एसएसबी में नौकरी लग गई, मगर परिवारवालों ने जख्मी बेजुबान स्ट्रीट डॉग्स की सेवा करना जारी रखा. अब तो आसपास के लोग जख्मी कुत्तों को देखकर उन्हें सूचना दे देते हैं. रेणु ने बताया कि भले ही सोनिया ड्यूटी पर रहें, उनके पास मदद के लिए फोन आते रहते हैं. जब भी उनकी फैमिली को ऐसे कुत्तों के बारे में सूचना मिलती है, उनका भाई उसे घर में बनाए आश्रय स्थल पर लाता है, जहां उसका ट्रीटमेंट किया जाता है. जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह भी ली जाती है.
Dog lover Sonia
सोनिया और उनका परिवार कुत्तों का इलाज भी करता है, इसके लिए वह डॉक्टर की मदद भी लेते हैं.
सरकारी नौकरी के साथ भी सेवा : सोनिया इस वक्त एसएसबी की ड्यूटी के तहत नेपाल इंडो बॉर्डर पर तैनात हैं. फिलहाल वह छुट्टी आई हुई हैं. वह कहती हैं कि पहले लोग उनपर हंसते थे, लेकिन अब जब वह लोग देखते हैं कि बेसहारा कुत्तों का कुनबा काफी बड़ा हो गया है तो वे अब समझने लगे हैं. मदद के लिए हाथ भी बढ़ने लगे हैं. दिन रात उनका परिवार के सभी लोग बेजुबान कुत्तों की सेवा में लगा रहता है. सोनिया ने बताया कि उनका अपनी नौकरी में मन नहीं लग रहा है. उन्हें ऐसे जीवों की सेवा करना चाहती है, जिनको कोई सहारा नहीं होता. वह इन बेजुबानों के लिए एक अस्पताल और एक आश्रय स्थल बनाना चाहती है. इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ने का मन बना लिया है.
Dog lover Sonia
उनके मुहल्ले के लोग बीमार कुत्तों के बारे सोनिया के परिवार को जानकारी देते हैं. साथ में मदद के लिए भी हाथ बढ़ाने लगे हैं.
अपाहिज कुत्ते बन जाते हैं फैमिली मेंबर : फिलहाल सोनिया का परिवार करीब 20 से 22 कुत्तों की देखभाल कर रहा है. जो कुत्ते इलाज के बाद ठीक हो जाते हैं, उन्हें उसी एरिया में फिर से छोड़ दिया जाता है जहां वह दुर्घटनाग्रस्त अवस्था में मिला होता है. जो स्ट्रीट डॉग्स ठीक नहीं हो पाते वह सोनिया के परिवार का हिस्सा बनकर साथ रहते हैं . उनके भोजन पानी की व्यवस्था परिवार करता है. सोनिया ने बताया कि काफी लोग उनकी दिनचर्या को देखकर अब तो राशन, ब्रेड, चावल या अन्य जरूरत का सामान भी उन्हें देकर जाने लगे हैं जिससे बेजुवानों के भोजन के इंतजाम में मदद हो जाती है.

पढ़ें : PPP Model Gaushalas : निवेश करने पर 30 एकड़ जमीन और 5000 देशी गाय उपलब्ध कराएगी सरकार

मेरठ : स्ट्रीट डॉग्स यानी गली मुहल्ले में घूमने वाले आवारा कुत्तों के जख्म पर मरहम कोई नहीं लगाता. अगर ऐसे कुत्ते दिख जाएं तो अक्सर लोग उसे दौड़ाकर भगा देते हैं. लेकिन मेरठ के गंगानगर में रहने वाली सोनिया और उनके परिवार के लोग ऐसे बेसहारा कुत्तों के लिए बड़ा सहारा बन गए हैं. सोनिया और उनका परिवार पिछले 5 साल से इन बेजुबान जानवरों की सेवा कर रहा है. सोनिया न सिर्फ कुत्तों का डॉक्टर से इलाज कराती हैं बल्कि उसे अपने घर में आश्रय भी देती हैं. अब तो आलम यह है कि कभी पशु सेवा का मजाक उड़ाने वाले भी सोनिया की मदद करने आगे आ रहे हैं.

Dog lover Sonia
सोनिया के घर में 20 से अधिक स्ट्रीट डॉग्स ने इलाज के लिए शरण ले रखी है.
लोग कमेंट करते रहे, सेवा चलती रही : ईटीवी भारत से बातचीत में सोनिया ने बताया कि उन्होंने करीब पांच साल पहले इन बेजुबान स्ट्रीट डॉग्स को सहारा देने का बीड़ा उठाया. तब वह स्ट्रीट डॉग्स की सेवा करती थी तब घर के आसपास लोग पहले उनपर हंसते थे. तरह तरह के कमेंट तक भी करते थे कि कुत्तों के साथ रहती है , गंदे गंदे कुत्तों के साथ रहती है और न जाने क्या क्या. मगर वह मूक पशुओं का दर्द दूर करने के लिए अपने प्रयास में कोई कमी नहीं की. वह बताती हैं कि उनकी सेवा करके ईश्वरीय शक्ति का अनुभव होता है. घर को बनाया पशुओं का आश्रयस्थल : सोनिया की बहन रेणु ने बताया कि दो साल पहले सोनिया की एसएसबी में नौकरी लग गई, मगर परिवारवालों ने जख्मी बेजुबान स्ट्रीट डॉग्स की सेवा करना जारी रखा. अब तो आसपास के लोग जख्मी कुत्तों को देखकर उन्हें सूचना दे देते हैं. रेणु ने बताया कि भले ही सोनिया ड्यूटी पर रहें, उनके पास मदद के लिए फोन आते रहते हैं. जब भी उनकी फैमिली को ऐसे कुत्तों के बारे में सूचना मिलती है, उनका भाई उसे घर में बनाए आश्रय स्थल पर लाता है, जहां उसका ट्रीटमेंट किया जाता है. जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह भी ली जाती है.
Dog lover Sonia
सोनिया और उनका परिवार कुत्तों का इलाज भी करता है, इसके लिए वह डॉक्टर की मदद भी लेते हैं.
सरकारी नौकरी के साथ भी सेवा : सोनिया इस वक्त एसएसबी की ड्यूटी के तहत नेपाल इंडो बॉर्डर पर तैनात हैं. फिलहाल वह छुट्टी आई हुई हैं. वह कहती हैं कि पहले लोग उनपर हंसते थे, लेकिन अब जब वह लोग देखते हैं कि बेसहारा कुत्तों का कुनबा काफी बड़ा हो गया है तो वे अब समझने लगे हैं. मदद के लिए हाथ भी बढ़ने लगे हैं. दिन रात उनका परिवार के सभी लोग बेजुबान कुत्तों की सेवा में लगा रहता है. सोनिया ने बताया कि उनका अपनी नौकरी में मन नहीं लग रहा है. उन्हें ऐसे जीवों की सेवा करना चाहती है, जिनको कोई सहारा नहीं होता. वह इन बेजुबानों के लिए एक अस्पताल और एक आश्रय स्थल बनाना चाहती है. इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ने का मन बना लिया है.
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उनके मुहल्ले के लोग बीमार कुत्तों के बारे सोनिया के परिवार को जानकारी देते हैं. साथ में मदद के लिए भी हाथ बढ़ाने लगे हैं.
अपाहिज कुत्ते बन जाते हैं फैमिली मेंबर : फिलहाल सोनिया का परिवार करीब 20 से 22 कुत्तों की देखभाल कर रहा है. जो कुत्ते इलाज के बाद ठीक हो जाते हैं, उन्हें उसी एरिया में फिर से छोड़ दिया जाता है जहां वह दुर्घटनाग्रस्त अवस्था में मिला होता है. जो स्ट्रीट डॉग्स ठीक नहीं हो पाते वह सोनिया के परिवार का हिस्सा बनकर साथ रहते हैं . उनके भोजन पानी की व्यवस्था परिवार करता है. सोनिया ने बताया कि काफी लोग उनकी दिनचर्या को देखकर अब तो राशन, ब्रेड, चावल या अन्य जरूरत का सामान भी उन्हें देकर जाने लगे हैं जिससे बेजुवानों के भोजन के इंतजाम में मदद हो जाती है.

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