मेरठ : एक ओर जहां कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है. वहीं सर्दी का मौसम आते ही शहर में वायु प्रदूषण भी बढ़ने लगा है. दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते इस बार की दिवाली भी प्रभावित हुई है. एनजीटी ने इस बार की दिवाली के मौके पर होने वाली आतिशबाजी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है. मेरठ वासियों ने एनजीटी के आदेश का न सिर्फ स्वागत किया है, बल्कि बिना पटाखों के दिवाली मनाने का फैसला लिया है. ईटीवी भारत ने मेरठ वासियों के बीच पहुंचकर बातचीत की, तो लोगों ने कोरोना और वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पटाखे नहीं चलाने की बात कही.
सर्दी का मौसम आते ही जहां दिवाली की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है, वहीं एनजीटी ने नई दिल्ली-एनसीआर समेत आसपास के कई जनपदों में पटाखे बेचने और चलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. जिसके चलते इतिहास में पहली बार मेरठ वासी बिना पटाखों की दिवाली मनाने जा रहे हैं. एनजीटी के आदेश के बाद जहां पटाखा कारोबारियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. वहीं धूम धड़ाके के साथ पटाखों के शौकीन बच्चों और युवाओं को भी जोर का झटका धीरे से लगा है.
बिना पटाखे मनाएंगे दिवाली
एनजीटी के आदेश पर दिल्ली-एनसीआर में रेड और ग्रीन दोनों प्रकार के पटाखों पर 30 नवंबर तक पूरी तरह से रोक लगाई गई है. एनजीटी के आदेश पर मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भी बिना पटाखों के दिवाली मनाने की तैयारी की गई है. जिले में महिलाओं और बच्चों ने पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए बिना पटाखे ही दिवाली मनाने की बात कही है. पटाखों के शौकीन बच्चों ने भी पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए पटाखों पर लगे बैन का स्वागत किया है.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मेरठ के लोगों ने कहा कि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए इस बार की दिवाली दीपक जलाने के साथ मिठाईयां बांट कर मनाएंगे लेकिन पटाखे नही चलाएंगे. पटाखे चलाने से वायु प्रदूषण फैलता है, जबकि दीये जलाने से रोशनी फैलती है. दीयों की रोशनी में आकर हानिकारक कीट-फतिंगे जलकर नष्ट हो जाते हैं. वहीं मिठाईयां बांटने से रिश्ते भी मधुर होते हैं. इसलिए इस दिवाली पर एनजीटी के आदेशों का पालन करते हुए मिठाईयां बांटेंगे.