मेरठ: सुप्रीम कोर्ट के वकीलों का प्रतिनिधिमंडल नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में हुई हिंसा में मारे गए लोगों के घर पहुंचा और परिजनों को सांत्वना दी. इस प्रतिनिधिमंडल में शिया धर्म गुरु मौलाना कासिम ज़ैदी और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील महमूद प्राचा भी मौजूद रहे.
'पुलिस ने लोगों पर चलाई गोली'
मीडिया से बातचीत के दौरान महमूद प्राचा ने कहा कि मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने सीधे लोगों पर गोलियां चलाई. साथ ही उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में उन्होंने एक कमेटी बनाई है, जोकि कानूनी प्रक्रिया से लेकर हर सम्भव मदद मृतकों के परिजनों की करेगी.
सरकार दे मुआवजा
वरिष्ठ वकील प्राचा ने एक बार फिर कहा कि मौजूदा हालातों को देखते हुए एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को शस्त्र का लाइसेंस ले लेना चाहिए. साथ ही उन्होंने सरकार से मारे गए लोगों के आश्रितों को एक-एक करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में देने की मांग की.
संविधान के अंतर्गत काम करता है प्रशासन
सीनियर वकील महमूद प्राचा ने स्पष्ट किया कि हिंसा के दिन अगर किसी भी अधिकारी की भूमिका गलत सामने आती है तो निश्चित तौर उनको नामजद कर कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी. हिंसा में हुए सरकारी नुकसान की भरपाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रशासन कोई भी कार्रवाई संविधान के अंतर्गत कर सकता है. मंत्री से लेकर संतरी तक संविधान में रहकर काम करेंगे.
एसपी सिटी के बयान की निंदा
एसपी सिटी द्वारा पाकिस्तान चले जाने के बयान की निंदा करते हुए वरिष्ठ वकील प्राचा ने कहा कि कोई भी अधिकारी जो कि ज़िम्मेदार पद पर है. इस तरह की बातें नही कर सकता. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एसपी सिटी द्वारा इस तरह की बातें कही गई.
वहीं मृतकों के परिजनों ने बताया कि उनसे मिलने आए प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें कानूनी लड़ाई लड़कर न्याय दिलाने का भरोसा दिया है. उनसे ही अब उम्मीद है.