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नहरों में नहीं पानी, सूख रही फसल...कुछ ऐसा है श्रम कल्याण परिषद के चेयरमैन का गांव

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में फसलों की सिंचाई के लिए नहर का पानी तक नहीं मिल रहा है. ऐसे में किसानों की फसलें सिंचाई के अभाव में सूख रही हैं. कमोवेश यही समस्या श्रम कल्याण परिषद के चेयरमैन सुनील भराला के गांव में भी है.

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Published : Jun 13, 2020, 8:30 PM IST

Updated : Jun 13, 2020, 9:09 PM IST

सिचाईं के अभाव में सूख रही फसल.
सिचाईं के अभाव में सूख रही फसल.

मेरठ: सरकार ने भले ही किसानों का लगान माफ कर दिया हो, लेकिन फसलों की सिंचाई के लिए नहर का पानी नहीं मिल रहा है. वहीं कई गांव ऐसे भी हैं, जहां माइनर का पानी टेल तक नहीं पहुंच रहा है. ऐसे में किसानों की फसलें सिंचाई के अभाव में सूख रही हैं. इतना ही नहीं यही हाल श्रम कल्याण परिषद के चेयरमैन पंडित सुनील भराला के गांव में भी है. जहां किसान माइनर में नहर का पानी न आने से बेहद परेशान हैं.

भराला-खनौदा माइनर के आसपास कई गांवों को नहर का पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जाता है. इन गांवों में भराला के अलावा खनौदा और इकलौता गांव भी शामिल है, लेकिन स्थिति यह है कि माइनर में पानी ठीक से भराला गांव के खेतों की सिंचाई के लिए भी नहीं मिल रहा है. सिवाया झाल से निकले इस माइनर का पानी भराला गांव तक पहुंचते-पहुंचते खत्म हो जाता है.

गांव के किसान माइनर में पानी न होने की वजह से किसान अपनी फसलों की सिंचाई भी नहीं कर पा रहे हैं. भराला गांव प्रदेश के श्रम कल्याण परिषद के चेयरमैन पंडित सुनील भराला का है. किसानों का कहना है कि पिछले दो साल से इस माइनर में ठीक से पानी नहीं आ रहा है. माइनर की ठीक से सफाई भी नहीं कराई गई है. अधिकारियों से कहा भी गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. गांव के जनप्रतिनिधियों के सामने भी समस्या रखी गई, लेकिन अब तक समाधान नहीं हुआ.

ये भी पढ़ें- CM योगी ने 10 लाख श्रमिकों के खाते में भेजे 1 हजार रुपये

भराला गांव के किसान देवेंद्र ने बताया कि दो साल से गांव के इस माइनर में नहर का पानी नहीं आ रहा है. फसलों को सूखने से बचाने के लिए ट्यूबवेल के पानी से सिंचाई करनी पड़ती है, जो किसानों को महंगी पड़ रही है. किसान सोमबीर का कहना है कि नहर का पानी आ जाए तो किसानों को राहत मिले. कोई भी किसानों की समस्याओं को सुनने को तैयार नहीं है.

वहीं युवा किसान अंकित सिवाच की मानें तो जब तक माइनर की सफाई नहीं होगी तब तक पानी नहीं आएगा. यहां जिस कर्मचारी की ड्यूटी लगी है, वह कभी दिखाई नहीं देता. जो थोड़ी बहुत माइनर की सफाई होती है, वो किसान खुद ही करते हैं. मजबूरी में किसानों को ट्यूबवेल से पानी खरीदकर सिंचाई करनी पड़ रही है. जिस रजवाहे से यह माइनर निकला है, उससे एक दर्जन से अधिक गांव जुड़े हैं. ट्यूबवेल का पानी महंगा होने की वजह से किसानों की लागत बढ़ रही है, जिससे फसल की लागत भी ठीक से नहीं निकल पाती है.

श्रम कल्याण परिषद के चेयरमैन पंडित सुनील भराला ने कहा कि टेल तक माइनर का पानी नहीं पहुंच रहा है. इस संबंध में सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर से बात की जाएगी. हमारी सरकार की प्राथमिकता है कि किसानों को किसी तरह की परेशानी न होने पाए. किसानों की समस्या का समाधान करना हमारा राजधर्म है. सिंचाई के लिए माइनर में पानी उपलब्ध कराने की व्यवस्था कराई जाएगी.

मेरठ: सरकार ने भले ही किसानों का लगान माफ कर दिया हो, लेकिन फसलों की सिंचाई के लिए नहर का पानी नहीं मिल रहा है. वहीं कई गांव ऐसे भी हैं, जहां माइनर का पानी टेल तक नहीं पहुंच रहा है. ऐसे में किसानों की फसलें सिंचाई के अभाव में सूख रही हैं. इतना ही नहीं यही हाल श्रम कल्याण परिषद के चेयरमैन पंडित सुनील भराला के गांव में भी है. जहां किसान माइनर में नहर का पानी न आने से बेहद परेशान हैं.

भराला-खनौदा माइनर के आसपास कई गांवों को नहर का पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जाता है. इन गांवों में भराला के अलावा खनौदा और इकलौता गांव भी शामिल है, लेकिन स्थिति यह है कि माइनर में पानी ठीक से भराला गांव के खेतों की सिंचाई के लिए भी नहीं मिल रहा है. सिवाया झाल से निकले इस माइनर का पानी भराला गांव तक पहुंचते-पहुंचते खत्म हो जाता है.

गांव के किसान माइनर में पानी न होने की वजह से किसान अपनी फसलों की सिंचाई भी नहीं कर पा रहे हैं. भराला गांव प्रदेश के श्रम कल्याण परिषद के चेयरमैन पंडित सुनील भराला का है. किसानों का कहना है कि पिछले दो साल से इस माइनर में ठीक से पानी नहीं आ रहा है. माइनर की ठीक से सफाई भी नहीं कराई गई है. अधिकारियों से कहा भी गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. गांव के जनप्रतिनिधियों के सामने भी समस्या रखी गई, लेकिन अब तक समाधान नहीं हुआ.

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भराला गांव के किसान देवेंद्र ने बताया कि दो साल से गांव के इस माइनर में नहर का पानी नहीं आ रहा है. फसलों को सूखने से बचाने के लिए ट्यूबवेल के पानी से सिंचाई करनी पड़ती है, जो किसानों को महंगी पड़ रही है. किसान सोमबीर का कहना है कि नहर का पानी आ जाए तो किसानों को राहत मिले. कोई भी किसानों की समस्याओं को सुनने को तैयार नहीं है.

वहीं युवा किसान अंकित सिवाच की मानें तो जब तक माइनर की सफाई नहीं होगी तब तक पानी नहीं आएगा. यहां जिस कर्मचारी की ड्यूटी लगी है, वह कभी दिखाई नहीं देता. जो थोड़ी बहुत माइनर की सफाई होती है, वो किसान खुद ही करते हैं. मजबूरी में किसानों को ट्यूबवेल से पानी खरीदकर सिंचाई करनी पड़ रही है. जिस रजवाहे से यह माइनर निकला है, उससे एक दर्जन से अधिक गांव जुड़े हैं. ट्यूबवेल का पानी महंगा होने की वजह से किसानों की लागत बढ़ रही है, जिससे फसल की लागत भी ठीक से नहीं निकल पाती है.

श्रम कल्याण परिषद के चेयरमैन पंडित सुनील भराला ने कहा कि टेल तक माइनर का पानी नहीं पहुंच रहा है. इस संबंध में सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर से बात की जाएगी. हमारी सरकार की प्राथमिकता है कि किसानों को किसी तरह की परेशानी न होने पाए. किसानों की समस्या का समाधान करना हमारा राजधर्म है. सिंचाई के लिए माइनर में पानी उपलब्ध कराने की व्यवस्था कराई जाएगी.

Last Updated : Jun 13, 2020, 9:09 PM IST
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