मेरठ: जिले के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोरोना संक्रमित युवा लैब टेक्नीशियन अंशुल की इलाज के अभाव में मौत हो गई. मरने से पहले अंशुल ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. वीडियो ने मेडिकल कॉलेज की असंवेदनशीलता की पोल खोलकर रख दी है. 32 वर्षीय लैब टेक्नीशियन अपने इलाज की गुहार लगाता रहा. उसे न ऑक्सीजन मिली और न ही इलाज मिला.
इलाज के अभाव में लैब टेक्नीशियन की मौत
32 वर्षीय अंशुल कुमार अब्दुल्लापुर स्वास्थ्य केंद्र में लैब टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत था. मरीजों की जांच करते हुए वह कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गया. अंशुल को 15 अप्रैल को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. यहां अंशुल का सही तरीके से इलाज नहीं किया गया. कोविड वार्ड में भर्ती अंशुल दो दिन तक डॉक्टर का इंतजार करता रहा, लेकिन कोई उसे देखने तक नहीं आया. सही इलाज और ऑक्सीजन न मिलने से स्वास्थ्यकर्मी की मौत हो गई.
मरने से पहले का वीडियो हुआ वायरल
अपनी मौत से पहले अंशुल ने रविवार को एक वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. वीडियो में अंशुल कह रहा है कि 'ये मेरे जैसे स्वास्थ्यकर्मी का इलाज नहीं कर रहे हैं, तो आम आदमी की क्या हालत होती होगी. स्टाफ आते हैं और पल्स देखकर चले जाते हैं. कोई दवा और इंजेक्शन नहीं दिया जा रहा है'. वीडियो में स्वास्थ्यकर्मी अंशुल का दर्द साफ दिख रहा है.
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18 अप्रैल को दी गई पहली खुराक
लैब टेक्नीशन की मौत के बाद सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन ने बताया कि 18 अप्रैल को उसे पहली बार दवा दी गई थी. जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. प्रवीण गौतम ने मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से उसका इलाज करने के निर्देश दिए थे. इस दौरान एक दिन रेमडेसिविर इंजेक्शन भी लगाया गया था. वहीं टेक्नीशियन के साथियों का आरोप है कि बाद में अंशुल की देखभाल नहीं की गई और न ही ऑक्सीजन दी गई. इलाज और ऑक्सीजन के अभाव में अंशुल ने दम तोड़ दिया.
जांच में जुटा मेडिकल प्रशासन
इस मामले में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि कोविड मरीजों की सीसीटीवी से नियमित मॉनिटरिंग हो रही है. वायरल वीडियो की जांच कराई जा रही है. कोविड वार्ड से उसकी मौत की वजह की रिपोर्ट भी तलब की गई है. जांच के बाद ही उचित कार्रवाई की जाएगी.