मेरठ: जिले के अम्हेडा आदिपुर में पिछले साल एक भी ग्रामीण में कोरोना संक्रमण नहीं मिला था, लेकिन इस बार पंचायत चुनाव के बाद हर तीसरे घर में कोरोना फैला हुआ है. गांव में कई कोविड मरीजों की मौत हो चुकी है. इससे गांव की गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ है. ग्रामीणों ने एक दूसरे के घर आना-जाना छोड़ दिया है. आरोप है कि पंचायत चुनाव के बाद ही कोरोना वायरस गांव में फैला है. ग्रामणों का कहना है कि मतदान के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाया. साथ ही मतदान कर्मियों से संक्रमण फैलने का आरोप लगाया गया है.
चुनाव ड्यूटी से लौटे कर्मचारियों की हुई मौत
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में चुनाव ड्यूटी से लौटे 600 से ज्यादा सरकारी अध्यापकों, 100 से ज्यादा अन्य विभाग के कर्मचारियों, पुलिस कर्मियों की मौत चुकी है. जबकि हजारों की तादात में कोरोना से जंग लड़ रहे हैं. गांव की सरकार के इस चुनाव के बाद गांवों में कोरोना का कहर लगातार फैलता जा रहा है.
पंचायत चुनाव के बाद फैल रहा कोरोना
पंचायत चुनाव के बाद मेरठ जिले के हर गांवों से कोरोना संक्रमण फैलता जा रहा है. विकास खंड रजपुरा इलाके के अम्हेडा आदिपुर गांव की बात करें तो यहां पिछले 7 दिनों में 7 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि बड़ी संख्या में लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ रही है. इससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत चुनाव के बाद कोरोना संक्रमण फैल रहा है. प्रशासन के साथ-साथ मतदाताओं की लापरवाही से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ी है.
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वीरान पड़े स्वास्थ्य केंद्र
शासन, प्रशासन का दावा है कि कोरोना टेस्टिंग और वैक्सीनेशन का कार्य सीएचसी और पीएचसी पर किया जा रहा है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में 70 फीसदी से ज्यादा स्वास्थ्य केंद्र वीरान पड़े हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में लाखों की लागत से स्वास्थ्य केंद्र बना हुआ है, लेकिन यहां कोई डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ नहीं आता. कोरोना संकट में भी स्वास्थ्य केंद्रों पर वैक्सीन और टेस्टिंग के दावे भी फैल हो रहे हैं. ऐसे में गांवों और ग्रामीणों का भगवान ही रखवाला है.
गांवों में पसरा सन्नाटा
ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण की दस्तक से न सिर्फ दशहत का माहौल बना हुआ है. बल्कि गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ है. खेती करने वाले ग्रामीण किसान भी अब अपने घरों में दुबकने को मजबूर हो गए हैं. गांव की गलियों में इक्का-दुक्का, वही लोग नजर आ रहे हैं, जिन्हें बहुत जरूरी काम के लिए घर से निकलना पड़ रहा है. ग्रामीणों के मुताबिक गांव के हर तीसरे घर में कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. कई घर तो ऐसे भी हैं, जहां पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आया हुआ है. हर वर्ग के लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई.
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गांव में नहीं पहुंच रही सरकारी मदद
गांव के प्रधान पति रॉबिन सिवाच ने बताया कि पंचायत चुनावों के बाद से कोरोना के मामलों में वृद्धि हुई है और बाकि कसर स्वास्थ्य विभाग ने पूरी कर दी. प्रधान पति ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग ने गांव में न तो कभी सैनिटाइजेशन कराया और न ही होम आइसोलेशन में भर्ती मरीजों की मदद की है. गांव की करीब 4555 मतदाता और आबादी 8000 से ज्यादा है. जिसमें से काफी लोग संक्रमित हो चुके हैं. कई घर तो ऐसे भी हैं जिनका हर सदस्य संक्रमित है. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग की और से कोई मदद नहीं की जा रही है. लोग कोरोना के डर से खुद ही घरों में छिपकर कर बैठ गए हैं.