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...यहां एकलव्य की तरह तीरंदाजी सीख रहे भविष्य के अर्जुन

उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक छोटे से गांव में बिना गुरु के बच्चे तीरंदाजी सीख रहे हैं. बच्चों का हुनर ऐसा कि कुछ खिलाड़ी प्रदेश स्तर तक अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं.

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बिन गुरू के तीरंदाजी सीख रहे बच्चे
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Published : Feb 25, 2020, 1:22 PM IST

मेरठ: कहा जाता है कि जब मन में कुछ सीखने की ललक हो, तो इंसान हर मुमकिन प्रयास करता है. जिले के एक गांव में कुछ ऐसा ही देखने को मिला. जिस तरह एकलव्य ने बिना गुरु के ही अर्जुन की तरह कुशल तीरंदाजी सीखी, ठीक उसी तरह मेरठ जिले के एक छोटे से गांव टिकरी में कुछ बच्चे बिना गुरु के ही तीरंदाजी सीख रहे हैं. इनमें से कुछ खिलाड़ी प्रदेश स्तर तक अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं.

एकलव्य की तरह तीरंदाजी सीख रहे भविष्य के अर्जुन.


जिले के टिकरी गांव के पास ही गुरुकुल प्रभात आश्रम है. इस आश्रम के बच्चे प्रशिक्षित कोच से तीरंदाजी सीखते हैं. आश्रम के बच्चे तीरंदाजी में ओलंपिक तक खेल चुके हैं. वहीं इस आश्रम से चंद कदम की दूरी पर जाहरवीर आर्चरी है. इस आर्चरी में तीरंदाजी सीख रहे बच्चों का कोई प्रशिक्षित गुरु नहीं है. एक सीनियर खिलाड़ी यहां खुद प्रैक्टिस करता है और आसपास के गांवों से आने वाले बच्चों को भी तीरंदाजी सिखाता है. इस खिलाड़ी का नाम आकाश शर्मा है.

4 साल से सीख रहे हैं आकाश तीरंदाजी
आकाश शर्मा करीब 4 साल से तीरंदाजी सीख रहे हैं. पहले वे शहर के कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में तीरंदाजी सीखने के लिए जाते थे, लेकिन गांव से शहर की दूरी अधिक होने की वजह से वह पूरा समय अपनी प्रैक्टिस पर नहीं दे पाते थे. इसके बाद उन्होंने अपने गांव में अपने खेत में ही अपना टारगेट बनाया और उस पर तीर से निशाना साधना शुरू किया. अब उनके साथ गांव के अलावा आसपास के अन्य गांवों से भी करीब 15 बच्चे तीरंदाजी सीख रहे हैं.

बच्चों की उम्र 8 से 20 साल है
तीरअंदाजी सीख रहे बच्चों की उम्र 8 साल से 20 वर्ष की है. यह बच्चे यहां प्रैक्टिस कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं. तीन बच्चे वर्तमान में कोलकाता स्थित साईं सेंटर में अपने देश का नाम रोशन करने की तैयारी कर रहे हैं.

आकाश शर्मा का कहना है कि यहां बच्चे अपनी पूरी निष्ठा के साथ खेल पर फोकस करते हैं. सभी बच्चे अपने संसाधनों के साथ यहां आकर प्रैक्टिस करते हैं. साथ ही इन बच्चों को परिजनों का भी पूरा सहयोग मिलता है.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: विधान परिषद में गूंजा अलीगढ़ हिंसा का मामला, विपक्ष ने कानून व्यवस्था पर सरकार को घेरा

मेरठ: कहा जाता है कि जब मन में कुछ सीखने की ललक हो, तो इंसान हर मुमकिन प्रयास करता है. जिले के एक गांव में कुछ ऐसा ही देखने को मिला. जिस तरह एकलव्य ने बिना गुरु के ही अर्जुन की तरह कुशल तीरंदाजी सीखी, ठीक उसी तरह मेरठ जिले के एक छोटे से गांव टिकरी में कुछ बच्चे बिना गुरु के ही तीरंदाजी सीख रहे हैं. इनमें से कुछ खिलाड़ी प्रदेश स्तर तक अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं.

एकलव्य की तरह तीरंदाजी सीख रहे भविष्य के अर्जुन.


जिले के टिकरी गांव के पास ही गुरुकुल प्रभात आश्रम है. इस आश्रम के बच्चे प्रशिक्षित कोच से तीरंदाजी सीखते हैं. आश्रम के बच्चे तीरंदाजी में ओलंपिक तक खेल चुके हैं. वहीं इस आश्रम से चंद कदम की दूरी पर जाहरवीर आर्चरी है. इस आर्चरी में तीरंदाजी सीख रहे बच्चों का कोई प्रशिक्षित गुरु नहीं है. एक सीनियर खिलाड़ी यहां खुद प्रैक्टिस करता है और आसपास के गांवों से आने वाले बच्चों को भी तीरंदाजी सिखाता है. इस खिलाड़ी का नाम आकाश शर्मा है.

4 साल से सीख रहे हैं आकाश तीरंदाजी
आकाश शर्मा करीब 4 साल से तीरंदाजी सीख रहे हैं. पहले वे शहर के कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में तीरंदाजी सीखने के लिए जाते थे, लेकिन गांव से शहर की दूरी अधिक होने की वजह से वह पूरा समय अपनी प्रैक्टिस पर नहीं दे पाते थे. इसके बाद उन्होंने अपने गांव में अपने खेत में ही अपना टारगेट बनाया और उस पर तीर से निशाना साधना शुरू किया. अब उनके साथ गांव के अलावा आसपास के अन्य गांवों से भी करीब 15 बच्चे तीरंदाजी सीख रहे हैं.

बच्चों की उम्र 8 से 20 साल है
तीरअंदाजी सीख रहे बच्चों की उम्र 8 साल से 20 वर्ष की है. यह बच्चे यहां प्रैक्टिस कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं. तीन बच्चे वर्तमान में कोलकाता स्थित साईं सेंटर में अपने देश का नाम रोशन करने की तैयारी कर रहे हैं.

आकाश शर्मा का कहना है कि यहां बच्चे अपनी पूरी निष्ठा के साथ खेल पर फोकस करते हैं. सभी बच्चे अपने संसाधनों के साथ यहां आकर प्रैक्टिस करते हैं. साथ ही इन बच्चों को परिजनों का भी पूरा सहयोग मिलता है.

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