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सपा की तरफ से चौधरी जयंत सिंह को मिला राज्यसभा का टिकट, आगे भी साथ रहने के संकेत हुए साफ

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Published : May 26, 2022, 9:50 PM IST

राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह अब राज्यसभा जा रहे हैं. सपा की तरफ से जयंत सिंह के नाम पर सहमति बनी है. इस निर्णय के बाद राष्ट्रीय लोकदल में खुशी का माहौल है. वहीं, समाजवादी पार्टी के नेता भी अपने नेता के निर्णय का स्वागत कर रहे हैं.

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चौधरी जयंत सिंह

मेरठः राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया चौधरी जयंत सिंह को राज्यसभा भेजने का समाजवादी पार्टी मन बना चुकी है. पार्टी मुखिया अखिलेश यादव द्वार एक कदम आगे बढ़कर लिए गए इस निर्णय ने निश्चित ही परिपक्वता का उदाहरण पेश किया है. वहीं, संकेत भी दे दिए हैं कि आगे भी सपा और रालोद साथ-साथ हैं. अब पश्चिमी यूपी में सत्ताधारी दल बीजेपी से ये दोनों युवा डबल जोश से मुकाबला करने का मन बनाते नजर आ रहे हैं. क्या ये गठबंधन अटूट गठबंधन बन गया है जानने के लिए पढ़िए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट.

पश्चिमी यूपी में भाजपा को रोकने के लिए अखिलेश ने राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह से विधानसभा चुनावों से पहले हाथ मिलाया था. तब तरह-तरह की बातें विपक्ष की तरफ से उठी थी. उस वक्त खुद बीजेपी के नेताओं ने रालोद और सपा के गठबंधन को बेमेल गठबंधन बताया था. तरह-तरह की चर्चाएं हुई थीं, लेकिन दोनों पार्टियों के नेताओं की लीडरशिप ने पश्चिम में अपनी पकड़ पहले से मजबूत की. विधानसभा चुनाव में रालोद यहां 8 विधायक जीतने में कामयाब रही तो वहीं सपा का भी प्रदर्शन पहले से बेहतर रहा. लेकिन बीजेपी ने बढ़त के साथ-साथ सरकार भी बना ली. वहीं, सपा और रालोद का प्रदर्शन भी संतोषजनक रहा.

राष्ट्रीय लोकदल पार्टी

कयास लगाए जा रहे थे कि रालोद मुखिया जयंत को अखिलेश यादव राज्यसभा भेजने में सहयोग करेंगे, अब आज इस पर मुहर भी लग गई. इसके बाद यूपी में अब स्पष्ट संदेश जा चुका है कि अखिलेश यादव को अपने सहयोगियों का साथ पसंद है और वे इस साथ को लगातार करना चाहते हैं.

पढ़ेंः "ये बजट नहीं बंटवारा है, सरकारी विभागों का वारा-न्यारा है"

ईटीवी भारत ने इस बारे में राष्ट्रीय लोकदल के सीनियर नेताओं से बात की. वहीं, समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर्स की भी प्रतिक्रिया ली. पूर्व कैबिनेट मंत्री व समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में शुमार किठौर से विधायक शाहिद मंजूर का कहना है कि जयंत सिंह को राज्यसभा भेजे जाने के लिए पार्टी मुखिया अखिलेश यादव के निर्णय का वे स्वागत करते हैं. वे कहते हैं कि ये बेहद ही स्वागतयोग्य कदम है.

राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता रोहित जाखड़ का कहना है कि ये बहुत ही हर्ष का विषय है कि चौधरी जयंत सिंह राज्यसभा के सदस्य बनने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि गठबंधन को लेकर कहा जाता था कि गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल को दरकिनार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ये उन सभी का जवाब है जो गठबंधन को लेकर तरह-तरह की बात करते थे, उनका इशारा बीजेपी की तरफ था.

राष्ट्रीय लोकदल के सीनियर लीडर यशवीर सिंह का कहना है कि उनके नेता जयंत सिंह लोकसभा चुनाव लड़कर ही संसद जाना चाहते थे. लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष के फैसले का वे स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पश्चिमी यूपी में ही नहीं बल्कि पूरे यूपी में इसके सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे.

पढ़ेंः "ये बजट नहीं बंटवारा है, सरकारी विभागों का वारा-न्यारा है"

इस बारे में वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रभात कुमार रॉय का कहना है कि जयंत सिंह एक मजबूत शख्सियत के तौर पर उभर कर आए हैं और वे भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के वारिस हैं. उन्होंने कहा कि शुरू-शुरू में कुछ हिचक लग रही थी. लेकिन जयंत की उपेक्षा अखिलेश नहीं कर सके. विश्लेषक प्रभात कुमार रॉय ने कहा कि जयंत का निर्णय समसामयिक है और राजनीतिक दृष्टि से बहुत सही निर्णय है. वे कहते हैं कि अगर अखिलेश पश्चिम को अपने साथ जोड़े रखना चाहते हैं तो राष्ट्रीय लोकदल सुप्रीमो को महत्व देना बेहद ही उचित था.

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मेरठः राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया चौधरी जयंत सिंह को राज्यसभा भेजने का समाजवादी पार्टी मन बना चुकी है. पार्टी मुखिया अखिलेश यादव द्वार एक कदम आगे बढ़कर लिए गए इस निर्णय ने निश्चित ही परिपक्वता का उदाहरण पेश किया है. वहीं, संकेत भी दे दिए हैं कि आगे भी सपा और रालोद साथ-साथ हैं. अब पश्चिमी यूपी में सत्ताधारी दल बीजेपी से ये दोनों युवा डबल जोश से मुकाबला करने का मन बनाते नजर आ रहे हैं. क्या ये गठबंधन अटूट गठबंधन बन गया है जानने के लिए पढ़िए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट.

पश्चिमी यूपी में भाजपा को रोकने के लिए अखिलेश ने राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह से विधानसभा चुनावों से पहले हाथ मिलाया था. तब तरह-तरह की बातें विपक्ष की तरफ से उठी थी. उस वक्त खुद बीजेपी के नेताओं ने रालोद और सपा के गठबंधन को बेमेल गठबंधन बताया था. तरह-तरह की चर्चाएं हुई थीं, लेकिन दोनों पार्टियों के नेताओं की लीडरशिप ने पश्चिम में अपनी पकड़ पहले से मजबूत की. विधानसभा चुनाव में रालोद यहां 8 विधायक जीतने में कामयाब रही तो वहीं सपा का भी प्रदर्शन पहले से बेहतर रहा. लेकिन बीजेपी ने बढ़त के साथ-साथ सरकार भी बना ली. वहीं, सपा और रालोद का प्रदर्शन भी संतोषजनक रहा.

राष्ट्रीय लोकदल पार्टी

कयास लगाए जा रहे थे कि रालोद मुखिया जयंत को अखिलेश यादव राज्यसभा भेजने में सहयोग करेंगे, अब आज इस पर मुहर भी लग गई. इसके बाद यूपी में अब स्पष्ट संदेश जा चुका है कि अखिलेश यादव को अपने सहयोगियों का साथ पसंद है और वे इस साथ को लगातार करना चाहते हैं.

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ईटीवी भारत ने इस बारे में राष्ट्रीय लोकदल के सीनियर नेताओं से बात की. वहीं, समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर्स की भी प्रतिक्रिया ली. पूर्व कैबिनेट मंत्री व समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में शुमार किठौर से विधायक शाहिद मंजूर का कहना है कि जयंत सिंह को राज्यसभा भेजे जाने के लिए पार्टी मुखिया अखिलेश यादव के निर्णय का वे स्वागत करते हैं. वे कहते हैं कि ये बेहद ही स्वागतयोग्य कदम है.

राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता रोहित जाखड़ का कहना है कि ये बहुत ही हर्ष का विषय है कि चौधरी जयंत सिंह राज्यसभा के सदस्य बनने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि गठबंधन को लेकर कहा जाता था कि गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल को दरकिनार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ये उन सभी का जवाब है जो गठबंधन को लेकर तरह-तरह की बात करते थे, उनका इशारा बीजेपी की तरफ था.

राष्ट्रीय लोकदल के सीनियर लीडर यशवीर सिंह का कहना है कि उनके नेता जयंत सिंह लोकसभा चुनाव लड़कर ही संसद जाना चाहते थे. लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष के फैसले का वे स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पश्चिमी यूपी में ही नहीं बल्कि पूरे यूपी में इसके सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे.

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इस बारे में वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रभात कुमार रॉय का कहना है कि जयंत सिंह एक मजबूत शख्सियत के तौर पर उभर कर आए हैं और वे भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के वारिस हैं. उन्होंने कहा कि शुरू-शुरू में कुछ हिचक लग रही थी. लेकिन जयंत की उपेक्षा अखिलेश नहीं कर सके. विश्लेषक प्रभात कुमार रॉय ने कहा कि जयंत का निर्णय समसामयिक है और राजनीतिक दृष्टि से बहुत सही निर्णय है. वे कहते हैं कि अगर अखिलेश पश्चिम को अपने साथ जोड़े रखना चाहते हैं तो राष्ट्रीय लोकदल सुप्रीमो को महत्व देना बेहद ही उचित था.

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