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बदहाली के आंसू बहा रहा मेरठ का ये रैन बसेरा

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Published : Dec 27, 2020, 2:34 PM IST

मेरठ के बच्चा पार्क चौराहे पर बनाया गया रैन बसेरा न सिर्फ बदहाली के आंसू बहा रहा है, बल्कि सीएम योगी के दावों की भी पोल खोल रहा है. रैन बसेरे में असहाय लोगों के लिए लगाए बिस्तर, रजाई-गद्दे खराब हो चुके हैं. देखिए ये रिपोर्ट-

रैन बसेरे की हालत खराब.
रैन बसेरे की हालत खराब.

मेरठ: एक ओर सीएम योगी आदित्यनाथ ने सर्दी के मौसम में गरीब व असहायों के लिए रैन बसेरों की व्यवस्था के दावे किए, वहीं मेरठ के बच्चा पार्क चौराहे पर बनाया गया रैन बसेरा न सिर्फ बदहाली के आंसू बहा रहा है, बल्कि सीएम योगी के दावों की भी पोल खोल रहा है. रैन बसेरे में असहाय लोगों के लिए लगाए बिस्तरे, रजाई-गद्दे खराब हो चुके हैं. सर्दी की रात में ठंड से बचने के लिए यहां आने वाले लोग टूटे हुए तख्त पर सोने को मजबूर हैं.

रैन बसेरे में लगा बिस्तर.
रैन बसेरे में लगा बिस्तर.

यहां लकड़ी के बनाए गए तख्त इतनी जर्जर हालत में है कि कभी भी टूट कर जमीन पर गिर सकते हैं. रजाई, गद्दों में धूल-मिट्टी भरी हुई है. रैन बसेरे की निगरानी के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे भी खराब होकर धूल फांक रहे हैं. उधर, नगरायुक्त रैन बसेरों में बिस्तर, चारपाई समेत जरूरी व्यवस्था करने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं.

रैन बसेरे में आया शरणार्थी.
रैन बसेरे में आया शरणार्थी.
रैन बसेरों में शासन आदेश की उड़ रही धज्जियां

बता दें कि नवंबर महीने के अंत में सीएम योगी ने प्रदेश के सभी शहरों में गरीब व जरूरतमंदों के लिए रैन बसेरे चालू करने के निर्देश दिए थे, लेकिन मेरठ शहर में शासन के आदेश की धज्जियां उड़ती नजर आ रही हैं. सीएम योगी के आदेश पर रैन बसेरे तो चालू कर दिए गए, लेकिन ठंड से बचने के लिए बिस्तरों की कोई व्यवस्था नहीं की गई. रैन बसेरे में फटे पुराने बिस्तर टूटे हुए लकड़ी के तख्तों पर डालकर महज खानापूर्ति की गई है. नगर निगम अधिकारी शासन आदेश के बाद भी रैन बसेरों में रात्रि विश्राम की सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाए हैं.

बदहाली के आंसू बहा रहा रैन बसेरा.

ETV भारत के रियल्टी चेक में खुली पोल

ETV भारत की टीम ने मेरठ शहर के नगर निगम द्वारा चलाये गए रैन बसेरे का रियल्टी चेक किया. वहां रुकने वाले बेसहारा शरणार्थियों से बात की गई, तब जाकर नगर निगम के दावों की पोल खुलकर सामने आई. दरअसल, यहां रैन बसेरों में लगाए गए बिस्तर बहुत पुराने हैं, जिनमें सर्दी से बचना मुश्किल है. महज कवर से ढकी रजाइयों में लगी रुई टूट कर बाहर निकल रही है. रजाइयों में गर्माहट तो दूर, हवा भी नहीं रुक पा रही है. रैन बसेरे में रुकने वाले शरणार्थियों को ठंड से जूझना पड़ रहा है.

रैन बसेरे में टूटे बिस्तर.
रैन बसेरे में टूटे बिस्तर.

टूटे पड़े तख्त, निकल रही कील

रैन बसेरे में नगर निगम द्वारा लगाए गए तख्त टूटे पड़े हैं. इतना ही नहीं लकड़ी में दीमक लगी हुई है और लकड़ी टूट कर कील बाहर निकली हुई है. जो कभी भी तख्त पर सोने वाले शरणार्थी को जख्मी कर सकती है. इसके अलावा यहां लगाए गए सीसीटीवी कैमरे भी खराब होकर डीवीआर के इंतजार में धूल फांक रहे हैं. रैन बसेरे के हालात की ये तस्वीरें इस बात की तस्दीक करने के लिए काफी है.

बदहाली में रह रहे शरणार्थी.
बदहाली में रह रहे शरणार्थी.

रैन बसेरे में ये बिस्तर बहुत पुराने हो चुके हैं. इनमें धूल मिट्टी भरी हुई है. बिस्तरों धुलाई कब हुई थी इसका भी कुछ पता नहीं है. टूटे हुए तख्त और बिस्तरों के लिए कई बार नगर निगम अधिकारियों लिखित में अवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक रैन बसेरों में नए तख्त आना तो दूर बिस्तरों के नए कवर भी नहीं आये हैं. पिछले 10 महीनों से वेतन भी नहीं मिल पाया है, बावजूद इसके कड़ाके की ठंड में रैन बसेरे की देखभाल कर रहें हैं.

-सुधांशु, रैन बसेरे के केयर टेकर

मेरठ शहर में कुल 12 रैन बसेरे चलाये गए हैं. नवंबर महीने के शुरुआत में भी सभी रैन बसेरों का निरीक्षण किया गया था. रैन बसेरों में रजाई-गद्दों, कंबल और तख्तों को लेकर मिली खामियों को दूर करने के निर्देश दिए गए हैं. सभी रैन बसेरों के लिए नए रजाई-गद्दे और तख्त खरीद कर रखवा दिए गए हैं. वर्तमान में जितने भी पुराने गद्दे और टूटे हुए तख्त हैं, उनको जल्द ही हटवा कर नए रखवा दिए जाएंगे. 12 रैन बसेरों के अलावा शहर भर में 50 से ज्यादा स्थानों पर अलाव की व्यवस्था की गई है. सभी रैन बसेरों में सुबह शाम के लिए केयर टेकर लगा दिए गए हैं. केयर टेकर समेत सबन्धित अधिकारियों को समस्त व्यवस्थाएं करने के निर्देश दे दिए हैं.

-मनीष बंसल, नगरायुक्त

मेरठ: एक ओर सीएम योगी आदित्यनाथ ने सर्दी के मौसम में गरीब व असहायों के लिए रैन बसेरों की व्यवस्था के दावे किए, वहीं मेरठ के बच्चा पार्क चौराहे पर बनाया गया रैन बसेरा न सिर्फ बदहाली के आंसू बहा रहा है, बल्कि सीएम योगी के दावों की भी पोल खोल रहा है. रैन बसेरे में असहाय लोगों के लिए लगाए बिस्तरे, रजाई-गद्दे खराब हो चुके हैं. सर्दी की रात में ठंड से बचने के लिए यहां आने वाले लोग टूटे हुए तख्त पर सोने को मजबूर हैं.

रैन बसेरे में लगा बिस्तर.
रैन बसेरे में लगा बिस्तर.

यहां लकड़ी के बनाए गए तख्त इतनी जर्जर हालत में है कि कभी भी टूट कर जमीन पर गिर सकते हैं. रजाई, गद्दों में धूल-मिट्टी भरी हुई है. रैन बसेरे की निगरानी के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे भी खराब होकर धूल फांक रहे हैं. उधर, नगरायुक्त रैन बसेरों में बिस्तर, चारपाई समेत जरूरी व्यवस्था करने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं.

रैन बसेरे में आया शरणार्थी.
रैन बसेरे में आया शरणार्थी.
रैन बसेरों में शासन आदेश की उड़ रही धज्जियां

बता दें कि नवंबर महीने के अंत में सीएम योगी ने प्रदेश के सभी शहरों में गरीब व जरूरतमंदों के लिए रैन बसेरे चालू करने के निर्देश दिए थे, लेकिन मेरठ शहर में शासन के आदेश की धज्जियां उड़ती नजर आ रही हैं. सीएम योगी के आदेश पर रैन बसेरे तो चालू कर दिए गए, लेकिन ठंड से बचने के लिए बिस्तरों की कोई व्यवस्था नहीं की गई. रैन बसेरे में फटे पुराने बिस्तर टूटे हुए लकड़ी के तख्तों पर डालकर महज खानापूर्ति की गई है. नगर निगम अधिकारी शासन आदेश के बाद भी रैन बसेरों में रात्रि विश्राम की सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाए हैं.

बदहाली के आंसू बहा रहा रैन बसेरा.

ETV भारत के रियल्टी चेक में खुली पोल

ETV भारत की टीम ने मेरठ शहर के नगर निगम द्वारा चलाये गए रैन बसेरे का रियल्टी चेक किया. वहां रुकने वाले बेसहारा शरणार्थियों से बात की गई, तब जाकर नगर निगम के दावों की पोल खुलकर सामने आई. दरअसल, यहां रैन बसेरों में लगाए गए बिस्तर बहुत पुराने हैं, जिनमें सर्दी से बचना मुश्किल है. महज कवर से ढकी रजाइयों में लगी रुई टूट कर बाहर निकल रही है. रजाइयों में गर्माहट तो दूर, हवा भी नहीं रुक पा रही है. रैन बसेरे में रुकने वाले शरणार्थियों को ठंड से जूझना पड़ रहा है.

रैन बसेरे में टूटे बिस्तर.
रैन बसेरे में टूटे बिस्तर.

टूटे पड़े तख्त, निकल रही कील

रैन बसेरे में नगर निगम द्वारा लगाए गए तख्त टूटे पड़े हैं. इतना ही नहीं लकड़ी में दीमक लगी हुई है और लकड़ी टूट कर कील बाहर निकली हुई है. जो कभी भी तख्त पर सोने वाले शरणार्थी को जख्मी कर सकती है. इसके अलावा यहां लगाए गए सीसीटीवी कैमरे भी खराब होकर डीवीआर के इंतजार में धूल फांक रहे हैं. रैन बसेरे के हालात की ये तस्वीरें इस बात की तस्दीक करने के लिए काफी है.

बदहाली में रह रहे शरणार्थी.
बदहाली में रह रहे शरणार्थी.

रैन बसेरे में ये बिस्तर बहुत पुराने हो चुके हैं. इनमें धूल मिट्टी भरी हुई है. बिस्तरों धुलाई कब हुई थी इसका भी कुछ पता नहीं है. टूटे हुए तख्त और बिस्तरों के लिए कई बार नगर निगम अधिकारियों लिखित में अवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक रैन बसेरों में नए तख्त आना तो दूर बिस्तरों के नए कवर भी नहीं आये हैं. पिछले 10 महीनों से वेतन भी नहीं मिल पाया है, बावजूद इसके कड़ाके की ठंड में रैन बसेरे की देखभाल कर रहें हैं.

-सुधांशु, रैन बसेरे के केयर टेकर

मेरठ शहर में कुल 12 रैन बसेरे चलाये गए हैं. नवंबर महीने के शुरुआत में भी सभी रैन बसेरों का निरीक्षण किया गया था. रैन बसेरों में रजाई-गद्दों, कंबल और तख्तों को लेकर मिली खामियों को दूर करने के निर्देश दिए गए हैं. सभी रैन बसेरों के लिए नए रजाई-गद्दे और तख्त खरीद कर रखवा दिए गए हैं. वर्तमान में जितने भी पुराने गद्दे और टूटे हुए तख्त हैं, उनको जल्द ही हटवा कर नए रखवा दिए जाएंगे. 12 रैन बसेरों के अलावा शहर भर में 50 से ज्यादा स्थानों पर अलाव की व्यवस्था की गई है. सभी रैन बसेरों में सुबह शाम के लिए केयर टेकर लगा दिए गए हैं. केयर टेकर समेत सबन्धित अधिकारियों को समस्त व्यवस्थाएं करने के निर्देश दे दिए हैं.

-मनीष बंसल, नगरायुक्त

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