मेरठ : सरकार प्रदेश सरकारी स्कूलों को मॉडर्नाइज करके प्राइवेट स्कूल की तर्ज पर चलाना चाहती है. वहीं सरकार के अधिकारी और कर्मचारी ही सरकार की इस मंशा को पलीता लगा रहे हैं. सरकारी स्कूलों की स्थिती को सुधारने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश भी जारी किया था, लेकिन प्रदेश में कहीं भी उस आदेश का पालन होता दिखाई नहीं दे रहा है.
जिले के सरकारी स्कूलों में न तो फर्नीचर है और न सुविधाएं. कई स्कूल शिक्षकों की कमी से भी जूझ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इन स्कूलों का स्तर सुधारने के लिए एक आदेश भी दिया था. इसके अनुसार सरकारी तनख्वाह पाने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की भी धज्जियां उड़ा दी गई. किसी भी अधिकारी या सरकारी कर्मचारी का बच्चा शायद ही किसी सरकारी स्कूल में पढ़ता हो, नेताओं और मंत्रियों की बात तो दूर की है. उनके बच्चों ने तो सरकारी स्कूल देखा भी नहीं होगा.
मेरठ के सराय लाल दास स्थित जर्जर सरकारी स्कूल में 20 बच्चे हैं, जिनको पढ़ाने के लिए केवल एक शिक्षामित्र है. न तो कोई शिक्षिका है और न ही प्रधानाध्यापक है. इसके अलावा बिल्कुल जर्जर हो चुकी छत है जिसके गिरने से बच्चों को चोट भी लग चुकी है. इसके बाद भी मामूली रिपेयरिंग करवा कर स्थाई रूप से काम चलाया जा रहा है. स्कूल में सुविधाएं न के बराबर हैं, लेकिन यहां के बच्चे डॉक्टर और टीचर बनने की ख्वाहिश रखते हैं.