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गरीबों का फूडमैन: 3 बेटियां इंजीनियर और वेल सेटल्ड; पेंशन के पैसों से गरीबों को खाना खिलाता ये रिटायर्ड कर्मचारी

मेरठ के रहने वाले सत्यप्रकाश आवास विकास विभाग (grandmother kitchen in Meerut) से वर्ष 2021 में निजी सचिव रिटायर हुए हैं. सत्यप्रकाश इन दिनों हर दिन महज दस रुपये की न्यूनतम दर से सौ लोगों के लिए भोजन उपलब्ध करा रहे हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 4, 2024, 11:44 AM IST

Updated : Jan 5, 2024, 6:17 AM IST

संवाददाता श्रीपाल तेवतिया की खास रिपोर्ट

मेरठ : जिले के सत्यप्रकाश एक ऐसे इंसान हैं जो न सिर्फ मानवता की अलग मिशाल पेश कर रहे हैं, बल्कि हर दिन महज दस रुपये की न्यूनतम दर से सौ लोगों के लिए भोजन उपलब्ध करा रहे हैं. इतना ही नहीं उनके मेन्यु में न सिर्फ चपाती, दाल, सीजनल सब्जी, चावल और अचार रहता है बल्कि साथ में स्वीट डिश के तौर पर कभी खीर तो कभी खास मिठाई भी उपलब्ध रहती है. आइए मिलते हैं मेरठ में इस खास शख्स से.

रिटायरमेंट के बाद सत्यप्रकाश करते हैं संचालन
रिटायरमेंट के बाद सत्यप्रकाश करते हैं संचालन




दस रुपये में भोजन का इंतजाम : मेरठ के रहने वाले सत्य प्रकाश एक ऐसे व्यक्ति हैं जोकि नानी दादी की रसोई नाम से महज दस रुपये में भोजन का इंतजाम करते हैं. उनके खाने का स्वाद और जायके की तो बात ही अलग है. इस न्यूनतम दर में जो थाली ग्राहकों को परोसी जाती है, उसमें एक सीजनल सब्जी, एक दाल, चपाती, चावल और अचार तो रहते ही हैं. इसके अलावा स्वीट डिश के तौर पर कभी खीर तो कभी मिठाई भी उनके ठिकाने पर पहुंचने वालों को खाने को मिलती है. भोजन भी ऐसा कि जो भी एक बार खाए वह बार-बार खाना चाहता है.

दस रुपये में थाली भरकर भोजन
दस रुपये में थाली भरकर भोजन

सूरजकुंड पार्क के पास खड़ी होती है मोबाइल वैन : मेरठ के सूरजकुंड पार्क के नजदीक जैसे ही दिन ढलता है, वहां अलग-अलग जगहों के लोग पहुंचने शुरु हो जाते हैं. जैसे ही सात बजते हैं नेहरूनगर के रहने वाले सत्यप्रकाश अपनी टीम के साथ वहां पहुंच जाते हैं. उनके साथ एक खास मोबाइल भोजन गाड़ी रहती है. इसे उन्होंने नाम दिया हुआ है नानी-दादी की रसोई. रसोई को देखते ही वहां पहुंचे लोगों के चेहरे पर खुशी दौड़ आती है. उनकी रसोई में खास भोजन रहता है और महज दस रुपये में एक थाली भरकर भोजन वह उपलब्ध कराते हैं. जब महज 10 रुपये में लोगों को भोजन लेने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते देखा तो हमें भी बेहद उत्सुकता हुई. इसके बाद वहां नजदीक पहुंचकर नानी दादी की रसोई के संचालन के बारे में जानकारी की तो वहां टोकन दे रहे सत्यप्रकाश से मुलाकात हुई.

मेरठ में नानी दादी की रसोई का संचालन
मेरठ में नानी दादी की रसोई का संचालन

वर्ष 2021 में हुए थे रिटायर : ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान सत्य प्रकाश ने बताया कि वह आवास विकास विभाग से वर्ष 2021 में निजी सचिव रिटायर हुए हैं. उन्होंने बताया कि 2020 से हर दिन खास रसोई का संचालन करके सौ लोगों के लिए दस रुपये में गुणवत्ता युक्त भोजन उपलब्ध कराते हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना काल के दौरान कुछ समस्याएं आई थीं, लेकिन वह इस काम को लगातार कर रहे हैं और उन्हें ऐसा करके खुशी मिलती है. सत्य प्रकाश बताते हैं कि वह आवास विकास विभाग में निजी सचिव के पद पर तैनात थे, उन्होंने अपनी तीनों बेटियों की अच्छे से परवरिश की और तीनों ही इंजीनियर हैं. उन्होंने बताया कि उनकी बेटियां उनका नाम रोशन कर रही हैं. उन्होंने कहा कि ईश्वर का दिया सब कुछ है, अपनी बेटियों के सहयोग से वह इस काम को करते हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें जो पेंशन मिलती है उसमें से वह इस खास रसोई के लिए व्यवस्था करते हैं. उन्होंने बताया कि भोजन बनवाने और उसे वितरित कराने के लिए दो लोगों को परमानेंट नौकरी उन्होंने दी हुई है. विवेक और मोनू दोनों को वह बकायदा सैलरी देते हैं, जिससे उन दोनों के परिवार भी पलते हैं.

दस रुपये में थाली भरकर भोजन
दस रुपये में थाली भरकर भोजन

बिना प्याज और लहसुन के तैयार होता है भोजन : सत्य प्रकाश बताते हैं कि उन्हें हमेशा से किसी को भी अच्छे से भोजन कराना न सिर्फ बेहद ही पसंद है, बल्कि ऐसा करने से उन्हें सुकून मिलता है. रिटायर्ड बुजुर्ग सत्यप्रकाश बताते हैं कि उनकी नानी दादी रसोई की खास बात यह है कि वह जो भोजन बनवाते हैं. उसमें मसालों से लेकर तमाम तरह की शुद्धता उनकी प्राथमिकता है. वह बताते हैं कि बिना प्याज और लहसुन के उनकी खास रसोई में भोजन तैयार होता है. गेहूं का आटा भी वह खुद ही तैयार कराते हैं और किसी भी विशेष दिवस पर मिठाई भी अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराते हैं. वहीं रविवार को क्योंकि उन्हें अपने कर्मचारियों को छुट्टी देनी होती है, तो उस दिन वह भी अगले सप्ताह की तैयारी करते हैं. उन्होंने बताया कि उनके यहां भोजन करने के लिए जो भी लोग आते हैं, उनके चेहरे पर खुशी देखकर उन्हें संतोष मिलता है. उन्हें आत्म संतुष्टि होती है.

शुद्ध देशी घी और शुद्ध सरसों के तेल का होता है इस्तेमाल : ईटीवी भारत से कुछ लोगों ने बात की उन्होंने बताया कि वह लोग मेहनत मजदूरी करते हैं और जबसे उन्हें यह जानकारी हुई है कि नानी दादी की रसोई में महज दस रुपये में इतना शानदार और स्वादिष्ट भोजन मिलता है तो वह भी सात बजे तक वहीं पहुंच जाते हैं. सत्यप्रकाश कहते हैं कि वह इस काम को अपनी खुशी के लिए करते हैं और अन्य लोगों के चेहरे पर खुशी के भाव देखकर उन्हें अच्छा लगता है. उन्होंने कहा कि क्योंकि वह ये सब किसी तरह का प्रचार पाने के लिए नहीं करते इसीलिए उन्होंने कहीं भी अपना नाम या नंबर भी अपनी खास भोजन गाड़ी पर नहीं लिखवाया है. वह बताते हैं कि भोजन में शुद्ध देशी घी और शुद्ध सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाता है. सरसों लेकर तेल भी अपने आप ही तैयार किया जाता है.

एक से डेढ़ घंटे में समाप्त हो जाता है भोजन : सत्यप्रकाश बताते हैं कि जो पैसे वाले लोग हैं वह तो कहीं भी पैसे खर्च करके भोजन कर सकते हैं, लेकिन ऐसे लोग जो मेहनतकश हैं और जरूरतमंद हैं जब वह अपने बच्चों के परिवार के बाकि सदस्यों के साथ भोजन करने आते हैं तो उन्हें लगता है कि उनका जीवन तो सफल हो गया. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि वह तो यही कहना चाहेंगे कि जो भी कोई उनसे प्रेरित हो वे लोग भी कहीं न कहीं ऐसी खुद से पहल करें ताकि कोई भी भूखा न सोए और लोगों के चेहरे पर खुशी दिखे. सिर्फ दस रुपये में भोजन कराने वाले सत्यप्रकाश को लेकर अब तो लोग शहर में उनकी एक झलक पाने के लिए सूरजकुंड पार्क जाते हैं. कोई उनके साथ वीडियो बनाता है, कोई सेल्फी लेता है तो कोई इस नेक काम के लिए उनकी सराहना करता है. वह बताते हैं कि काफी ऐसे भी लोग होते हैं जो कि पैकिंग कराना चाहते हैं, लेकिन वह सिर्फ वहीं खाने के लिए ही भोजन देते हैं चाहे कोई भी आए. आलम यह है कि महज एक से डेढ़ घंटे में भोजन समाप्त हो जाता है. सौ लोगों का इंतजाम हर दिन किया जाता है, उन्होंने बताया कि वह हमेशा यही सोचते हैं कि अच्छे ढंग से वह अपने ग्राहकों को भोजन कैसे परोसें इसी पर विचार किया करते हैं. नानी दादी की रसोई में भोजन करने वाले लोगों से भी ईटीवी भारत ने बातचीत की. वह बताते हैं कि उन्हें जिस आदर सम्मान से खाना खिलाते हैं वह भी शुद्ध व शाकाहारी, ऐसा खाना उन्होंने किसी भी होटल ढाबे पर कभी नहीं खाया.

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संवाददाता श्रीपाल तेवतिया की खास रिपोर्ट

मेरठ : जिले के सत्यप्रकाश एक ऐसे इंसान हैं जो न सिर्फ मानवता की अलग मिशाल पेश कर रहे हैं, बल्कि हर दिन महज दस रुपये की न्यूनतम दर से सौ लोगों के लिए भोजन उपलब्ध करा रहे हैं. इतना ही नहीं उनके मेन्यु में न सिर्फ चपाती, दाल, सीजनल सब्जी, चावल और अचार रहता है बल्कि साथ में स्वीट डिश के तौर पर कभी खीर तो कभी खास मिठाई भी उपलब्ध रहती है. आइए मिलते हैं मेरठ में इस खास शख्स से.

रिटायरमेंट के बाद सत्यप्रकाश करते हैं संचालन
रिटायरमेंट के बाद सत्यप्रकाश करते हैं संचालन




दस रुपये में भोजन का इंतजाम : मेरठ के रहने वाले सत्य प्रकाश एक ऐसे व्यक्ति हैं जोकि नानी दादी की रसोई नाम से महज दस रुपये में भोजन का इंतजाम करते हैं. उनके खाने का स्वाद और जायके की तो बात ही अलग है. इस न्यूनतम दर में जो थाली ग्राहकों को परोसी जाती है, उसमें एक सीजनल सब्जी, एक दाल, चपाती, चावल और अचार तो रहते ही हैं. इसके अलावा स्वीट डिश के तौर पर कभी खीर तो कभी मिठाई भी उनके ठिकाने पर पहुंचने वालों को खाने को मिलती है. भोजन भी ऐसा कि जो भी एक बार खाए वह बार-बार खाना चाहता है.

दस रुपये में थाली भरकर भोजन
दस रुपये में थाली भरकर भोजन

सूरजकुंड पार्क के पास खड़ी होती है मोबाइल वैन : मेरठ के सूरजकुंड पार्क के नजदीक जैसे ही दिन ढलता है, वहां अलग-अलग जगहों के लोग पहुंचने शुरु हो जाते हैं. जैसे ही सात बजते हैं नेहरूनगर के रहने वाले सत्यप्रकाश अपनी टीम के साथ वहां पहुंच जाते हैं. उनके साथ एक खास मोबाइल भोजन गाड़ी रहती है. इसे उन्होंने नाम दिया हुआ है नानी-दादी की रसोई. रसोई को देखते ही वहां पहुंचे लोगों के चेहरे पर खुशी दौड़ आती है. उनकी रसोई में खास भोजन रहता है और महज दस रुपये में एक थाली भरकर भोजन वह उपलब्ध कराते हैं. जब महज 10 रुपये में लोगों को भोजन लेने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते देखा तो हमें भी बेहद उत्सुकता हुई. इसके बाद वहां नजदीक पहुंचकर नानी दादी की रसोई के संचालन के बारे में जानकारी की तो वहां टोकन दे रहे सत्यप्रकाश से मुलाकात हुई.

मेरठ में नानी दादी की रसोई का संचालन
मेरठ में नानी दादी की रसोई का संचालन

वर्ष 2021 में हुए थे रिटायर : ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान सत्य प्रकाश ने बताया कि वह आवास विकास विभाग से वर्ष 2021 में निजी सचिव रिटायर हुए हैं. उन्होंने बताया कि 2020 से हर दिन खास रसोई का संचालन करके सौ लोगों के लिए दस रुपये में गुणवत्ता युक्त भोजन उपलब्ध कराते हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना काल के दौरान कुछ समस्याएं आई थीं, लेकिन वह इस काम को लगातार कर रहे हैं और उन्हें ऐसा करके खुशी मिलती है. सत्य प्रकाश बताते हैं कि वह आवास विकास विभाग में निजी सचिव के पद पर तैनात थे, उन्होंने अपनी तीनों बेटियों की अच्छे से परवरिश की और तीनों ही इंजीनियर हैं. उन्होंने बताया कि उनकी बेटियां उनका नाम रोशन कर रही हैं. उन्होंने कहा कि ईश्वर का दिया सब कुछ है, अपनी बेटियों के सहयोग से वह इस काम को करते हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें जो पेंशन मिलती है उसमें से वह इस खास रसोई के लिए व्यवस्था करते हैं. उन्होंने बताया कि भोजन बनवाने और उसे वितरित कराने के लिए दो लोगों को परमानेंट नौकरी उन्होंने दी हुई है. विवेक और मोनू दोनों को वह बकायदा सैलरी देते हैं, जिससे उन दोनों के परिवार भी पलते हैं.

दस रुपये में थाली भरकर भोजन
दस रुपये में थाली भरकर भोजन

बिना प्याज और लहसुन के तैयार होता है भोजन : सत्य प्रकाश बताते हैं कि उन्हें हमेशा से किसी को भी अच्छे से भोजन कराना न सिर्फ बेहद ही पसंद है, बल्कि ऐसा करने से उन्हें सुकून मिलता है. रिटायर्ड बुजुर्ग सत्यप्रकाश बताते हैं कि उनकी नानी दादी रसोई की खास बात यह है कि वह जो भोजन बनवाते हैं. उसमें मसालों से लेकर तमाम तरह की शुद्धता उनकी प्राथमिकता है. वह बताते हैं कि बिना प्याज और लहसुन के उनकी खास रसोई में भोजन तैयार होता है. गेहूं का आटा भी वह खुद ही तैयार कराते हैं और किसी भी विशेष दिवस पर मिठाई भी अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराते हैं. वहीं रविवार को क्योंकि उन्हें अपने कर्मचारियों को छुट्टी देनी होती है, तो उस दिन वह भी अगले सप्ताह की तैयारी करते हैं. उन्होंने बताया कि उनके यहां भोजन करने के लिए जो भी लोग आते हैं, उनके चेहरे पर खुशी देखकर उन्हें संतोष मिलता है. उन्हें आत्म संतुष्टि होती है.

शुद्ध देशी घी और शुद्ध सरसों के तेल का होता है इस्तेमाल : ईटीवी भारत से कुछ लोगों ने बात की उन्होंने बताया कि वह लोग मेहनत मजदूरी करते हैं और जबसे उन्हें यह जानकारी हुई है कि नानी दादी की रसोई में महज दस रुपये में इतना शानदार और स्वादिष्ट भोजन मिलता है तो वह भी सात बजे तक वहीं पहुंच जाते हैं. सत्यप्रकाश कहते हैं कि वह इस काम को अपनी खुशी के लिए करते हैं और अन्य लोगों के चेहरे पर खुशी के भाव देखकर उन्हें अच्छा लगता है. उन्होंने कहा कि क्योंकि वह ये सब किसी तरह का प्रचार पाने के लिए नहीं करते इसीलिए उन्होंने कहीं भी अपना नाम या नंबर भी अपनी खास भोजन गाड़ी पर नहीं लिखवाया है. वह बताते हैं कि भोजन में शुद्ध देशी घी और शुद्ध सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाता है. सरसों लेकर तेल भी अपने आप ही तैयार किया जाता है.

एक से डेढ़ घंटे में समाप्त हो जाता है भोजन : सत्यप्रकाश बताते हैं कि जो पैसे वाले लोग हैं वह तो कहीं भी पैसे खर्च करके भोजन कर सकते हैं, लेकिन ऐसे लोग जो मेहनतकश हैं और जरूरतमंद हैं जब वह अपने बच्चों के परिवार के बाकि सदस्यों के साथ भोजन करने आते हैं तो उन्हें लगता है कि उनका जीवन तो सफल हो गया. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि वह तो यही कहना चाहेंगे कि जो भी कोई उनसे प्रेरित हो वे लोग भी कहीं न कहीं ऐसी खुद से पहल करें ताकि कोई भी भूखा न सोए और लोगों के चेहरे पर खुशी दिखे. सिर्फ दस रुपये में भोजन कराने वाले सत्यप्रकाश को लेकर अब तो लोग शहर में उनकी एक झलक पाने के लिए सूरजकुंड पार्क जाते हैं. कोई उनके साथ वीडियो बनाता है, कोई सेल्फी लेता है तो कोई इस नेक काम के लिए उनकी सराहना करता है. वह बताते हैं कि काफी ऐसे भी लोग होते हैं जो कि पैकिंग कराना चाहते हैं, लेकिन वह सिर्फ वहीं खाने के लिए ही भोजन देते हैं चाहे कोई भी आए. आलम यह है कि महज एक से डेढ़ घंटे में भोजन समाप्त हो जाता है. सौ लोगों का इंतजाम हर दिन किया जाता है, उन्होंने बताया कि वह हमेशा यही सोचते हैं कि अच्छे ढंग से वह अपने ग्राहकों को भोजन कैसे परोसें इसी पर विचार किया करते हैं. नानी दादी की रसोई में भोजन करने वाले लोगों से भी ईटीवी भारत ने बातचीत की. वह बताते हैं कि उन्हें जिस आदर सम्मान से खाना खिलाते हैं वह भी शुद्ध व शाकाहारी, ऐसा खाना उन्होंने किसी भी होटल ढाबे पर कभी नहीं खाया.

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Last Updated : Jan 5, 2024, 6:17 AM IST
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