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अविश्वसनीयः तीन साल के विराज ने 70 पेटिंग बनाकर 35 अवार्ड किए अपने नाम - little painter

यूपी के मेरठ जिले में कहावत "पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं" को विराज सक्सेना ने चरितार्थ कर दिखाया है. विराज ने तीन साल की उम्र में 70 पेटिंग बनाकर 35 राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय अवार्ड अपने नाम किए हैं. यह सब सुनकर न सिर्फ अविश्वसनीय लग रहा है बल्कि हर किसी को सोचने पर मजबूर कर रहा है.

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तीन साल के बच्चे ने बनाई 70 पेंटिंग.
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Published : Nov 4, 2020, 4:39 PM IST

मेरठ: एक कहावत है कि "पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं" यह कहावत मेरठ निवासी पुरुषोत्तम सक्सेना के घर में जन्मे तीन के विराज सक्सेना पर सटीक बैठती हैं. विराज सक्सेना ने महज तीन साल की उम्र में ऐसा कारनामा कर दिखाया, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है. विराज ने 3 साल की उम्र में 70 पेटिंग बनाकर 35 राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय अवार्ड अपने नाम कर लिए हैं. यह सब सुनकर न सिर्फ अविश्वसनीय लग रहा है, बल्कि हर किसी को सोचने पर मजबूर कर रहा है, लेकिन हकीकत यही है.

तीन साल के बच्चे ने बनाई 70 पेंटिंग.

मेरठ में ऐसा कारनामा कर दिखाने वाले लिटिल पेंटर विराज सक्सेना आज नन्हा पिकासो बन गया है. विराज सक्सेना को ठीक से बोलना भले न आता हो, लेकिन पेंटिंग में ऐसी महारत हासिल हुई है कि देश-प्रदेश में मिले अवार्ड चर्चा का विषय बने हुए हैं. नर्सरी में पढ़ने वाले विराज ने नन्ही सी उम्र में अपने मां-बाप, परिवार का भी नाम रोशन कर दिया है. विराज की पेंटिंग इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड और फिर एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गई है. जहां विराज को ग्रैंडमास्टर के खिताब भी से भी नवाजा गया है.

जानिए विराज कैसे बना लिटिल पेंटर
नन्हे पेंटर विराज सक्सेना के परिजनों ने बताया कि इसी वर्ष उसका दाखिला नर्सरी में कराया था. जिसके बाद कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया. लॉकडाउन में स्कूल से आए ऑनलाइन होमवर्क कराने में परेशानी हो रही थी. जिसके बाद विराज की टीचर ने पेटिंग एवं फोटो के सहारे पढ़ाई कराने की सलाह दी. टीचर की सलाह से विराज की मां प्रियंका सक्सेना ने पेटिंग के माध्यम से पढ़ाना शुरू कर दिया. प्रिंयका बताती है कि जब विराज से A,B,C,D लिखवाई तो उसने A फॉर एप्पल, B फॉर बॉल आदि बनाना शुरू कर दिया. विराज की पेंटिंग देख उन्हें भी रुचि हो गई. जिससे एक के बाद एक विराज ने 70 पेटिंग बना दी.

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अलग-अलग अवार्ड से सम्मानित विराज सक्सेना.

सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से मिली उपलब्धि
प्रियंका ने बताया कि विराज की पेंटिंग में सफाई देख कर उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट करना शुरू कर दिया. सोशल मीडिया पर विराज की पेंटिंग को न सिर्फ पसंद किया जाने लगा, बल्कि पब्लिसिटी मिलने लगी. धीरे-धीरे विराज की पेंटिंग को इतना पसंद किया जाने लगा कि कई संगठनों और संस्थाओं ने सम्पर्क कर कोरोना की वजह से ऑनलाइन प्रोत्साहित किया. इतना ही नहीं देश-विदेश की पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजकों के भी फोन आने लगे. परिजनों के मुताबिक ऑनलाइन पेटिंग प्रतियोगिता में पहला अवार्ड जुलाई महीने में दिल्ली आर्ट इंटरनेशनल की ओर से दिया गया था. उस वक्त विराज की उम्र 2 साल 20 महीने की थी.

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम
नन्हे विराज की पेंटिंग को एक के बाद एक कई आयोजनों में शामिल किया गया. पहला अवॉर्ड मिलने के बाद विराज की बुलंदियों का सिलसिला शुरू हो गया. 70 पेटिंग में से 35 पेटिंग को इतना पसंद किया गया कि "इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड" समेत 35 अवार्ड दिए गए. "इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड" में नाम दर्ज होने पर विराज को "लिटिल वर्सेटाइल पेंटर" के खिताब से नवाजा गया. विराज की उपलब्धियों का सिलसिला यहीं नहीं रुका. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी "एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड" में नाम दर्ज कर ग्रैंड मास्टर का खिताब हासिल किया. इसके बाद पिछले दिनों विराज को "कलामस वर्ल्ड रिकॉर्ड्स" के खिताब से नवाजा गया. जिससे परिजनों के उत्साह के साथ ख्याति बढ़ने लगी है.

गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम के लिए करेंगे आवेदन
विराज की मां प्रियंका सक्सेना बताती हैं कि 3 साल की उम्र में जो इनके बेटे ने कर दिखाया है. वह न सिर्फ अविश्वासीय है, बल्कि गॉड गिफ्ट है. महज कुछ महीनों में 35 आवर्ड हासिल करेगा, उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. लगातार मिली इन उपलब्धियों के बाद अब वे "गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड" में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन की तैयारी कर रही हैं. इसके लिए विराज से लगातार पेटिंग का अभ्यास कराया जा रहा है.

मेरठ: एक कहावत है कि "पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं" यह कहावत मेरठ निवासी पुरुषोत्तम सक्सेना के घर में जन्मे तीन के विराज सक्सेना पर सटीक बैठती हैं. विराज सक्सेना ने महज तीन साल की उम्र में ऐसा कारनामा कर दिखाया, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है. विराज ने 3 साल की उम्र में 70 पेटिंग बनाकर 35 राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय अवार्ड अपने नाम कर लिए हैं. यह सब सुनकर न सिर्फ अविश्वसनीय लग रहा है, बल्कि हर किसी को सोचने पर मजबूर कर रहा है, लेकिन हकीकत यही है.

तीन साल के बच्चे ने बनाई 70 पेंटिंग.

मेरठ में ऐसा कारनामा कर दिखाने वाले लिटिल पेंटर विराज सक्सेना आज नन्हा पिकासो बन गया है. विराज सक्सेना को ठीक से बोलना भले न आता हो, लेकिन पेंटिंग में ऐसी महारत हासिल हुई है कि देश-प्रदेश में मिले अवार्ड चर्चा का विषय बने हुए हैं. नर्सरी में पढ़ने वाले विराज ने नन्ही सी उम्र में अपने मां-बाप, परिवार का भी नाम रोशन कर दिया है. विराज की पेंटिंग इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड और फिर एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गई है. जहां विराज को ग्रैंडमास्टर के खिताब भी से भी नवाजा गया है.

जानिए विराज कैसे बना लिटिल पेंटर
नन्हे पेंटर विराज सक्सेना के परिजनों ने बताया कि इसी वर्ष उसका दाखिला नर्सरी में कराया था. जिसके बाद कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया. लॉकडाउन में स्कूल से आए ऑनलाइन होमवर्क कराने में परेशानी हो रही थी. जिसके बाद विराज की टीचर ने पेटिंग एवं फोटो के सहारे पढ़ाई कराने की सलाह दी. टीचर की सलाह से विराज की मां प्रियंका सक्सेना ने पेटिंग के माध्यम से पढ़ाना शुरू कर दिया. प्रिंयका बताती है कि जब विराज से A,B,C,D लिखवाई तो उसने A फॉर एप्पल, B फॉर बॉल आदि बनाना शुरू कर दिया. विराज की पेंटिंग देख उन्हें भी रुचि हो गई. जिससे एक के बाद एक विराज ने 70 पेटिंग बना दी.

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अलग-अलग अवार्ड से सम्मानित विराज सक्सेना.

सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से मिली उपलब्धि
प्रियंका ने बताया कि विराज की पेंटिंग में सफाई देख कर उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट करना शुरू कर दिया. सोशल मीडिया पर विराज की पेंटिंग को न सिर्फ पसंद किया जाने लगा, बल्कि पब्लिसिटी मिलने लगी. धीरे-धीरे विराज की पेंटिंग को इतना पसंद किया जाने लगा कि कई संगठनों और संस्थाओं ने सम्पर्क कर कोरोना की वजह से ऑनलाइन प्रोत्साहित किया. इतना ही नहीं देश-विदेश की पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजकों के भी फोन आने लगे. परिजनों के मुताबिक ऑनलाइन पेटिंग प्रतियोगिता में पहला अवार्ड जुलाई महीने में दिल्ली आर्ट इंटरनेशनल की ओर से दिया गया था. उस वक्त विराज की उम्र 2 साल 20 महीने की थी.

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम
नन्हे विराज की पेंटिंग को एक के बाद एक कई आयोजनों में शामिल किया गया. पहला अवॉर्ड मिलने के बाद विराज की बुलंदियों का सिलसिला शुरू हो गया. 70 पेटिंग में से 35 पेटिंग को इतना पसंद किया गया कि "इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड" समेत 35 अवार्ड दिए गए. "इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड" में नाम दर्ज होने पर विराज को "लिटिल वर्सेटाइल पेंटर" के खिताब से नवाजा गया. विराज की उपलब्धियों का सिलसिला यहीं नहीं रुका. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी "एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड" में नाम दर्ज कर ग्रैंड मास्टर का खिताब हासिल किया. इसके बाद पिछले दिनों विराज को "कलामस वर्ल्ड रिकॉर्ड्स" के खिताब से नवाजा गया. जिससे परिजनों के उत्साह के साथ ख्याति बढ़ने लगी है.

गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम के लिए करेंगे आवेदन
विराज की मां प्रियंका सक्सेना बताती हैं कि 3 साल की उम्र में जो इनके बेटे ने कर दिखाया है. वह न सिर्फ अविश्वासीय है, बल्कि गॉड गिफ्ट है. महज कुछ महीनों में 35 आवर्ड हासिल करेगा, उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. लगातार मिली इन उपलब्धियों के बाद अब वे "गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड" में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन की तैयारी कर रही हैं. इसके लिए विराज से लगातार पेटिंग का अभ्यास कराया जा रहा है.

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